जिला अस्पताल गाजीपुर में चिकित्सकीय परीक्षण कराते.
भड़ास निकालने के कारण निशाने पर आया मैं मीडिया हाउसों के भ्रष्ट संपादकों और मालिकों की एकजुटता के कारण यूपी सरकार के सौजन्य से 68 दिनों तक डासना जेल में रह चुका हूं. वहां से निकलने पर मेरी जेल यात्रा संबंधी संस्मरण का प्रकाशन ‘जानेमन जेल’ नामक शीर्षक से हिंदयुग्म प्रकाशन ने किया. उस जेल यात्रा ने मेरे मनोबल को बहुत मजबूत किया क्योंकि जिससे आपको भय हो, वही जीवन का हिस्सा बन जाए तो फिर भय भाग जाता है.
इसी तरह जब आप सिस्टम से गलत चीजों को हटाने के लिए सक्रिय होता है तो संगठित करप्ट सिस्टम आपको किनार करने के लिए किसी भी हद तक गिर पड़ता है. मेरे खिलाफ देश भर में दर्जनों मुकदमे हो चुके हैं. सिर्फ सच को सच्चाई के साथ लिख देने के कारण. तो मैं इसे इंज्वाय करता हूं. इसे पार्ट आफ जॉब मानता हूं. केस हुए हैं तो वकील साहेब लोग हैं ही. वे लड़ेंगे. मैंने जब गलत नहीं किया तो केस लड़ने से भागू क्यों. केस करने वालों को कोर्ट में ही हराउंगा. मैं कई उन वकील साथियों का एहसानमंद हूं जो मेरे काम को देखते हुए मेरा केस फ्री में लड़ते हैं और पूरी तैयारी के साथ लड़ते हैं. इसमें सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोवर कोर्ट तक के केस और वकील शामिल हैं.
सो, अपने को यह जरूर लगता है कि अगर जीवन बेहद शांत, नरम, आध्यात्मिक हो गया हो तो धीरे धीरे फील होने लगता है कि मैं इस दुनिया में हूं भी या नहीं. यह सब धूम धड़ाम चलता रहता है तो अपने होने का एहसास बना रहता है. इसलिए, कुल मिलाकर कहिए जैजै भड़ास 🙂 लड़ाई जारी रहे…. कभी नरम… कभी गरम… मैं उन सभी साथियों का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने मेरे पीटे जाने के बाद मेरी किसी भी किस्म की मदद की, यहां तक कि उन्होंने मुझे अगर मोरल सपोर्ट भी दिया तो मेरे लिए यह सौभाग्य की बात है. ऐसे ही प्रेम बनाए रहियो… भाइयों…. 🙂
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Comments on “यशवंत पर हमले की कहानी, उन्हीं की जुबानी ( देखें सुनें संबंधित आडियो, वीडियो और तस्वीरें )”
आप भाग्यशाली है, आपके मित्र आपकी ताकत है। वर्ना हमने तो काल्पनिक यशवंत को पर्दे पर अकेले ही जूझते-झेलते देखा था।
आपके हौसले को सलाम। वो सुबह कभी तो आएगी।
अन्तत: विजय तो सत्य की ही होगी। सत्य की रक्षा स्वयं भगवान करेंगे। आप अपने पथ पर दृढ़ता से बढ़ते रहिए।
क्या बात है आपका लेख पढ़ के नयी ऊर्जा आई
यशवंत जी के साथ जो हुआ वह दिल दहला देने वाला है। मुझे लगता है कि हम आज भी गुलाम हैं। अंग्रेज गए लेकिन पुलिस और कर्मचारी छोड़ गए। जिनकी तानाशाही अंग्रेजों जैसी ही हैं और शिकायत करने पर भी कुछ नहीं होता। हमलावर को जल्छ से जल्द गिरफ्तार किया जाए।
सत्य की रक्षा स्वयं भगवान करेंगे। आप अपने पथ पर दृढ़ता से बढ़ते रहिए।
धिक्कार है ऐसे सड़े हुए सिस्टम पर हम सब की दुआएं आपके हमेशा साथ हैं इतिहास गवाह है जो भी बदलाव के रहनुमा हुए हैं उन सभी को इन तरह के हालात से जूझना ही पड़ा है …..आपकी सकारात्मकता को सलाम
वी आल आर गाइडेड बाइ सम वन. वी आल आर प्री प्रोग्राम्ड रोबोट्स, गाइडेड बाय समवन इल्स. और हम लोग करते वही हैं जो प्रोग्रामिंग तय की हुई होती है. जैसे किसी रोबोट को यह खुद नहीं पता होता है कि उसकी प्रोग्रामिंग कहां से लेकर कहां तक है, वह बस प्रोग्राम के गाइडेंस को फालो करता रहता है, और इसी प्रक्रिया में नष्ट हो जाता है एक रोज, उसी तरह हम लोगों को भी यह पता ही नहीं लगता कि हम कर क्या रहे हैं और किसलिए कर रहे हैं, लेकिन चूंकि अपन सब के भीतर ढेर सारे इंसटिंक्ट्स की प्रोग्रामिंग हो चुकी है इसलिए सेक्स से लेकर भूख तक, सुख से लेकर सुरक्षा तक के लिए भसड़-धसड़-रगड़ मचाए रहते हैं. सो, कभी कभी लगता है कि कीजिए हाय हाय क्यों, रोइये ज़ार ज़ार क्या… ये जो आपने लिखा है यशवंत जी इसके बाद शब्दों की दरकार ही नहीं हैं निसंधेह यह उस प्रयोजन का आगाज़ है जो अनदेखा है अनजाना है ….भगवान आपको हर तरह की शक्ति और क्षमता से नवाजे …….
