….क्योंकि प्रिया जुनेजा सुशांत सिंह राजपूत नहीं है, उससे टीआरपी नहीं मिलेगी…
ये ‘आत्मनिर्भर काल’ नहीं, ‘आत्महत्या काल’ है। इस तस्वीर को देखिए। हंसती-खिलखिलाती ये प्रिया जुनेजा हैं। न्यूज एंकर थीं। कहा जा रहा है कि नौकरी जाने की वजह से कथित रूप से आत्महत्या कर ली है।
सुशांत राजपूत की आत्महत्या पर दिन रात आंसू बहाने वाला गोदी मीडिया क्या अपनी इस एंकर की आत्महत्या का भी संज्ञान लेगा? आत्महत्या करने के पीछे के कारणों का पता लगाएगा? नहीं लेगा, क्योंकि प्रिया जुनेजा सुशांत सिंह राजपूत नहीं है। उससे टीआरपी नहीं मिलेगी।
प्रिया जुनेजा के बहाने नामचीन हस्तियों को कठघरे में खड़ा नहीं किया जा सकता। टीआरपी खोर गोदी मीडिया को इसकी परवाह नहीं है कि कितने पत्रकार इस वक्त नौकरी जाने की वजह से डिप्रेशन में चले गए हैं।
न जाने कितने ही पत्रकार वही करने की सोच रहे होंगे, जो प्रिया जुनेजा न किया। पत्रकार ही क्यों? इस कोरोना काल में करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी पर संकट आया है। बहुत लोग अर्श से फर्श पर आ गए?
लेकिन गोदी मीडिया कहां बिजी है? वो राफेल में बिजी है, राजस्थान में बिजी है, राम मंदिर में बिजी है, वो सरकार की चापलूसी करने में बिजी है। उसे न जनता के दुखों से सरोकार है, न उनके रोजगार से, न शिक्षा से और न ही गड्ढे में चली गई स्वास्थ्य सेवाओं से। प्रिय जुनेजा ने आत्महत्या नहीं की है, गोदी मीडिया ने मारा है। सच कहूं तो मीडिया के लिए अब संवेदना खत्म हो गई है।
पत्रकार सलीम अख्तर सिद्दीकी की एफबी वॉल से.
संबंधित खबरें-