राम बहादुर राय को वोटिंग का अधिकार देना पड़ा, प्रेस क्लब प्रबंधन झुका, देखें वीडियो

प्रेस क्लब आफ इंडिया के चुनाव में राम बहादुर राय को वोट देने का अधिकार क्लब प्रबंधन को देने के लिए मजबूर होना पड़ा. ड्यूज न जमा करने का हवाला देकर राय साहब की सदस्यता रद्द कर दी गई थी. इसके खिलाफ राय साहब ने प्रेस क्लब चुनाव के दौरान विरोध का ऐलान कर दिया था. वे चुनाव के दिन मौके पर पहुंचे और वोट देने का अधिकार मांगा. इससे हड़बड़ाए क्लब प्रबंधन ने तुरंत उनका ड्यूज जमा कराने के बाद उन्हें वोटिंग का राइट दे दिया.

प्रेस क्लब आफ इंडिया प्रबंधन ने वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय की सदस्यता सस्पेंड की

प्रेस क्लब आफ इंडिया का चुनाव बस दो दिन बाद है यानि पच्चीस नवंबर को. उसके ठीक पहले एक बड़ी खबर आ रही है. प्रेस क्लब आफ इंडिया के पदाधिकारियों ने वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय की सदस्यता सस्पेंड कर दी है. साथ ही उन्हें वोट न डालने देने का भी फैसला ले लिया है. इससे आहत जाने-माने पत्रकार और अपनी बेबाक बयानी के लिए मशहूर राम बहादुर राय ने घोषणा की है कि वह चुनाव के दिन प्रेस क्लब आफ इंडिया जाएंगे और अपना ड्यूज क्लीयर करने के बाद वोट देने की कोशिश करेंगे. अगर वोट देने से रोका गया तो वो विरोध स्वरूप वहीं पर खड़े रहेंगे.

पद्मश्री राम बहादुर राय बने हिन्दुस्थान समाचार समूह के प्रधान संपादक

दिल्ली । पाक्षिक पत्र ‘यथावत’ के संपादक पद्मश्री राम बहादुर राय को हिन्दुस्थान समाचार समूह का प्रधान संपादक बनाया गया है जबकि मुख्य कार्यकारी अधिकारी सह प्रधान संपादक राकेश मंजुल को सभी संपादकीय कार्यों से निवृत कर दिया गया है। अब वे संस्थान में मुख्य कार्यकारी अधिकारी (रेडियो एवं दूरदर्शन सेवा) का स्वतंत्र प्रभार संभालेंगे। उनके कार्य में सहायक उपाध्यक्ष (विपणन) विशाल सिन्हा सहयोग करेंगे।

रामबहादुर राय ने मोदी पर जो कटाक्ष किया है वह विपक्ष आलोचना के 10 संस्करण लिख कर भी नहीं कर सकता!

मैंने राम बहादुर राय के साथ काफी लंबा वक्त बिताया है। वे जनसत्ता में हमारे वरिष्ठ थे और ब्यूरो चीफ भी थे। कुछ लोग कहते थे कि उनके तार संघ के साथ जुड़े हुए हैं। वे आपातकाल की घोषणा होने के बाद मीसा के तहत गिरफ्तार होने वाले पहले व्यक्ति बताए जाते हैं। संघ के लिए उन्होंने उत्तर पूर्व में काफी काम किया और पत्रकारिता में काफी देर से संभवतः 1980 के दशक में आए। इसके बावजूद उनका समाजवादियों के साथ घनिष्ठ संबंध रहा।

गलती आउटलुक ने की है, बदनाम मुझे कर रहा है : अनिल पांडेय

Anil Pandey : पिछले दिनों आउटलुक पत्रिका में छपे एक इंटरव्यू पर विवाद गहराया है। आउटलुक ने दावा किया कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय का यह पहला इंटरव्यू है। रामबहादुर राय ने इस मसले पर यथावत पत्रिका के अपने अनायास स्तंभ में विस्तार से पूरे घटनाक्रम की चर्चा की है। अब जो सवाल उठ रहे हैं, उससे आउटलुक पीछे हट रहा है। चुप है। आखिर क्यों?

