सलीम अख़्तर सिद्दीक़ी-
मैंने कहा था कि भाजपा के तरकश में कई तीर हैं। ओवैसी वाला तीर निशाने पर नहीं लगा। दूसरा तीर कर्नाटक में चलाया गया है। ये तीर भी निशाना चूक जाएगा।
ये तीर इतने भोथरे हो गए हैं कि इनसे कुछ फायदा नहीं होता। कट्टर समर्थक भी अब बस मुस्कुरा कर रह जाता है। जैसे कि मुझे उम्मीद थी, बड़ौत के व्यापारी की खुदकुशी की कोशिश पर गोदी मीडिया में सन्नाटा है।
बहस उम्मीद के मुताबिक हिजाब पर हो रही है। रेडियो रवांडा पूरी कोशिश कर रहा है कि तरकश से निकला कर्नाटक का तीर यूपी में ऐसा कुछ करा दे, जिससे बाज़ी पलट जाए।
सोचना यूपी की जनता को है कि वह बड़ौत के व्यापारी राजीव तोमर की तरह बर्बाद होना चाहता है या उनकी इस अपील पर अमल करता है कि निज़ाम बदल दो। कहते हैं कि मरता हुआ आदमी झूठ नहीं बोलता।
राजीव तोमर ज़िंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। दुआ है कि वह ज़िंदगी की जंग जीत जाएं। सवाल इस देश के भविष्य का है। आने वाली नस्लों के भविष्य का है। सरकार के मुफ्त राशन- जो अगले महीने तक ही मिलेगा-के आसरे जीना चाहते हैं या रोजगार करके खुद्दारी से जीना चाहते हैं?
विजय शंकर सिंह-
बागपत
अमृतकाल का दंश… जब प्रधानमंत्री, गरीब को लखपति बनाने की घोषणा संसद कर रहे थे तो, 8 फरवरी को उत्तरप्रदेश के बागपत जिले के बड़ौत कस्बे में राजीव तोमर नाम के एक जूता व्यापारी ने आत्महत्या कर ली।
उन्होंने उस दुःखद आत्महत्या का लाइव प्रसारण, सोशल मीडिया पर भी किया। अपनी मौत की जिम्मेदारी वे प्रधानमंत्री मोदी पर डालते हैं और कह रहे हैं कि, मोदी को तो कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा है, चाहे व्यापारी मरे या जिए।
उनके साथ ही उनकी पत्नी ने भी जहर खा लिया और वे उस वीडियो में राजीव तोमर को जहर खाने से रोकती हुयी दिख रही हैं। इस वीडियो को शेयर करने की भी बात वे कह रहे हैं। फिलहाल उनकी हालत चिंताजनक बनी हुयी है, पर उनकी पत्नी, की मृत्यु हो गयी है।