बहुत अच्छा हुआ आपके साथ यह घटना हुई । अब कम से कम उस मूर्ख एआरएम को करारा जवाब तो मिलेगा । सरकारी नौकरी मिलने के बाद ये वर्णशंकर आम आदमी को तो कीड़ा मकोड़ा समझते हैं । कोई आम व्यक्ति अगर इनसे जरा सा सवाल कर ले या जोर से पूछ ले तो सालों की नाक कट जाती है । इस लिये उग्र होकर अपना रोब झाड़ते हैं कि जेसे सबके आका यही हैं । किसी आम व्यक्ति के साथ अगर यह घटना होती तो उस बेचारे की सारी जनहित की मंशा कुंठा में बदल जाती । ना वो बदला ले पाता और ना ही उसकी घुटन शांत होती । अब छोड़ना नहीं गधे को जब तक उसकी अकड़ निकलकर आम आदमी जैसी बोली ना बोलने लगे । साला एक तो सरकार से परेशान ये उसके भी बाप हो रहे हैं ।
बहुत छोटी घटनाऐं भी कई बार जीवन की महत्वपूर्ण घटना बन जाती है । आपके साथ घटित हुये हादसे को देखकर यह आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है । समाज में मूर्खों की तादाद इतनी बढ़ रही है कि कोई बात सुनने को तैयार नहीं होता अपनी गलती मानना तो दूर की बात है । टेंशन नौट, भगवान आपके साथ है ।
जनहित के लिए मार खाना पुरस्कार जैसा है बशर्ते मारपीट करने वाले को औकात बता दी जाए। एक अधिकारी औकात में आता है तो उसके चमचों के साथ बहुत सारे अधिकारी और उनके चमचे भी सुधर जाएंगे। इसलिए मामले को छोड़ना नहीं है। ठीक से फॉलो करके, जो-जो धाराएं लग और साबित हो सकें – के तहत कार्रवाई कराई जानी चाहिए। भ्रष्ट सिस्टम में जिसे भी अधिकार मिलता है वह सिस्टम में शामिल हो जाता है। जनप्रतिनिधि अगर अपना काम कर रहे होते तो ऐसा क्यों होता। आम जनता यह सब कर नहीं पाती है, करना नहीं चाहती है। इसलिए अगर हम कुछ कर सकते हैं तो जरूर करना चाहिए।
उड़ान वालो उड़ानों पे वक़्त भारी है
परों की अब के नहीं हौसलों की बारी है
मैं क़तरा हो के तूफानों से जंग लड़ता हूँ
मुझे बचाना समंदर की ज़िम्मेदारी है
कोई बताये ये उसके ग़ुरूर-ए-बेजा को
वो जंग हमने लड़ी ही नहीं जो हारी है
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत
ये एक चराग़ कई आँधियों पे भारी है
– वसीम बरेलवी
Choti si galat baat ke khilaaf ladne k liye bhi kitni mehnat aur dridhta chahiye yeh uska bahut acha udaharan h. Choti ladai ladte ladte BADI Ladai ki tayari Karen, janta aapka saath degi. JAI HIND, VandevMatram.
लिंक पूरा पढ़ने के बाद मन कौंध गया। लेकिन आपके द्वारा जनहितार्थ किए इस प्रयास ने उत्तर प्रदेश के घमंडी नाजायज़ सिस्टम के मुंह पर करारा तमाचा जड़ा है। एक व्यक्ति सरकारी पद पाकर सिर्फ हमारा शोषण करने की कोशिश में क्यों लग जाता है, क्योंकि इनकी औकात को सांतवे आसमान पर हर ही चढ़ा देते हैं। आप जैसा कार्य अगर बाकि सभी करने लगें तो ये सरकारी बाबू टाईप हरामखोर लोग हरामखोरी की लत से मुक्त हो जायेंगे। इस सतही पत्रकारिता को मेरा सलाम व समर्थन।
लिंक पूरा पढ़ने के बाद मन कौंध गया। लेकिन आपके द्वारा जनहितार्थ किए इस प्रयास ने उत्तर प्रदेश के घमंडी नाजायज़ सिस्टम के मुंह पर करारा तमाचा जड़ा है। एक व्यक्ति सरकारी पद पाकर सिर्फ हमारा शोषण करने की कोशिश में क्यों लग जाता है, क्योंकि इनकी औकात को सांतवे आसमान पर हर ही चढ़ा देते हैं। आप जैसा कार्य अगर बाकि सभी करने लगें तो ये सरकारी बाबू टाईप हरामखोर लोग हरामखोरी की लत से मुक्त हो जायेंगे। सतही पत्रकारिता को सलाम।
Dukh ki bat hai ki desh, pradesh mai kai kursiyou par gunde hi gunde baithe hai. Yashwant ji k sath jo huwa sharmnak hai our kare shabdou mai nida karte hain, up sarkar se mang hai ki ARm k khilaf satht karyvahi ho.