नीरेंद्र नागर-
अख़बारी रपटों के अनुसार योगी जी ने आदेश दिया है कि राज्य में कहीं भी कोई भी लाउडस्पीकर या ध्वनि विस्तारक यंत्र इतना तेज़ न बजे कि उसकी आवाज़ भवन से बाहर जाए और पड़ोस के लोगों को परेशानी हो। निश्चित रूप से उनका निशाना वे मस्जिदें हैं जहाँ पाँच बार अज़ान होती है और उसकी आवाज़ पूरे इलाक़े में गूँजती है। आप जानते ही होगे कि अज़ान का मक़सद ही पड़ोस के मुसलमानों को नमाज़ के लिए बुलाना होता है। ऐसे में अगर उसकी आवाज़ मस्जिद के बाहर नहीं जाएगी तो अज़ान का उद्देश्य ही पूरा नहीं होगा। दूसरे शब्दों में योगी जी चाहते हैं कि अज़ान बंद हो जाए।
निजी तौर पर मैं ख़ुद भी शोर के पक्ष में नहीं हूँ और मेरा मानना है कि जिस मुसलमान को नमाज़ पढ़नी है, वह मोबाइल में अलार्म लगा सकता है और उसके लिए मस्जिदों द्वारा हर रोज़ पाँच बार याद दिलाने की ज़रूरत नहीं है।
चलिए, अज़ान तो बंद हो गई मगर जगराता जो रातभर का होता है, उसका क्या होगा? वह तो किसी भवन के अंदर नहीं होता और उसकी आवाज मुहल्ले भर की रात की नींद ख़राब करती है, क्या उसपर भी रोक लगेगी? शादियों में आधी रात तक जो डीजे बजते हैं, क्या उनकी आवाज़ विवाहस्थल तक सीमित रहेगी?
पुलिस ने जो नोटिस जारी किया है (देखें चित्र), उसके अनुसार तो यह प्रतिबंध सभी पर लागू है। लेकिन मुझे नहीं लगता, व्यवहार में ऐसा संभव होगा। मेरी समझ से आने वाले दिनों में हम तीन परिस्थितियाँ देख सकते हैं।
- मस्जिदों के मामले में सख़्ती हो मगर हिंदू मंदिरों से बजने वाले भजनों, जगरातों और शादियों के मामले में अनॉफ़िशल छूट हो। भला किसकी हिम्मत होगी कि योगीराज में कोई जगराता रुकवाने की हिमाक़त करे? पिछले ही दिनों एक पत्रकार ने ऐसी जुर्रत की थी तो उसका क्या हश्र हुआ, यह हम सब जानते हैं।
- चूँकि इस मामले में भेदभाव करने से मीडिया में ख़बरें आ सकती हैं और मामला अदालतों में जा सकता है, इसलिए संभव है कि क़ानून की किताबों में चाहे जो लिखा रहे, हालात ज्यों-के-त्यों बने रहें यानी मस्जिदों से अज़ान भी होती रहे और मंदिरों से भजन भी।
- क़ानून और आदेश का सख़्ती से और बिना भेदभाव के पालन हो और मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारे और डीजे के शोर से आम लोगों को मुक्ति मिले।
मैं तो चाहूँगा कि तीसरी स्थिति बने लेकिन देश में क़ानूनों के क्रियान्वयन का जो हाल हम देख रहे हैं, उसमें 1 प्रतिशत उम्मीद भी नहीं कि ऐसा होगा। बाक़ी इस आदेश के मामले में मुसलमानों के साथ भेदभाव होता है या नहीं, इसका ज़िम्मा अब अदालतों पर है। अगर वे गाँधी के बंदर बनी रहीं तो वही होगा जो देशभर में भाजपा-शासित राज्यों में हो रहा है।
यह अलग बात है कि प्रधानमंत्री से लेकर पार्षद तक हर भाजपाई नेता यह झूठी शपथ लेकर ही मंत्री बनता है कि वह बिना भेदभाव के अपना काम करेगा। जब ख़ून के एक-एक क़तरे में मुसलमानों के प्रति नफ़रत और भेदभाव का ज़हर भरा पड़ा है तो वह उसके काम में दिखेगा ही! सो दिख रहा है।
Aamir Kirmani
April 21, 2022 at 3:19 pm
हरदोई में भी नगर पालिका की तरफ से हिंदुस्तान अखबार में एक नोटिस प्रकाशित हुआ है, जिसमें आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल के मोहल्ले में कुछ अवैध अतिक्रमण हटाए जाने की बात कही गई है। नोटिस में सभी नाम मुस्लिम हैं। देखने वाली बार यह होगी कि कथित रूप से किया गया अतिक्रमण लोग खुद ही हटाते हैं या फिर बाबा का बुलडोजर इन मकानों चलता है। या फिर यह लोग कोर्ट की शरण में जाएंगे।