बिना सहमति इंटरव्यू छापे जाने से नाराज रामबहादुर राय ने आउटलुक को लिखा लेटर, एडिटर्स गिल्ड में मुद्दा उठाएंगे

केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आइजीएनसीए) के अध्‍यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय का इंटरव्यू एक साप्ताहिक पत्रिका ‘आउटलुक’ ने छापा है जिसमें राम बहादुर राय को यह कहते हुए दिखाया गया है कि संविधान निर्माण में डॉ बीआर आंबेडकर की कोई भूमिका नहीं थी. आरएसएस से जुड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व महासचिव राय के ‘आउटलुक’ को दिए साक्षात्कार के अनुसार राय ने कहा कि आंबेडकर ने संविधान नहीं लिखा था. आंबेडकर की भूमिका सीमित थी और तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी बीएन राऊ जो सामग्री आंबेडकर को देते थे, वे उसकी भाषा सुधार देते थे. इसलिए संविधान आंबेडकर ने नहीं लिखा था. अगर संविधान को कभी जलाना पड़ा तो मैं ऐसा करने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा. 

क्या कला केंद्र वाला ‘ईनाम’ लेकर राम बहादुर राय ने खुद को छोटा कर लिया है?

Akhilesh Pratap Singh : ‎कला केंद्र को राम बहादुर राय‬ के हवाले किए जाने के बात सुन रहा हूं कि वह बहुत भले आदमी हैं…. पत्रकारिता में तो हीरा कह लीजिए उन्हें…. उनकी ईमानदारी पर सवाल नहीं उठाया जा सकता…. आप तो यह समझ लीजिए कि आरएसएस में वह सोशलिस्ट हैं… मने कह लीजिए कि संघ में होकर भी वह… मने समझिए कि वहां होकर भी… मने….. पहले भी सुनता था, पर अब समूह गान के रूप में सुन रहा हूं…….चंपू ब्रिगेड से सिर्फ एक सवाल है मेरा… अगर आपकी बताई हर बात के बावजूद किसी को संघ के विचारों का ही समर्थन करना है तो ऐसी कथित विद्वत्ता, ऐसी कथित ईमानदारी अंतत: समाज के लिए फायदेमंद है या आपके निजी हितों के लिए?

मोदी सरकार ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र भंग कर वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय को इसका चीफ बनाया

नई दिल्ली। मोदी सरकार ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के बोर्ड को भंग कर दिया है। केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्री महेश शर्मा ने गुरुवार को एक 20 सदस्यों के नए बोर्ड का गठन किया। इसके प्रुमख के तौर पर पद्मश्री और वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय को नियुक्त किया गया है। राम बहादुर राय बोर्ड के पुराने प्रमुख चिनमय खान की जगह लेंगे।

रामबहादुर राय ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के चुनौतीपूर्ण दौर में वहां जाकर हिम्मत के साथ रिपोर्टिंग की : रमन सिंह

: सप्रे जयंती समारोह में मुख्यमंत्री ने रामबहादुर राय को माधव राव सप्रे राष्ट्रीय रचनात्मकता सम्मान से किया सम्मानित : जॉन राजेश पॉल को चन्दूलाल चन्द्राकर पत्रकारिता पुरस्कार : रायपुर : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि पंडित माधव राव सप्रे ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उस दौर में छत्तीसगढ़ अंचल में पत्रकारिता की मशाल प्रज्जवलित की जब राष्ट्रीय चेतना अपने उफान पर थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि उस युग में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बोलना, लिखना या आवाज उठाना देशद्रोह माना जाता था। पंडित माधव राव सप्रे ने ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में सन 1900 में पेण्ड्रा जैसे दूरस्थ अंचल से मासिक पत्रिका ‘छत्तीसगढ़ मित्र’ का सम्पादन और प्रकाशन शुरू करके हिम्मत और हौसले के साथ छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता की बुनियाद रखी। पंडित माधव राव सप्रे ने अपनी साहित्य साधना और पत्रकारिता के जरिए छत्तीसगढ़ सहित सम्पूर्ण मध्य भारत में राष्ट्रीय चेतना का विस्तार किया।

