पौड़ी (उत्तराखण्ड)। उमेश डोभाल स्मृति ट्रस्ट पौड़ी द्वारा आयोजित रजत जयंती समारोह में पुरातत्वविद और इतिहासकार डा. यशवंत कठोच को उमेश डोभाल स्मृति सम्मान, समाजसेवी धूम सिंह नेगी को राजेंद्र रावत जन सरोकार सम्मान और कवि निरंजन सुयाल को गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ जनकवि सम्मान से सम्मानित किया गया। इसके अलावा पत्रकार डा. उमाशंकर थपलियाल और भवानी शंकर थपलियाल को मरणोपरांत विशिष्ठ सम्मान प्रदान किया गया। उमेश डोभाल युवा पत्रकारिता पुरस्कार हिंदुस्तान टाइम्स की देहरादून संवाददाता नेहा पंत को प्रिंट मीडिया में, ईटीवी संवाददाता पंकज गैरोला को इलेक्ट्रानिक मीडिया में और चंद्रशेखर करगेती को, साइबर मीडिया में जनसरोकारी पत्रकारिता के लिए पुरस्कृत किया गया।
ज्ञातव्य है कि 25 मई 1988 को अमर उजाला में कार्यरत प्रखर पत्रकार उमेश डोभाल गायब हो गये थे। इसके बाद लखनऊ से लेकर दिल्ली तक पत्रकार आंदोलित हो गये। उनके आंदोलन को कर्मचारियों, जनप्रतिनिधियों, राजनीतिकों का भी समर्थन मिला। उमेश की खोज के लिए जगह-जगह धरने प्रदर्शन हुये। बाद में मृणाल पांडे, सुरेंद्र प्रताप सिंह और प्रेमशंकर झा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया जिसके बाद मुख्यमंत्री तिवारी ने सीबीआई से जांच कराने का आदेश दिये और इस काण्ड पर से पर्दा उठा।
इसके बाद जनसरोकारी लोगों को एक मंच पर लाने और प्रोत्साहित करने के लिए उमेश की याद में कुछ करने की पहल कुछ अग्रणी पत्रकारों ने की और 1991 में उमेश डोभाल स्मृति समिति का गठन कर स्मृति समारोह मनाने का सिलसिला आरम्भ हुआ। इसमें ही उमेश डोभाल स्मृति सम्मान एवं पत्रकारिता पुरस्कार देने का सिलसिला आरम्भ हुआ। 2003 में उमेश डोभाल स्मृति ट्रस्ट का गठन किया गया। इसमें आज 6 सम्मान दिये जा रहे हैं। आज यह पत्रकारिता, कला, संस्कृति, साहित्य, जनसरोकारों इत्यादि से जुड़े लोगों का उत्तराखंड में सबसे बड़ा आयोजन है। जो राज्य के विभिन्न नगरों में होता रहा है।
पौड़ी के संस्कृति भवन के प्रेक्षाग्रह में आयोजित समारोह का शुभारंभ जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, ट्रस्ट अध्यक्ष एंव मुख्यअतिथि डा. शेखर पाठक ने दीप जलाकर किया। पहाड़ के संपादक इतिहासकार, पर्यावरणविद पद्मश्री डा. शेखर पाठक ने कहा कि यह आयोजन सबको अपने भीतर झांकने और व्यवस्थाओं को समझने का मौका देता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद मीडिया से जुड़े लोगों में संवाद कम हुआ है। कहा कि मुख्यमंत्री केदारखण्ड से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। सत्ता प्रतिष्ठान से जुड़े लोगों को समारोह में बुलाया जाना चाहिए और उनसे विकास की विसंगतियों पर सवाल किए जाने चाहिए। उन्होंने राजनीतिकों, दलालों, माफिया द्वारा पहाड़ में किए जा रहे विनाश की चर्चा करते हुए कहा कि पत्रकारों और जनसरोकारी लोगों को इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
अध्यक्षता करते हुए उमेश डोभाल स्मृति ट्रस्ट के अध्यक्ष गोविंद पंत राजू ने ट्रस्ट की गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि जनसरोकारी पत्रकारिता को बचाने और उसे प्रोत्साहित करने के लिए यह आयोजन किया जाता है। समाजसेवी धूम सिंह नेगी ने कहा कि ऐसे आयोजनों से काम करने के लिए नई ऊर्जा मिलती है। कवि निरंजन सुयाल ने गिरीश तिवारी गिर्दा पर आधारित संस्मरण सुनाए। उमेश डोभाल के बड़े भाई गिरीश डोभाल ने भी विचार व्यक्त किए। उमेश डोभाल युवा पत्रकारिता पुरस्कार से पुरस्कृत पत्रकारों नेहा, पंकज और चंद्रशेखर ने कहा कि ट्रस्ट ने उन्हें पुरस्कृत कर समाज और राज्य के प्रति उनकी जिम्मेदारी को और बढ़ा दिया है, जिसका निर्वहन करने का वह पूरा प्रयास करेंगे।
डा. शेखर पाठक, उमेश डोभाल ट्रस्ट के अध्यक्ष गोविंद पंत राजू ने सम्मानित लोगों को अंगवस्त्र, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिह्न और पुरस्कार राशि भेंट की। 17 फरवरी को दिवंगत हुए पिता-पुत्र पत्रकार डा. उमाशंकर थपलियाल और भवानी शंकर थपलियाल को मरणोपरांत दिया गया विशिष्ट सम्मान भवानी शंकर थपलियाल की पुत्री चेतना ने ग्रहण किया। चेतना ने अपने पिता की कविता ‘लड़ै हमारी जीत तुम्हारी’ प्रस्तुत की तो सबकी आंखें नम हो गई।
