सलीम अख़्तर सिद्दीक़ी-
ऐसा लगता है सब उत्तराखंड आ गए हैं। मोहंड में जाम है। पूरा देहरादून जाम में जकड़ा है। सुबह 8 बजे मेरठ से चले थे, दोपहर डेढ़ बजे देहरादून आ कर लगे। यहां आकर पता चला कि मसूरी जाना बेवकूफी है। मसूरी जाम से घिरी है। दो साल बाद लोग घूमने निकले हैं, एक तो गर्मियों की छुट्टियां ऊपर से दूसरा शनिवार, इसलिए सबने अपनी गाड़ियां उत्तराखंड की तरफ दौड़ा दी हैं।
हरिद्वार में भी बहुत भीड़ है। ऋषिकेश का अपडेट मेरे पास नहीं है। लेकिन यक़ीन है कि वहां भी हालत सही नहीं होगी। फिलहाल चिकन कोरमा और चिकन बिरयानी खाने के बाद सोने की तैयारी। शाम को कुछ सोचते हैं।
ललित शर्मा-
हाहाकार मचा हुआ है… नैनीताल जाम, भीमताल जाम, रानीखेत जाम, अल्मोड़ा जाम, शिमला जाम, मनाली जाम, हरिद्वार जाम, ऋषिकेश जाम, मैसूरी जाम, धर्मशाला जाम, मैक्लोडगंज जाम, बद्रीनाथ जाम, केदारनाथ जाम.. सबसे बढ़ के एवेरेस्ट पर भी जाम.. हर तरफ जाम।
टूरिस्ट कह रहे हैं कि पहाड़ के लोग, टैक्सी और दूसरे वाहन वाले लूट रहे हैं। पहाड़ के लोग कह रहे हैं कि टूरिस्ट खराब हैं। आठ दस किलोमीटर लंबे जाम में फँसा आदमी कह रहा है कि उसकी गाड़ी से अगली गाड़ी आगे नहीं सरक रही है, इसलिए जाम लगा है। हर पीछे वाला, आगे वाले को कोस रहा है। अपने बगल वाले को कोस रहा है कि इसने गाड़ी फँसा दी, इसलिए जाम लगा है।
आपस में मारपीट हो रही है। लाखों के मालिक, हजारों खर्च करने के बाद भी धूप में और रात में अपनी कार में ही सोने को मजबूर हैं। खाने पीने की, रहने की, डीजल ,पेट्रोल की… जबरदस्त मारा मारी है।
भेड़धंसान है। नये-नये पैसेवाले पगलाये हुए हैं। पैसा है तो तफरी भी होनी चाहिए, पर लाखों करोड़ों लोग.. एक साथ तफरी पर निकलेंगे तो… उतनी जगह ही कहां है अपनी धरती पर। सारी व्यवस्था तो चरमरा ही जायेगी। अब ऐसे में पहाड़ में भूकंप आ जाय तो…
…
paras gupta
June 13, 2022 at 3:19 pm
Insaan kare bhi to kya? Ghar wale kahte hai, ghoomne chalo, pahaad wale kahte hai ghoomne aao. sarkar kahti hai, kuch bhi karo bas tax aur toll dete jao. Fasta ghar ka maalik hi hai. kare bhi to kya? sabki sun’ni aur karni to malik ko hi hai.