राष्ट्रीय सहारा ग्रुप प्रबंधन ने अपना पूरा मीडिया तंत्र पहली सितंबर से विदेशी कंपनी की साझेदारी में संचालित करने का निर्णय लिया है। अब सहारा मीडिया में उस कंपनी की 15 प्रतिशत और सहारा की 85 प्रतिशत साझेदारी होगी। मीडिया कर्मियों की सैलरी भी अब उसी कंपनी के माध्यम से जारी होगी। पता चला है कि इस हाई प्रोफाइल डील में सहारा उर्दू दिल्ली के ग्रुप एडिटर फैजल का हाथ रहा है। कंपनी के चेयरमैं सुव्रतो रॉय ने अपने शीर्ष अधिकारियों तक से कहा है कि तकनीकी कराणों से कंपनी का नाम अभी सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। वह कंपनी कौन सी है, इसको लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं।
गौरतलब है कि इससे चार माह पहले एक मीराज नामक कंपनी के साथ भी सहारा का कमोबेश इसी तरह का टाइअप हुआ था। शुरू में तो उस कंपनी ने बड़ी-बड़ी बातें कीं लेकिन बाद में उसकी सहारा प्रबंधन से अनबन हो गई। उसने सुप्रीम कोर्ट में सहारा पर चीटिंग का आरोप लगाते हुए याचिक दायर कर दी। बाद में दोनो पक्षों में समझौता हो गया था। इस कंपनी को लेकर जो तरह तरह के अंदेशे जताए जा रहे हैं, उनमें एक यह भी है कि विदेशी कंपनी सहारा प्रबंधन की ओर से प्रायोजित है। चूंकि आने वाले दिनों में सहारा में रिसीवर बैठने वाला है। वह ग्रुप की सारी कंपनियां अपनी कस्टडी में ले लेगा। इससे पूर्व सहारा प्रबंधन ये चालाकी लेकर चल रहा है कि सहारा मीडिया को अपने कब्जे में बचा लिया जाएगा। रिसीवर को विधिक रूप से अवगत कराया जा सकेगा कि सहारा मीडिया तो विदेशी कंपनी के आधिपत्य में संचालित है।
सूत्रों से पता चला है कि पिछले दिनो तीन अगस्त को शाम चार बजे से पांच बजे तक तिहाड़ जेल में एक मीटिंग के दौरान सहारा ग्रुप के चैयरमैन सुव्रतो रॉय से निर्देश मिलने के बाद गोरखपुर सहारा के मैनेजर पीयूष बंका, लखनऊ सहारा के मैनेजर मुनीष सक्सेना व संपादक मनोज तोमर तथा कानपुर सहारा के मैनेजर अमर सिंह को ये जानकारी दी। सिंह ने इन यूनिट व्यवस्थापकों को निर्देश दिया कि हाईकमान के इस निर्णय से संस्थान के कर्मचारियों को अवगत करा दिया जाए। कल शाम इन यूनिटों में ये सूचना प्रसारित कर दी गई। इसे लेकर सहारा कर्मियों में तरह तरह की चर्चाएं सरगर्म हो चली हैं। उनकी सबसे बड़ी चिंता मजीठिया वेतनमान लागू होने को लेकर है।
सहारा कर्मियों को बताया गया कि सहारा प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक दोनो मीडिया का प्रबंधन दस साल की लीज पर एक कंपनी को सौंप दिया गया है। (सूत्रों के अनुसार कंपनी संभवतः दुबई की है।) लिखित समझौते के मुताबिक पहली सितंबर 2015 से सहारा मीडिया की व्यवस्था में सहारा मीडिया की 85 परसेंट और विदेशी कंपनी की 15 परसेंट साझेदारी लागू हो जाएगी। अगस्त माह की आधी सैलरी सहारा देगा। इसके बाद सितंबर से कंपनी के आधिपत्य के बाद सेलरी वही कंपनी देगी।
ROZNAMA SAHARA
August 16, 2015 at 1:51 am
FAISAL ALI JHOTHA MAKKHAR KAMENA KOTTA KA DIN LAT GAYA HAI.. FAISAL ALI KE SALERY 50000/- KAR DIYA GAYA HAI.URDU UNIT KO BAHUT PRISHAN KIYA HAI FIASAL ALI… KUTTE KO DAM HAI TO URDU UNIT KO BAQAYA SELRY DILWA DEN…
URDU MEDIA SAHARA WORKER GROP
Dinesh Manu
August 6, 2015 at 8:17 am
हरामखोरों कंपनी बेचने से पहले मेरे बकाये पैसे तो दे दो.सैलरी छोड़ तुम चोर Provident Fund का पैसा भी खा गए. अंधेरगर्दी है मोदी जी. भीमजबूरी में कंपनी छोड़ने वाले हम पूर्व कर्मियों को सुब्रत से कोई तो पैसे दिलवा दो. अरे है कोई माई का लाल……कानून का रखवाला
पितामह भीष्म
August 6, 2015 at 8:43 am
अब सहारा में होगा “शेख प्रणाम”
vishnu
August 6, 2015 at 10:48 am
अजब हाल है, राष्ट्रीय सहारा अखबार का। उन बेचारे स्टींगरों का क्या होगा जो पांच साल से वेतन में बिना एक रुपये की बढ़ोतरी किये। केवल आशा, दिलाशा के नाम पर ‘गे जा रहे हैं। गरीबों की आह ऐसी लगी की बिखरा गया सहारा साम्राज्य। ऐसी आह न बटोरो की जिंदगी से घृणा हो जाए।
vishnu
August 6, 2015 at 10:51 am
अजब हाल है, राष्ट्रीय सहारा अखबार का। उन बेचारे स्टींगरों का क्या होगा जो पांच साल से वेतन में बिना एक रुपये की बढ़ोतरी किये। केवल आशा, दिलाशा के नाम पर ठगे जा रहे हैं। गरीबों की आह ऐसी लगी की बिखरा गया सहारा साम्राज्य। ऐसी आह न बटोरो की जिंदगी से घृणा हो जाए।
Kapil Zee
August 6, 2015 at 7:57 pm
मैं सहारा समय में एंकर था. बिना सैलरी भी कुछ महीने काम करता रहा. जब चैनल कहीं भी दिखना बंद हो गया तो परेशान होकर कहीं और ज्वाइन करना पड़ा. इस घटिया सुब्रत ने बकाया पैसे तो नहीं ही दिए. हमारे पीएफ का पैसा भी खा गया. गड़बड़झाले की इंतेहा ये कि कोई सरकारी तंत्र इसकी जांच भी नहीं करता कि आखिर कर्मचारियों के प्रोविडेंट फंड का पैसा क्यों नहीं जमा हुआ. अखिलेश सरकार तो सहारा की संरक्छक है
द्रोणाचार्य
August 7, 2015 at 7:02 am
वैसे तो सहारा में कागजी कारवाही बहुत होती है, पर जब सहारा कोई फ्रॉड काम करता है तो मौखिक सूचना देता है। ये सब वर्कर का पैसा मारने का शेडूल है। सभी सहारा कर्मचारियों से अपील है वे सब यूनियन बनाने में सहयोग करें।
धन्यवाद
प्रणाम
pankaj
August 13, 2015 at 12:12 am
अब भी जो सहारा मे काम कर रहे है उनसे पूछना पडेगा कि भाई आप के कौन सा खजाना है जो बिना सेलरी के अब तक काम कर रहे हो।अगर कोई कम्पनी सहारा को ले रहा है तो सबसे पहले जो अभी भी सहारा मे काम कर रहे लोगों से पूछे जरूर सब धीरे धीरे नौकरी छोड़ के गये पर आप कयू नहीं गये।मेरा दावा है ईस समय सिर्फ सहारा वो ही काम कर रहे है जो दलाल है या न0 दो काम करते है।