कंपनी के कागजात जमा करने को ज्यादा समय देने से किया इनकार, सुनवाई के लिए अंतिम 2 दिन की मोहलत, फिर 2 फरवरी की डेट लगी, पीठासीन अधिकारी का बदला नज़र आया रुख, मजीठिया के अन्य केसों में भी दो दिन बाद फिर सुनवाई, हिन्दुस्तान के पैरोकारों की श्रम न्यायालय ने टालमटोल करने पर लगाई फटकार
बरेली। मजीठिया वेतनमान के लिए संघर्ष कर रहे साथियों के लिए देश की सबसे बड़ी अदालत से नए साल के साथ ही राहत भरी खबर मिली है, सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल व सभी राज्यों के श्रमायुक्तों को नोटिस जारी होने का पूरा असर तत्काल ही श्रम न्यायालयों पर नज़र आने लगा।
बुधवार को बरेली के श्रम न्यायालय में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का असर देखने को मिला। मजीठिया वेज बोर्ड के अवार्ड के लिए हिंदुस्तान समाचारपत्र के वरिष्ठ कॉपी एडिटर राजेश्वर विश्वकर्मा के केस की बुधवार को सुनवाई थी। प्रतिपक्षी हिन्दुस्तान मीडिया वेंचर्स लिमिटेड को वादी को मांगी गई कंपनी की बैलेंसशीट व अन्य कागजात प्रस्तुत करने थे, कंपनी हर बार की तरह इस बार भी बहानेबाजी कर लंबी तारीख लेने की तैयारी में थी मगर पीठासीन अधिकारी जस्टिस विनोद कुमार का रुख बेहद कड़ा रहा और उन्होंने कंपनी के पैरोकारों की फटकार लगाते हुए साफ कहा कि अब सिर्फ अंतिम मोहलत दी जा रही है। दो दिन से ज्यादा का समय हरगिज नहीं मिलेगा। 2 फरवरी तक वादी पक्ष को मांगे गए कागजात सौंप दें। अन्यथा कार्यवाही की प्रक्रिया आगे बढ़ा दी जाएगी। अब लंबी तारीखें हरगिज नही मिलेंगी।
बता दें कि बुधवार को श्रम न्यायालय बरेली में मजीठिया केसों में अब तक जहां एक सप्ताह व उससे ऊपर की डेट मिल रही थी, वहां दो या तीन दिन की ही डेट लगाई गई। नियोक्ता को चेतावनी के साथ ही अंतिम अवसर दिया गया।
ज्ञात हो कि देशभर के श्रम न्यायालयों में करीब दो साल से मजीठिया के प्रकरण विभिन्न् कारणों से लंबित हैं। अखबार प्रबंधन श्रम न्यायालयों के अंतरिम आदेशों को लेकर हाईकोर्ट जाकर मामले में स्टे लेकर लंबित करने का प्रयास कर रहा है। इससे मामलों में अनावश्यक देरी हो रही है।
इसके अलावा प्रबंधन की मंशा थी कि किसी भी श्रम न्यायालय से कोई अवार्ड पारित न हो सके। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश का असर बरेली में बुधवार को देखने को मिला, जब श्रम न्यायालय ने मजीठिया मामले में मात्र दो दिन बाद की डेट देते हुए कागजात जमा करने के लिए नियोक्ता को अंतिम अवसर दिया। इससे मजीठिया मामले में संघर्ष कर रहे साथियों में खुशी की लहर दौड़ गई है।
बरेेली से निर्मलकांत शुक्ला की रिपोर्ट.
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