यह दुखद आपबीती है एक ऐसे शख्स की, जिसका कम्प्यूटर ऑपरेटर की नौकरी करते समय किसी सौरभ कुमार नाम के लंपट पत्रकार से पाला पड़ गया। जब कम्प्यूटर ऑपरेटर बसंत गांगले ने कुछ वर्ष पहले मोबाइल रिचार्ज करने की दुकान खोल ली तो सौरभ वहां से अपने और अपनी बहन के मोबाइल रिचार्ज कराने लगा। रिचार्जिंग की उधारी का यह सिलसिला वर्षों चलता रहा और अंततः गांगले की दुकान बंद हो गई। आखिरी बार उधारी मांगते समय गांगले के फोन पर सौरभ के मोबाइल से जवाब मिला – ‘जो नंबर आपने डायल किया है, वह गलत है।’ लंपट पत्रकार से पीड़ित बसंत गांगले ने अपनी दुखद आपबीती इन शब्दों में भड़ास4मीडिया को प्रकाशनार्थ प्रेषित की है…..
” यह सच्चाई है एक कम्प्यूटर ऑपरेटर की, जिसका नाम है बसंत गांगले। इसने वर्ष 2009 में इंदौर (मध्य प्रदेश) के एक न्यूज पोर्टल में कम्प्यूटर ऑपरेटर की जॉब की। इस पोर्टल के आफिस में तकरीबन दो साल तक कम्प्यूटर ऑपरेटर की नौकरी की। इस पोर्टल को भोपाल से न्यूज मेल करने वाला सौरभ कुमार, जो कि उस समय राजएक्प्रेस में पत्रकार की हैसियत से नौकरी कर रहा था, वह रोजाना न्यूज मेल करता था और मैं ‘बसंत’ न्यूज को साईट पर अपलोड करने का काम करता था। दो साल आफिस में साईट का काम किया। उसके बाद मैंने अपना मोबाईल रिचार्ज की दुकान खोल ली। उसके बाद साइट का काम दुकान से ही करने लगा। सौरभ कुमार उस समय भी साइट को न्यूज मेल करता था।
”जब उसको पता चला कि मैंने मोबाइल रिचार्ज की दुकान खोल ली है तो उसने खुद और अपनी बहन के मोबाइल नंबर पर फोन रिचार्ज करवाना शुरू किया। महीने भर में तकरीबन 1000 से 1500 रुपए का बैंलेस उधारी में डलवा लेता था और कहता था कि बसंत मेरा महीनेभर में इंदौर आना-जाना रहता है तो मैं तुझे तेरे बैलेंस के पैसे आकर दे दूंगा।
”एक-दो बार तो उसने आकर पैसे दे दिए। फिर उसने साइट से काम छोड़ दिया मगर बैलेंस डलवाता रहता था। हर बार एक ही बात कहता था कि मैं पैसे दे दूंगा। मैंने सोचा, इतना बड़ा आदमी है, भला मेरे पैसे कैसे खा सकता है। इसी विश्वास के साथ मैं बैलेंस डालता रहा और 2100 रुपए तक का बैलेंस डाल दिया।
”इस बीच मैंने उसे कई बार फोन लगाया। वह कहता कि बसंत मैं अगले हफ्ते इंदौर आना वाला हूं। तुझे पैसे दे दूंगा। इसी तरह के कई बहाने करता रहा। कभी बोलता, मैं तेरी दुकान के पास आ गया हूं, तू कहां है? जब मैं वहां पहुंचता तो वह नहीं रहता, क्योंकि वह झूठ बोलता था कि वह वहां पर है। वह कभी बोलता कि मैं ट्रेन में हूं, बस 2 घंटे बाद आ जाऊंगा। इसी तरह ढाई साल तक बहाने करता रहा। मुझे दुकान में नुकसान हो गया था, इसलिए मैंने दुकान अक्टूबर 2014 में बंद कर दी।
”17 मार्च 2015 को मैंने फिर उसे फोन लगाया। उसने कहा- मैं एनईएफटी कर रहा हूं। तीन दिन में पैसे तेरे अकाउंट में आ जाएंगे। मैंने 20 मार्च को एटीएम चेक किया। पैसे नहीं आए थे तो मैंने उसे फोन लगाया। उसने कहा – हां, यार मेरे अकांउट से पैसा अभी कटा नहीं है। मैं पहली बार एनईएफटी कर रहा हूं। मैं चेक करके बताता हूं। जब मैंने 21 मार्च को फिर चेक किया तो पैसे नहीं आए थे। मैंने उसे फिर इस फोन नंबर 8878993973 पर उसे काल किया तो उधर से जवाब मिला- ‘जो नंबर आपने डायल किया है, वह गलत है।’ ”
(बसंत गांगले का संपर्क नंबर – 9977240760)
pawan kumar
March 28, 2015 at 9:17 am
patrkarita kya kisi dhamakane aur darane ke liye ki jati hai ye desh ka chota stambha hai jo ki pahele teen stambhoo ki tarah dhan ghun se bhabhra kar gir gaya