पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को उच्चतम न्यायालय ने जोर से झटका देते हए कहा है कि कार्ति चिदंबरम यदि विदेश जाने के लिए पहले से जमा दस करोड़ रूपये का रिफंड चाहते हैं तो उच्चतम न्यायालय रिफंड कर देगा, लेकिन मई-जून को विदेश जाने के लिए दस करोड़ की सुरक्षा राशि को बढ़ाकर 20 करोड़ कर देगा।
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कांग्रेस के नव निर्वाचित सांसद कार्ति चिदंबरम की याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने विदेश यात्रा के लिए कोर्ट की रजिस्ट्री के पास जमा कराए गए 10 करोड़ रुपये की राशि वापस करने का अनुरोध किया था। यह राशि उन्होंने विदेश यात्रा की शर्त पर जमा करवाए थे। मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अवकाश पीठ ने कार्ति से कहा है कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र पर ध्यान दें। कार्ति ने दावा किया था कि उन्होंने यह राशि कर्ज पर ली है और वह इस पर ब्याज चुका रहे हैं। कार्ति आईएनएक्स मीडिया केस और एयरसेल मैक्सिस केस में आरोपी हैं।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अगर वो पुराने मामले के दस करोड़ वापस चाहते हैं तो कोर्ट रिफंड कर देगा। लेकिन मई-जून को विदेश जाने के लिए दस करोड़ की सुरक्षा राशि को बढ़ाकर 20 करोड़ कर देगा।
कार्ति चिदंबरम ने कहा कि उन्हें 10 करोड़ रुपये का कर्ज लेने के लिए मजबूर होना पड़ा और अब वह ब्याज देने के लिए बाध्य हैं।ऐसी स्थिति में पहले जमा की गई राशि वापस की जानी चाहिए।कोर्ट ने 7 मई को कार्ति (को मई और जून में विदेश यात्रा की अनुमति दी थी लेकिन शर्त लगाई थी कि 10 करोड़ रुपये की सुरक्षा राशि जमा करने के बाद ही वो विदेश जा सकते हैं।
उच्चतम न्यायालय ने कार्ति चिदंबरम को 7 मई को अमेरिका, जर्मनी और स्पेन की यात्रा पर जाने की अनुमति दी थी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता एवं न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की एक पीठ ने कहा था कि विदेश यात्रा की यह अनुमति पूर्व में लगाई शर्तों के अनुपालन पर निर्भर करेंगी। उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल के पास कार्ति को 10 करोड़ की राशि जमा करानी होगी, जो अपने देश लौटने पर उन्हें वापस दे दी जाएगी।उच्चतम न्यायालय ने जनवरी में भी 10 करोड़ रुपये जमा करने के बाद कार्ति को विदेश जाने की अनुमति दी थी। अब कार्ति ने वो रुपये वापस मांगे हैं।कार्ति चिदंबरम सीबीआई एवं ईडी द्वारा जांच किए जा रहे आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं।
उच्चतम न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय के अनुरोध पर कार्ति को एक लिखित आश्वासन दाखिल करने का निर्देश दिया था, जिसमें उनकी उड़ानों का विवरण और भारत लौटने की तारीख हो और देश लौटने के बाद जांच में सहयोग करने की बात हो। जांच एजेंसी ने इससे पहले विदेश जाने के लिये कार्ति के आवेदन का विरोध किया था और कहा था कि वह सवालों के जवाब नहीं दे रहे हैं और जांच में सहयोग भी नहीं कर रहे हैं, जिसकी वजह से जांच पूरी होने में विलंब हो रहा है। जांच एजेंसी ने न्यायालय से कहा था कि पिछले छह महीने में कार्ति चिदंबरम 51 दिन विदेश रहे हैं।
गौरतलब है कि आईएनएक्स मीडिया केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कार्ति चिदंबरम पर पिछले साल अक्टूबर महीने में बड़ी कार्रवाई की थी। ईडी ने कार्ति चिदंबरम की भारत और विदेशों में मौजूद 54 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है। इसमें उनके बैंक अकाउंट भी शामिल हैं। कार्ति पर आरोप है कि 2007 में विदेश से 305 करोड़ रुपये पाने के लिए उन्होंने आईएनएक्स मीडिया के मालिकों की मदद की। 2007 में कार्ति के पिता पी. चिदंबरम वित्त मंत्री थे।
आईएनएक्स मीडिया की मालिक इंद्राणी मुखर्जी ने इस साल 17 फरवरी को इस मामले में इकबालिया बयान दिया। उसी आधार पर कार्ति की गिरफ्तारी हुई थी। बाद में कार्ति चिदंबरम को इस मामले में जमानत मिल गई थी। बाद में उन्हें जांच में सहयोग करने के निर्देश और कुछ शर्तों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें विदेश जाने की भी इजाजत दी।
ईडी ने प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के विभिन्न प्रावधानों के तहत कार्ति और अन्य पर पिछले साल मई में केस दर्ज किया था। एफआईआर में कार्ति पर आरोप लगाया गया है कि अपने पिता के केंद्रीय वित्त मंत्री रहते उन्होंने आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की मंजूरी दिलाने के बदले में 3.5 करोड़ की रकम ली थी।
पिछले साल 15 मई को दर्ज हुई एक एफ़ाइआर के सिलसिले में कार्ति को एक बार गिरफ्तार भी किया जा चुका है। कार्ति पर आरोप है कि 2007 में विदेश से 305 करोड़ रुपये पाने के लिए उन्होंने आईएनएक्स मीडिया के मालिकों की मदद की। 2007 में कार्ति के पिता पी. चिदंबरम वित्त मंत्री थे।आईएनएक्स मीडिया की मालिक इंद्राणी मुखर्जी ने इस साल 17 फरवरी को इस मामले में इकबालिया बयान दिया। उसी आधार पर कार्ति की गिरफ्तारी हुई थी। बाद में कार्ति चिदंबरम को इस मामले में जमानत मिल गई थी।