पार्ट-1 : जाने-माने साहित्यकार गजानन माधव मुक्तिबोध की कहानी उनके बेटे की ज़ुबानी

दिवाकर मुक्तिबोध- पिताजी की आज जयंती है जिन्हें हम बाबू साहेब कहते थे। यों उन्हें याद करने किसी खास दिन की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उनकी व मां शांता जी की स्मृतियां इस जिंदगी में , इस जिंदगी तक ह्रदय में बसी हुई है, बसी रहेगी। फिर भी जन्मदिन अद्भुत तो होता ही है जो …

पार्ट-5 : जाने-माने साहित्यकार गजानन माधव मुक्तिबोध के आख़िरी दिनों के बारे में बता रहे उनके पुत्र दिवाकर मुक्तिबोध!

दिवाकर मुक्तिबोध- नागपुर हो या राजनांदगांव , मेरी स्मृति में पिताजी कभी बीमार नहीं पडे। न कभी बुखार आया और न ही खांसी। लेकिन मैं ? गांव जैसे वसंतपुर के खुले वातावरण व ताजी हवा ने मुझे स्वस्थ रखा तो यहां कालेज के मकान में, विशेषकर गर्मी के दिनों में दोनों बडे तालाबों रानी सागर …