Connect with us

Hi, what are you looking for?

राजस्थान

वरिष्ठ पत्रकार बहादुर सिंह सरूपरिया का निधन

उदयपुर : प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार बहादुर सिंह सरूपरिया का गुरुवार को निधन हो गया। वे 78 वर्ष के थे। सन् 1958 में उन्होंने जयपुर से प्रकाशित ‘गणराज्य’ से पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा। इससे पूर्व उन्होंने भारतीय लोककला मण्डल, आयुर्वेद सेवाश्रम और गांधी सेवा सदन, राजसमन्द में भी विभिन्न पदों पर कार्य किया। 22 अगस्त, 1937 को एडवोकेट ख्यालीलाल सरूपरिया के घर जन्मे श्री सरूपरिया को स्कूली जीवन से ही साहित्य, कला एवं पत्रकारिता से गहरी रूचि थी। आगे चलकर उन्होंने पत्रकारिता को ही अपना कर्म-धर्म बनाया।

<p>उदयपुर : प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार बहादुर सिंह सरूपरिया का गुरुवार को निधन हो गया। वे 78 वर्ष के थे। सन् 1958 में उन्होंने जयपुर से प्रकाशित ‘गणराज्य’ से पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा। इससे पूर्व उन्होंने भारतीय लोककला मण्डल, आयुर्वेद सेवाश्रम और गांधी सेवा सदन, राजसमन्द में भी विभिन्न पदों पर कार्य किया। 22 अगस्त, 1937 को एडवोकेट ख्यालीलाल सरूपरिया के घर जन्मे श्री सरूपरिया को स्कूली जीवन से ही साहित्य, कला एवं पत्रकारिता से गहरी रूचि थी। आगे चलकर उन्होंने पत्रकारिता को ही अपना कर्म-धर्म बनाया।</p>

उदयपुर : प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार बहादुर सिंह सरूपरिया का गुरुवार को निधन हो गया। वे 78 वर्ष के थे। सन् 1958 में उन्होंने जयपुर से प्रकाशित ‘गणराज्य’ से पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा। इससे पूर्व उन्होंने भारतीय लोककला मण्डल, आयुर्वेद सेवाश्रम और गांधी सेवा सदन, राजसमन्द में भी विभिन्न पदों पर कार्य किया। 22 अगस्त, 1937 को एडवोकेट ख्यालीलाल सरूपरिया के घर जन्मे श्री सरूपरिया को स्कूली जीवन से ही साहित्य, कला एवं पत्रकारिता से गहरी रूचि थी। आगे चलकर उन्होंने पत्रकारिता को ही अपना कर्म-धर्म बनाया।

वे अणुव्रत मासिक कलकत्ता, राष्ट्रदूत, अमर राजस्थान, देशदूत जयपुर, जनगण जोधपुर, पन्द्रह अगस्त, कोलाहाल, प्रगति, उदयपुर से भी लम्बे तक जुडे रहे। नवभारत टाइम्स में संवाददाता के रूप में सेवाएं देने के बाद वे कपूर्रचंद कुलिश के आग्रह पर राजस्थान पत्रिका से जुडे और लम्बे कालखण्ड तक सेवाएं दी। पत्रकारिता जगत में पांच दशक तक सक्रिय रहे सरूपरिया की दृष्टि पत्रकारिता के आधारभूत मुद्दों पर बिल्कुल स्पष्ट थी। उनके कई समाचार और आलेख काफी चर्चित और परिणाममूलक रहे। उन्होंने कई बार खतरे भी मोल लिए लेकिन किसी प्रकार का समझौता स्वीकार नहीं किया। सरूपरिया का पत्रकारिता जगत को महत्वपूर्ण योगदान ‘साधना इन्फोर्मेशन सर्विस’ की स्थापना था। नियमित संवाद सेवा के साथ ही इस संस्थान ने विभिन्न विषयों पर कई महत्वपूर्ण प्रकाशन किए। वे अपने पीछे शोकाकुल पत्नी उगमदेवी, पुत्र भूमित्र, हर्ष मित्र, पुत्रियां साधना व कविता का भरापूरा परिवार छोड गए हैं

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement