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दैनिक जागरण नोएडा हड़ताल : देखिए और पढ़िए जीत के इस निशान को, सलाम करिए मीडियाकर्मियों की एकजुटता को

जो मालिक, जो प्रबंधन, जो प्रबंधक, जो संपादक आपको प्रताड़ित करता है, काम पर आने से रोकता है, तनख्वाह नहीं बढ़ाता है, बिना कारण ट्रांसफर करने से लेकर इस्तीफा लिखवा लेता है, वही मालिक प्रबंधन प्रबंधक संपादक जब आप एकजुट हो जाते हैं तो हारे हुए कुक्कुर की तरह पूंछ अपने पीछे घुसा लेता है और पराजित फौज की तरह कान पकड़कर गल्ती मानते हुए थूक कर चाटता है. जी हां. दैनिक जागरण नोएडा में पिछले दिनों हुई हड़ताल इसका प्रमाण है. कर्मचारियों की जबरदस्त एकजुटता, काम का बहिष्कार कर आफिस से बाहर निकल कर नारेबाजी करना और मैनेजरों के लालीपॉप को ठुकरा देना दैनिक जागरण के परम शोषक किस्म के मालिक संजय गुप्ता को मजबूर कर गया कि वह कर्मचारियों की हर मांग को मानें.

जो मालिक, जो प्रबंधन, जो प्रबंधक, जो संपादक आपको प्रताड़ित करता है, काम पर आने से रोकता है, तनख्वाह नहीं बढ़ाता है, बिना कारण ट्रांसफर करने से लेकर इस्तीफा लिखवा लेता है, वही मालिक प्रबंधन प्रबंधक संपादक जब आप एकजुट हो जाते हैं तो हारे हुए कुक्कुर की तरह पूंछ अपने पीछे घुसा लेता है और पराजित फौज की तरह कान पकड़कर गल्ती मानते हुए थूक कर चाटता है. जी हां. दैनिक जागरण नोएडा में पिछले दिनों हुई हड़ताल इसका प्रमाण है. कर्मचारियों की जबरदस्त एकजुटता, काम का बहिष्कार कर आफिस से बाहर निकल कर नारेबाजी करना और मैनेजरों के लालीपॉप को ठुकरा देना दैनिक जागरण के परम शोषक किस्म के मालिक संजय गुप्ता को मजबूर कर गया कि वह कर्मचारियों की हर मांग को मानें.

जब संजय गुप्ता ने लिखित तौर पर मांग मानने की बात कही, मजीठिया मांगने के कारण उत्पीड़ित करते हुए ट्रांसफर किए गए लोगों से भूल सुधार करते हुए ट्रांसफर रद करने की बात कही तो कर्मचारी शांत हुए व काम पर लौटे.

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ये लेटर असल में मीडियाकर्मियों की एकजुट ताकत के भय से पैदा असर का प्रतीक है. आप अलग अलग रहोगे, अलग अलग अपना भविष्य तलाशोगे, अलग अलग अपना करियर बनाओगे तो आपको एक एक कर मालिकों मैनेजरों द्वारा मार दिया जाएगा, नष्ट कर दिया जाएगा. जब एकजुट रहोगे, एकजुट होकर अपनी ताकत के साथ अपने मुद्दों पर भिड़ोगे तो इन्हीं मैनेजरों-मालिकों को झुका पाओगे और अपनी शर्त के साथ नौकरी कर पाओगे.

ये मालिक और मैनेजर हम मीडियाकर्मियों को अपना गुलाम, अपना दास, अपना सेवक, अपना धंधेबाज, अपना बाडीगार्ड, अपना चेला, अपना चिंटू, अपना मेठ बनाकर रखना चाहते हैं. जबकि भारत की शासन व्यवस्था में मीडियाकर्मियों को कई अतिरिक्त अधिकारों से लैस किया गया है. ये मालिक उन अधिकारों को नहीं देना चाहते. ये नहीं चाहते कि हम आप समृद्ध हो सकें, तार्किक हो सकें, लोकतांत्रिक हो सकें. ये अपने पर निर्भर रखना चाहते हैं. इसी कारण कम से कम सेलरी देकर आपको मजबूर बनाए रखना चाहते हैं. भारत सरकार ने बहुत पहले से व्यवस्था की हुई है कि वेज बोर्डों के जरिए मीडियाकर्मियों की आजादी को बरकरार रखा जा सके. आप तभी आजाद रह पाएंगे जब आप आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हों. लेकिन सैकड़ों करोड़ मुनाफा कमाने वाले मीडिया मालिक किसी भी दशा में वेज बोर्ड न देना चाहते हैं और न देने की मंशा रखते हैं. सुप्रीम कोर्ट तक से इन्हें डर नहीं लगता. अब गेंद हमारे आपके पाले में है. आपको हमको संगठित होना पड़ेगा और गुंडई करने वाले मालिकों मैनेजरों को सबक सिखाना पड़ेगा. कहीं किसी यूनिट में अगर किसी भी मीडियाकर्मी को मजीठिया वेज बोर्ड मांगने के कारण परेशान किया जाता है तो सभी को मिलकर काम ठपकर गेट से बाहर आ जाना चाहिए ताकि मालिकों मैनेजरों को औकात पर लाया जा सके. दैनिक जागरण नोएडा ने रास्ता दिखा दिया है. 

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भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.

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