स्वप्न दासगुप्ता, रजत शर्मा और रामबहादुर राय को पद्म पत्रकारिता के नाम पर मिलता तो खुशी होती

Shambhunath Shukla : जिन तीन पत्रकारों को पद्म पुरस्कार मिला है उनका योगदान साहित्य व शिक्षा क्षेत्र में बताया गया है। मगर तीनों में से किसी ने भी जवानी से बुढ़ापे तक कोई चार लाइन की कविता तक नहीं लिखी। यहां तक कि नारे भी नहीं। ये तीन पत्रकार हैं स्वप्न दासगुप्ता, रजत शर्मा (दोनों को पद्म भूषण) और रामबहादुर राय को पद्म श्री। पत्रकारों को पद्म पत्रकारिता के नाम पर मिलता तो खुशी होती।

वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ल के फेसबुक वॉल से.

वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय को मिलेगा जगदगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार

वाराणसी : श्रीमठ, काशी की ओर से प्रतिवर्ष दिया जाने वाला एक लाख रुपये का जगदगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार इस वर्ष देश के जाने-माने पत्रकार औऱ राजनीतिक विश्लेषक रामबहादुर राय को दिया जाएगा। स्वामी रामानंद जयंती के अवसर पर वाराणसी के नागरी नाटक मंडली सभागार में 12 जनवरी को संध्या समय राय साहब को एक लाख रुपये नकद, अंग वस्त्रम्, प्रशस्ति पत्र आदि प्रदान कर सम्मानित किया जाएगा।

नहीं पहुंचे प्रमुख अतिथि, ‘जिया इंडिया’ मैग्जीन की लांचिंग फ्लॉप

रोहन जगदाले को अब समझ में आ रहा होगा कि मीडिया का क्षेत्र बाकी धंधों-बिजनेसों से अलग है और जो इसे धूर्तता, चालाकी, कपट, क्रूरता के साथ चलाना चाहता है उसे अंततः निराशा हाथ लगती है और करोड़ों गंवाकर हाथ जलाकर एक न एक दिन इस मीडिया क्षेत्र से बाहर निकलने को मजबूर हो जाना पड़ता है. यकीन न हो तो पर्ल ग्रुप के न्यूज चैनलों और मैग्जीनों का हाल देख लीजिए. पी7न्यूज, बिंदिया, मनी मंत्रा.. सबके सब इतिहास का हिस्सा बन गए. खरबों रुपये गंवाकर इसके मालिक को मीडिया से कुछ नहीं मिला. इसलिए क्योंकि मीडिया हाउस के शीर्ष पदों पर गलत लोगों को बिठाया गया और मीडिया हाउस खोलने का मकसद मूल कंपनी के छल-कपट को छिपाना-दबाना घोषित किया गया.

कृपलानी ने सिद्धांतों की खातिर 57वें कांग्रेस अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया था

हमारे देश में राज्य श्रेष्ठ मान लिया जाता है, समाज दोयम। शायद यही कारण है कि राजपुरुष प्रधान हो जाते हैं और समाज का पहरुआ गौण। जी हाँ, इस देश में अगर ‘राज्य-समाज समभाव’ दृष्टिकोण अपनाया गया होता तो आज आचार्य जीवतराम भगवानदास कृपलानी उतने ही लोकप्रिय और प्रासंगिक होते जितने कि सत्ता शीर्ष पर बैठे लोग। वह व्यक्ति खरा था, जिसने गांधीजी के ‘मनसा-वाचा-कर्मणा’ के सिद्धांत को जीवन पद्धति मानकर उसे अंगीकार कर लिया। उक्त विचार मशहूर स्वतंत्रता सेनानी आचार्य जे बी कृपलानी की 126वीं जयंती पर आयोजित संगोष्ठी में व्यक्त किए गए।