Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

क्या संसद भवन वाकई अभिशप्त है!

संजय कुमार सिंह-

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट कुछतथ्य‘… मोदी का भयंकर सपना, दंभ का स्मारक हैदेश जब भारी मुसीबत में है तो केंद्र सरकार की विलासितापूर्ण परियोजना जोर शोर से चल रही है। इसे रोकने और जनता की भलाई पर ध्यान देने की मांग का कोई असर नहीं हुआ है। इसका कारण बिल्डिंग को “अभिशप्त” कहने पर सरकार की ओर से एक मंत्री भारी एतराज कर चुके हैं। लेकिन तथ्य अपनी जगह है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जब स्मार्ट सिटी परियोजना टल गई, पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था आंसुओं में बह गई तो यह परियोजना क्यों जरूरी है। इसपर thecritic.co.uk में कपिल कोमीरेड्डी ने एक विस्तृत टिप्पणी लिखी है। पेश हैं उसकी खास बातें। पूरी टिप्पणी संबंधित website पर जाकर पढ़ सकते हैं।

  1. उस समय भाजपा समर्थित शिवसेना के मनोहर जोशी (2002) में लोकसभा के अध्यक्ष थे। उन्हें यह यकीन था कि संसद भवन अभिशप्त है। बारहवीं लोक सभा के अध्यक्ष गन्ती मोहन चन्द्र बालायोगी का 3 मार्च 2002 को आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले, के कैकालुर में एक हेलीकाप्टर दुर्घटना में निधन हो गया था। इससे पहले 27 जुलाई 2002 को दिल का दौरा पड़ने से उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के अध्यक्ष कृष्णकांत का निधन हो गया था। इससे आठ महीने पहले आतंकवादी संसद के चौखट तक पहुंच गए थे और उन्हें रोकने में दर्जन भर से ज्यादा सुरक्षा कर्मी मारे गए थे। बीच में कुछ सांसदों की भी मौत हुई थी।
  2. मनोहर जोशी ने अधिवक्ता और वास्तु विशेषज्ञ अश्विनी कुमार बंसल को सुधार के उपाय सुझाने के लिए कहा। निरीक्षण के दौरान बंसल को नकारात्मक कंपन और ऊर्जा का अहसास हुआ। लोकसभा अध्यक्ष को एक गोपनीय पत्र में उन्होंने कहा कि यह गोल बिल्डिंग है जो देश की राजनीति के लिए बुरी है। विदेशियों का बनाया, गोल मतलब शून्य और हिन्दुत्व से कोई निष्ठा न होने जैसी बातें भी थीं।
  3. कई सांसदों और उनके बच्चों की अचानक मृत्यु को भवन के बुरे भविष्य का सबूत बताया गया और चार भारतीय प्रधानमंत्रियों के अस्वाभाविक निधन को भी बिल्डिंग के दोष का कारण बताया गया। उन्होंने सलाह दी थी कि संसद भवन को तुरंत खाली कर दिया जाए, एक संग्रहालय में बदल दिया जाए और संसद को तत्काल पास के कनवेंशन सेंटर में स्थानांतरित कर दिया जाए।
  4. 2012 में कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार ने इस पर फिर काम शुरू किया। इस बार बहाना पुरानी बिल्डिंग और उसका प्रभाव आदि था। वहां से निकलने के लिए सुरक्षा को कारण बताया गया पर यह योजना किसी समिति के रूप में मर गई।
  5. नरेन्द्र मोदी ने इसकी फिर से शुरुआत की। वे खुद को न सिर्फ प्रधानमंत्री के रूप में देखते हैं बल्कि नए भारत का पितामह भी मानते हैं। उन्होंने इसके लिए 2 बिलियन पौंड से ज्यादा आवंटित कर दिए गए हैं जबकि स्वास्थ्य से संबंधित आपात आवश्यकताओं के लिए आवंटन 1.6 बिलियन पौंड ही है। यह एक अजीब विडंबना है कि अनजान मोदी खुद वही काम कर रहे हैं जो अंग्रेजों ने सत्ता के शिखर पर होते हुए किया था।

अब आप समझ सकते हैं कि पूर्व नौकरशाहों ने अपनी चिट्ठी में जब लिख दिया कि इस प्रोजेक्ट को ऐसे समय में भी स्थगित नहीं करने का कारण यह माना जा रहा है कि बिल्डिंग अभिशप्त है तो केंद्रीय मंत्री ने अपने पूर्व साथियों और नौकरशाहों को पढ़े लिखे मूर्ख कहा। इसपर 10 जून 2021 को द टेलीग्राफ में खबर छपी है। जब आप इस मामले में पूरी रपट पढ़ेंगे तो समझ में आएगा कि सरकार की प्रतिक्रिया इतनी सख्त क्यों थी और सरकार वास्तु आदि की बात नहीं मानती है, यह किसी सिख मंत्री से कहलवाने का भी कोई कारण है क्या?

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement