बहुत दिनों बाद ऐसा हुआ. इसे पहले ही हो जाना चाहिए था. डिपार्टमेंट का कोई भेद नहीं था. सब एक थे. सब मीडियाकर्मी थे. सब सड़क पर थे. सबकी एक मांग थी. मजीठिया वेज बोर्ड खुलकर मांगने और सुप्रीम कोर्ट जाने वाले जिन-जिन साथियों को दैनिक जागरण प्रबंधन ने परेशान किया, ट्रांसफर किया, धमकाया, इस्तीफा देने के लिए दबाव बनाया, उन-उन साथियों के खिलाफ हुई दंडात्मक कार्रवाई तुरंत वापस लो और आगे ऐसा न करने का लिखित आश्वासन दो.
अखबार छपने का वक्त हो चुका था लेकिन दैनिक जागरण नोएडा के कर्मी सड़क पर थे. आफिस से बाहर. सारा कामकाज ठप था. पांच-दस चिंटू टाइप लोग काम पर लगे थे, जो खुद को स्वाभिमानी मनुष्य कम, दास प्रथा वाले समय का दास ज्यादा समझते हैं. करीब तीन-चार सौ कर्मियों के सड़क पर आ जाने से दैनिक जागरण नोएडा के मालिक संजय गुप्ता के आंखों की नींद चली गई. वे जहां थे, वहीं चौकन्ने हो गए. आफिस से हाटलाइन से जुड़ गए. मैनेजरों को तुरंत हड़ताल खत्म कराने के लिए कहने लगे. मैनेजर अंदर बाहर यानि कभी हड़ताली कर्मियों से बात करने आते तो कभी अंदर जाकर संजय गुप्ता को रिपोर्ट बताते. देखते ही देखते कई न्यूज पोर्टलों, न्यूज चैनलों और अखबारों के लोग इस हड़ताल को कवर करने पहुंच गए. यह नई परिघटना थी. अखबार के हड़ताली कर्मियों की खबर को भी कवर किया जाने लगा है. यह न्यू मीडिया का प्रताप है. यह बदलते दौर और बदलती तकनीक का कमाल है. भड़ास पर खबर फ्लैश होते ही देश भर के लोगों के फोन दैनिक जागरण नोएडा में काम करने वालों के मोबाइल पर घनघनाने लगे.
मैनेजरों की एक न चली. साले लालीपाप वापस कर दिए गए. मीडियाकर्मी अपनी मांग पर अड़े रहे. नोएडा के हड़ताल की आग हिसार यूनिट तक पहुंच गई. वहां भी मीडियाकर्मी काम ठप कर चुके थे. संजय गुप्ता के हाथ-पांव फूलने लगे. खुद को बहुत काबिल, विद्वान और बड़ा आदमी समझने वाला संजय गुप्ता इस रात लाचार था. दिल्ली चुनाव और नतीजों को लेकर अनुमान संबंधी खबरें छापी जानी थी. रविवार का एडिशन था. इस रोज बहुत ज्यादा अखबार बिकता है. अगर अखबार मार्केट में न आया तो जागरण की थूथू होने लगेगी, दूसरे अखबारों की चांदी हो जाएगी. ऐसे में किसी भी तरह हड़ताल को खत्म करना था. परम कंजूस और शोषक किस्म का आदमी संजय गुप्ता अंतत: समर्पण की मुद्रा में आ गया. दैनिक जागरण का मालिक संजय गुप्ता मीडियाकर्मियों की ताकत के आगे झुक गया. सभी तबादले और दंडात्मक कार्रवाई वापस करने की बात मान ली. आगे भी परेशान ना करने का वादा किया. मजीठिया वेज बोर्ड के लिए जो लोग सुप्रीम कोर्ट गए हैं, उनको भी नहीं छेड़ने का आश्वासन दिया. यह सब लिखित रूप में किया.
यह बात जब हड़ताली कर्मियों को बताई गई तो उन्होंने आपस में विचार विमर्श किया और इस वादे के साथ हड़ताल समाप्त करने का फैसला लिया कि अगर मालिकों ने फिर कभी किसी को परेशान किया तो ऐसे ही सभी साथी हड़ताल कर आफिस से बाहर आ जाएंगे. यह बहुत बड़ी परिघटना थी. बहुत दिनों बाद ऐसी एकजुटता दिखी. अगर यही एकजुटता शुरू से रही होती तो इन मालिकों की औकात न होती कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से सेलरी न दें. देर आए दुरुस्त आए साथियों. यही भावना बनाए रखिए. मालिकों, मैनेजरों और संपादकों के लग्गू-भग्गू व चिंटू दस-पांच ही होते हैं और इनकी कोई औकात नहीं होती कि वे आप लोगों की एकजुटता में फूट डाल दें. ये हड़ताल बाकी मीडिया हाउसों के कर्मियों के लिए भी नजीर है. आप सब एक हो गए तो आप लोगों का खून पी पी कर मोटे बड़े हो गए इन मीडिया मालिकों को औकात में आना पड़ेगा. जिस तरह संजय गुप्ता को उनके मीडियाकर्मियों की हड़ताल के कारण रात भर नींद नहीं आई और अपने एकजुट व गुस्साए कर्मियों के आगे सरेंडर करना पड़ा, उसी तरह दूसरे मीडिया हाउसों के मालिकों के साथ भी यही होना है.
हड़ताल स्थल पर मोबाइल कैमरे के जरिए शूट किया गया वीडियो देखें: https://www.youtube.com/watch?v=EA32dSYnbgY
हड़ताल स्थल से लौटे भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की रिपोर्ट.
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Comments on “संजय गुप्ता को रात भर नींद नहीं आई, जागरण कर्मियों में खुशी की लहर”
Vishnu Tripathi jagran karmiyon sa baat karna sarab pe kar aaya tha. Usko pradeep or om verma or ratan nabkhub gaale de . Vishnu haat joor kar lagatar maafi mangata raha. Vishnu na jagran ko barbaad kar diya..
😀