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बिना सहमति इंटरव्यू छापे जाने से नाराज रामबहादुर राय ने आउटलुक को लिखा लेटर, एडिटर्स गिल्ड में मुद्दा उठाएंगे

केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आइजीएनसीए) के अध्‍यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय का इंटरव्यू एक साप्ताहिक पत्रिका ‘आउटलुक’ ने छापा है जिसमें राम बहादुर राय को यह कहते हुए दिखाया गया है कि संविधान निर्माण में डॉ बीआर आंबेडकर की कोई भूमिका नहीं थी. आरएसएस से जुड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व महासचिव राय के ‘आउटलुक’ को दिए साक्षात्कार के अनुसार राय ने कहा कि आंबेडकर ने संविधान नहीं लिखा था. आंबेडकर की भूमिका सीमित थी और तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी बीएन राऊ जो सामग्री आंबेडकर को देते थे, वे उसकी भाषा सुधार देते थे. इसलिए संविधान आंबेडकर ने नहीं लिखा था. अगर संविधान को कभी जलाना पड़ा तो मैं ऐसा करने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा. 

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केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आइजीएनसीए) के अध्‍यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय का इंटरव्यू एक साप्ताहिक पत्रिका ‘आउटलुक’ ने छापा है जिसमें राम बहादुर राय को यह कहते हुए दिखाया गया है कि संविधान निर्माण में डॉ बीआर आंबेडकर की कोई भूमिका नहीं थी. आरएसएस से जुड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व महासचिव राय के ‘आउटलुक’ को दिए साक्षात्कार के अनुसार राय ने कहा कि आंबेडकर ने संविधान नहीं लिखा था. आंबेडकर की भूमिका सीमित थी और तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी बीएन राऊ जो सामग्री आंबेडकर को देते थे, वे उसकी भाषा सुधार देते थे. इसलिए संविधान आंबेडकर ने नहीं लिखा था. अगर संविधान को कभी जलाना पड़ा तो मैं ऐसा करने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा. 

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जब पूछा गया कि क्या तब अंबेडकर की भूमिका मिथक थी तो उन्होंने कहा, हां, मिथक है, मिथक है, मिथक है…। यह पहचान की राजनीति का हिस्सा है। देश में कुछ मिथक गढ़े गए हैं और इनमें से एक है कि संविधान ‘मंदिर की प्रतिमा’ की तरह है जिसे कोई नहीं छू सकता। उन्होंने कहा, कुछ लोगों को लगता है कि अगर संविधान से छेड़छाड़ हुई तो बाबा साहब आंबेडकर के सपनों का क्या होगा। लेकिन बाबा साहब के सपनों का प्रतिनिधित्व करने के लिए लोग इस संसद में हैं, इसलिए यह खतरा नहीं है।

राय के बयान के बाद तत्काल उनकी आलोचना शुरू हो गई और भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष दुष्यंत कुमार गौतम ने विवादास्पद टिप्पणी की निंदा करते हुए कहा कि यए बयान आंबेडकर के अपमान के समान हैं और दलितों से संपर्क साधने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों में बाधक है। गौतम ने राय पर निशाना साधते हुए कहा, जो ऐसा कह रहे हैं, वे बिना सोच के ऐसा कह रहे हैं और ऐसा लगता है कि वे अनुसूचित जातियों और सामाजिक न्याय की अवधारणा के खिलाफ दुर्भावना और शत्रुता रखते हैं। उन्होंने कहा, अगर आंबेडकर ऊंची जाति से होते तो वे ऐसे बयान नहीं देते।

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इस बारे में रामबहादुर राय का कहना है कि उन्होंने ऐसा कोई साक्षात्कार दिया ही नहीं। उन्होंने कहा कि यह ‘पत्रकारीय नैतिकताओं का उल्लंघन’ है। राम बहादुर राय जी ने बताया कि उनके पास कुछ शख्स मिलने के लिए आए थे। उन्होंने न तो आने का इस तरह का कोई मकसद बताया, न ही ये बताया कि वो किसी पत्रिका या अखबार से हैं। राय के मुताबिक उन्होंने ये भी नहीं कहा कि वो इंटरव्यू लेने के लिए आए हैं। न ही इस बात का जिक्र किया कि वो इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्‍यक्ष के तौर पर उनका इंटरव्यू छापने वाले हैं। राम बहादुर राय ने साफ कहा कि भोलेपन से ये लोग उनसे बातचीत करते रहे। तस्वीरें खींची और फिर उसे शरारत करते हुए गलत तरीके से इंटरव्यू बनाकर छाप दिया। राम बहादुर राय जी ने ये भी बताया कि उन्होंने आउटलुक पत्रिका को एक लंबी चिट्ठी लिखी है, साथ ही वो एडिटर्स गिल्ड में भी इस मुद्दे को उठाएंगे।

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