इससे पूर्व 24 मार्च को सायंकाल उमेश डोभाल स्मृति ट्रस्ट द्वारा उमेश डोभाल स्मृति रजत जयंती समारोह का शुभारंभ संस्कृति भवन से सांस्कृतिक यात्रा के साथ शुरू किया गया।। इस यात्रा में शामिल लोग उठा जागा, उत्तराखंण्डियां.. जैंता इक दिन तो आलो, ले मशाले चल पड़े है लेगा मेरे गांव के आदि जन गीत गाते हुये नगर की सड़कों पर निकले। प्रेक्षाग्रह के भूतल पर हाॅल में लगाई गई फोटो प्रदर्शनी का शुभारंभ समाजसेवी धूम सिंह नेगी और कवि निरंजन सुयाल ने किया। फोटो प्रदर्शनी में छायाकार प्रीतम नेगी, अरविंद मुद्गल और कमल जोशी के उत्तराखंड की संस्कृति, पर्यटन और तीर्थस्थलों इत्यादि पर आधारित फोटो प्रदर्शित किए गएं। चित्रकार बी मोहन नेगी ने कविता पोस्टर और समाचार पत्रों की प्रदर्शनी लगाई। इन प्रदर्शनियों को लोगों ने बहुत सराहा। इसके अतिरिक्त यहीं पर पहाड़, समकालीन तीसरी दुनिया और जागो उत्तराखंड ने अपने प्रकाशनों के स्टाल लगाए जहां से लोगों ने पुस्तकें और पत्रिकाएं खरीदे। सभी अतिथियों को भारतीय स्टेट बैंक पौड़ी की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट किए गये।
सायं प्रेक्षागृह में दो नाटकों का मंचन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ समकालीन तीसरी दुनिया के संपादक आनंद स्वरूप वर्मा ने किया। नवांकुर नाट्य समूह द्वारा प्रस्तु इमाम हसन के नाटक ‘मन की बात’ में कलाकारों ने केंद्र सरकार की कार्यशैली पर तंज कसे। बेला थियेटर दिल्ली के कलाकारों ने ‘ख्याली बीमार’ नाटक प्रस्तुत किया। मौलियर लिखित इस नाटक में कलाकारों ने मन में बीमारी का भ्रम पाले एक व्यक्ति की कहानी को प्रस्तुत किया इसमें पति-पत्नी के रिश्ते में अर्थ की प्रधानता प्रमुख रूप से सामने आयी। कार्यक्रम में उमेश डोभाल स्मृति समारोहों पर अरविंद मुद्गल द्वारा बनाई गई एक लघु फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया। डा. शेखर पाठक ने अस्कोट से आराकोट तक की यात्रा पर स्लाइड शो प्रदर्शित की जिसमें यात्रा मार्ग पर आये बदलावों, विकास की विसंगतियों इत्यादि की उन्होंने जानकारी दी।
समारोह में हरीश जोशी, सिद्धिलाल विद्यार्थी, पुरुषोत्तम असनोड़ा, गजेंद्र नौटियाल, विमल नेगी, मीरा रावत, केपी काला, गोविंद चावला, जीवन चंद्र जेसी, वी.एस. कुटौला, एचएस रावत, डा. प्रदीप अणथ्वाल, चैतन्य, सुशील सीतापुरी, जगदंबा प्रसाद, सुधीर भट्ट, विजय गुप्ता, मनोहर चमोली मनु, संदीप रावत, अयोध्या प्रसाद ‘भारती’, ईश्वर जोशी, एसपी खर्कवाल, बीसी बहुगुणा, विकास चंद्र, विनोद चमोली, ज्योतिका, दिनेश चंद्र लोहनी, सुनील पंत, प्रह्लाद सिंह कार्की, सुधीर बर्थवाल, लक्ष्मी, तनुजा, मनोज दोषी, नरेंद्र कठैत, रूपेश कुमार सिंह, गणेश सिंह ‘गरीब’, सरस्वती देवी, विपिन कण्डारी, एसके शर्मा, प्रमोद खंडूरी, विनोद पांडे, पूरन मेहरा, दीपक बैंजवाल, महेश जोशी, राजेन्द्र रावत, वीरेंद्र पाल, डा. वीपी बलोदी, धीरेंद्र मोहन, स्मिता टोडरिया, अनिल बहुगुणा, रतनमणि भट्ट, ए.पी.घायल राजेंद्र टम्टा, कैलाश चंद्र, अजय रावत, डा. बृजमोहन शर्मा, योगेश भट्ट, देवेंद्र काला, सौरभ, रोहित शाह, योगम्बर पोली, बबलू कुमौला, ललिता रौतेला, कमल जोशी, गजेन्द्र रौतेला, केपी चंदोला, एसएन रतूड़ी, चंदन रावत, भगवान सिंह टम्टा, महावीर सिंह, मनीष सुन्दरियाल, इेपेप्द्र काल, उमेश, किरन, नीलम, जय प्रकाश, पंकज, दलीप सिंह, सुशांत उनियाल, पूर्णानंद गोदियाल, नवरतन सिंह, संदीप सिंह रावत, वीरेन्द्र पंवार, आरएस रावत, सुनील ममगाईं, केएस नेगी, दिगंबर बहुगुणा, जगमोहन डांगी, अनुज बलूनी, गुरुवेंद्र नेगी, विपिन कंडारी, वीरेंद्र पंवार, ललित चंदोला, वीरेंद्र सिंह सहित उत्तराखंड दिल्ली, उत्तर प्रदेश आदि से आये अनेक पत्रकार, लेखक, कवि, कला-रंग कर्म, शिक्षा और जनसरोकारों इत्यादि से जुड़े सैकड़ों लोग शामिल हुए।