-देवप्रिय अवस्थी-
अभी-अभी पहले शंभूनाथ जी की पोस्ट, फिर उनके फोन से जनसत्ता की शुरुआती टीम के साथी श्रीश मिश्र के निधन की जानकारी मिलने से हतप्रभ रह गया। जनसत्ता की शुरुआती टीम के बेहतरीन सदस्यों में शुमार श्रीश हरफनमौला पत्रकार थे। खेल और फिल्म संबंधी विषयों पर उन्हें महारत हासिल थी।
मुझे याद है कि संजीव कुमार के निधन की खबर आने पर जब मैंने फिल्म पेज के प्रभारी मनमोहन तल्ख से फिल्म का साप्ताहिक पेज संजीव कुमार पर केंद्रित करने को कहा तो उन्होंने यह कहकर हाथ ऊंचे कर दिए कि इस हफ्ते का पेज तैयार हो चुका है। अब नया पेज नहीं बन सकता। फिर मैंने श्रीश जी से बात की तो वह फौरन एक लेख लिखने को तैयार हो गए। एक लेख संजीव कुमार के प्रशंसक रहे प्रभाष जोशी जी ने लिखा। फिर तल्ख जी ने कुछ और सामग्री जुटाकर नए सिरे से पेज तैयार किया।
श्रीश जी का चयन इंडिया टुडे (हिंदी) की शुरुआती टीम (१९८६) में हो गया था। इसमें जनसत्ता के अन्य साथी जगदीश उपासने, अशोक कुमार, सुधांशु भूषण मिश्र और अच्छेलाल प्रजापति भी शामिल थे। प्रभाष जी के आग्रह पर श्रीश जी ने इंडिया टुडे नहीं जाने का फैसला किया। देर से ही सही, उन्हें इस फैसले का लाभ भी मिला और वे जनसत्ता के स्थानीय संपादक बने।
अपने लेखन-संपादन कर्म के साथ उन्हें अपने परिवार में भी कुछ ज्यादा ही जिम्मेदारियां निभानी पड़ीं। उनसे बहुत यादें जुड़ी हैंं। ऐसे साथियों-मित्रों का अचानक जाना बहुत अखरता है। नियति के लेखे के सामने हम सब बेबस हैं।