Vimlendu Singh-
संपादक जी नहीं रहे। कुछ लोगों का व्यक्तित्व ही ऐसा होता है जिन्हें देखकर आप मोहित हो जाते हैं। शैलेंद्र दीक्षित सर ऐसे ही व्यक्ति थे। एडिटर तो मेरे बहुत हुए लेकिन ‘संपादक जी’ बस एक ही हुए। शैलेंद्र दीक्षित सर। इनके साथ काम करने का मौका मिला। इनसे बहुत कुछ सीखा। अपनापन बढ़ा तो जीवन से जुड़ी काफी निजी बातें शेयर करता था। सुख दु:ख की बातें होती थीं। राह बताते थे।
अभी पता चला कि आज ही अचानक विदा हो गए। कानपुर में ही। परमात्मा ने बुला लिया। सिर्फ डेढ़ साल पहले आंटी गुजर गई थीं। यहीं पारस, पटना में। और आज यह खबर। सर के माता पिता जीवित हैं। ऐसे में उन्हें अभी इस दुनिया में रहना था लेकिन होनी को कौन टाल सकता है। दैनिक जागरण को उन्होंने एक अलग पहचान दी थी और कई नवांकुर और अनगढ़ को पत्रकारिता में मौका दे उन्हें वटवृक्ष बनने का मौका दिया। श्रद्धांजलि Shailendra Dixit सर। परमपिता परमेश्वर आपको मोक्ष दें। अनुपम दीक्षित Anupam Dixit भाई और सभी परिजनों के प्रति इस दुःख की घड़ी में हार्दिक संवेदना।
Anoop Bajpai-
अभी चार दिन पहले आप हमें समझा रहे थे कि खुद को व्यस्त रखना कितना जरूरी है अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए। और आज अचानक हम सबको छोड़कर आप गोलोकवास को चले गए। ( कानपुर प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष आज और जागरण जैसे अखबारों में सम्पादक रहे सरस्वती पुत्र शैलेन्द्र दीक्षित जी का असामायिक निधन। )
Chandrakant Tripathi-
अनुजवत् प्रिय शैलेंद्र दीक्षित पूर्व स्थानीय संपादक दैनिक आज, कानपुर व दैनिक जागरण, पटना का असमय अवसान हृदय विदारक है, प्रतिदिन संपर्क में थे हम लोग। आज ही प्रातः अपने संदेश में मेरे कानपुर आने पर भेंट की बात लिखी थी। स्तब्ध हूँ, निशब्द हूँ, व्यथित हृदय से तुम्हें अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ बंधु ।
Dhirendra nath srivastava-
वरिष्ठ पत्रकार श्री शैलेन्द्र दीक्षित जी नहीं रहे… मुझे भी सम्पादक का विशेषण और पटना, कोलकाता, सिलीगुड़ी तथा मुजफ्फपुर को पढ़ने का अवसर देने वाले आज, दैनिक जागरण के सम्पादक रहे देश के वरिष्ठ पत्रकार श्री शैलेन्द्र दीक्षित जी नहीं रहे। ईश्वर श्री दीक्षित जी की आत्मा को शांति दे। उनके परिवार को यह दुःसह दुख सहने की शक्ति दे।
BJ Bikash-
बिहार में दैनिक जागरण अखबार को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ पत्रकार Shailendra Dixit सर दुनिया में नहीं रहे, आज कानपुर में उनका निधन हो गया।
बिहार, झारखंड में हिंदी पत्रकारिता में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है, 2016 में पहली बार पटना में इनसे भेंट हुई थी। इनके हज़ारों शिष्य आज पत्रकारिता में हैं, इनसे काफी कुछ सीखने समझने को मिला था। पत्रकारिता की इस महान शख्सियत को शत-शत नमन।
Kamal Upadhyay-
आज मानो पत्रकारिता के एक युग का अंत हो गया… अभी दो दिन पहले ही तो बच्चों को पढ़ा रहा था, आपके पत्रकारिता की मिसाल।” मुख्यमंत्रीजी बड़ी जालिम है शराब” यही वो शीर्षक है जिसने संपादकों का कद और ताकत पूरे सूबे को बता दिया था। आपका जाना रुला गया। सादर नमन।
One comment on “एडिटर तो मेरे बहुत हुए लेकिन ‘संपादक जी’ बस एक ही हुए, शैलेंद्र दीक्षित सर!”
शैलेन्द्र दीक्षित सर ने नए लोगों को पहचाना और मौका दिया।नमन सर।