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सहारा को बेच कर पैसे वसूलने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सहारा मीडिया में मातम का माहौल

सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से सहारा समूह की संपत्तियों को बेचने को कहा है. इससे जुटाए धन से सुब्रत रॉय की जमानत होगी. सुब्रत दो साल से जेल में बंद हैं. अदालत ने उन 87 संपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है जिन पर कोई देनदारी नहीं है और जिनके मालिकाना हक के दस्तावेज सेबी के पास उपलब्ध हैं. मुख्य न्यायधीश टी.एस. ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सेबी से यह भी कहा है कि वह समूह की उन संपत्तियों की बिक्री नहीं करे जिनके लिये क्षेत्र की दर के 90 प्रतिशत से कम पर बोली मिले.

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सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से सहारा समूह की संपत्तियों को बेचने को कहा है. इससे जुटाए धन से सुब्रत रॉय की जमानत होगी. सुब्रत दो साल से जेल में बंद हैं. अदालत ने उन 87 संपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है जिन पर कोई देनदारी नहीं है और जिनके मालिकाना हक के दस्तावेज सेबी के पास उपलब्ध हैं. मुख्य न्यायधीश टी.एस. ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सेबी से यह भी कहा है कि वह समूह की उन संपत्तियों की बिक्री नहीं करे जिनके लिये क्षेत्र की दर के 90 प्रतिशत से कम पर बोली मिले.

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पीठ ने यह भी कहा है कि यदि किसी संपत्ति के लिये उस क्षेत्र के सर्कल रेट के 90 प्रतिशत कम दाम पर भी बोली मिलती है और सेबी उसे बेचने की इच्छुक है तो बिक्री प्रक्रिया को आगे बढ़ने से पहले उसे न्यायालय की मंजूरी लेनी होगी. इस मामले में अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी. 67 वर्षीय सुब्रत रॉय की अंतरिम जमानत के लिये अदालत ने 5,000 करोड़ रुपये नकद और इतनी ही राशि की बैंक गारंटी जमा करने को कहा है. सहारा को एकमुश्त 36,000 करोड़ रुपये ब्याज सहित जमा कराने को भी कहा गया है. इस राशि से सहारा समूह के निवेशकों को उनका पैसा लौटाया जायेगा.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सहारा की गोरखपुर की सैकड़ों एकड़ क्षेत्र में फैली टाउनशिप, लखनऊ की सहारा सिटी होम्स व मुंबई स्थित एंबे वैली समेत 87 सम्पत्तियां बेची जा सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के आते ही लखनऊ स्थित सहारा इंडिया के मुख्यालय सहारा इंडिया भवन, सहारा इंडिया टावर व सहारा इंडिया सेंटर के कर्मचारियों में हड़कंप मच गया. ऑफिस बंद होने के बाद शाम के वक्त सहारा के कर्मचारी अपने-अपने भविष्य को लेकर चिंतित नजर आए.

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सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद से सहारा मीडिया के कर्मचारियों में भी मायूसी छा गई है. मातम सा माहौल है. अब सबको यह लगने लगा है कि उन्हें सेलरी नहीं मिलने वाली. वहीं सहारा के निवेशक भी परेशान हो गए हैं. सहारा मीडिया के कर्मियों को कई महीने बाद एक माह की सेलरी होली में मिली. अब आगे सेलरी कब मिलेगी, यह किसी को नहीं पता. लोग अभी से जीवन यापन के लिए कोई दूसरा विकल्प तलाशने में जुट गए हैं. वहीं सूत्रों का कहना है कि शीर्ष पदों पर बैठे कुछ लोग इस मौके व अफरातफरी का फायदा उठाकर सहारा की आड़ में अपने निजी आर्थिक हितों को साधने में जुट गए हैं ताकि कल को सहारा रहे या न रहे, उन्हें पैसे की कोई तंगी न हो.

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0 Comments

  1. kabeer

    April 6, 2016 at 5:57 am

    अभी पिछले सैटरडे २ अप्रैल को मुंबई सहारा यूनियन से विशाल मोरे व् मिश्रा को नॉएडा सहारा के ऑफिस में मिस्टर उपेंद्र राय से मिलने को आया था पता नहीं क्या बात हुआ. लकिन कुछ तो हुआ वो ऐसे की विशाल मोरे य मिश्रा का जाने के बाद उपेंद्र राय ने विजय राय को बुलाया था ओर करीबन २ से ३ घंटा दोनों मैं बात हुआ था. अब मुंबई मैं कर्मचारियो के खिलाफ विशाल मोरे व् मिश्रा मिल कर क्या पका रहा हों यह तो आने वाला समय ही बताएगा इतना तो तय है की मुंबई के यूनियन भी उपेंद्र के हाथ बिक गया गया है नॉएडा ऑफिस मैं भी कुछ ठीक नहीं चल रहा है नॉएडा मैं तो उपेंद्र य विजय राय ने मिलकर कर्मचारियो मैं फुट ढाल दिया है तो यहाँ तो कुछ होने वाला नहीं.

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