अवधेश कुमार-
देश में कैसा माहौल बना दिया गया है? आज ज़ी न्यूज़ के पत्रकार रोहित रंजन को गिरफ्तार करने छत्तीसगढ़ पुलिस पहुंच गई। पुलिस ने सिक्योरिटी गार्ड को बंधक बना लिया और उसका मोबाइल तक छीन लिया। स्थानीय पुलिस को सूचना नहीं दी। लोगों के विरोध करने के बावजूद रोहित के घर में घुस गई। यानी कोई किसी से असहमति की बात करेगा ही नहीं।
कहा गया कि जी हिंदुस्तान पर रोहित की एंकरिंग में राहुल गांधी से संबंधित एक वीडियो दिखाया गया जिसके खिलाफ एफ आई आर दर्ज हुई थी। अपराध है तो कार्रवाई का तरीका होता है। कहा जा रहा है बाद में वीडियो को लेकर स्पष्टीकरण भी दिया गया था। जी मीडिया संस्थान ने भी कार्रवाई कर दी थी।
छत्तीसगढ़ पुलिस के व्यवहार से तो डर पैदा होता है। कहीं टीवी डिबेट में एक पंक्ति बोलने को इतना बड़ा मुद्दा बना दिया कि लोगों के गले काटे जाने लगे और बहस करने वाले की जान पर आफत आ गई। टीवी डिबेट में कुछ बोल दिया गया तो उस राज्य की पुलिस इस तरह छापा मारती है मानो किसी आतंकवादी को पकड़ने आई हो। हालांकि इस प्रकार की सारी कार्रवाइयां गैर भाजपा शासित राज्यों द्वारा ही हुआ है।
भाजपा की बहुत आलोचना होती है लेकिन इस तरह किसी भाजपा शासित राज्य की पुलिस पत्रकार को भले वह उसका कितना भी विरोधी हो, गिरफ्तार करने पहुंची हो ऐसा मैंने नहीं देखा। पहले उद्धव ठाकरे की महाराष्ट्र पुलिस कर रही थी, साथ छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सरकार भी कर रही थी। बाद में पंजाब की सरकार ने यही काम शुरू किया।
छत्तीसगढ़ फिर अपने पुराने रूप पर आ गया।यह खतरनाक प्रवृत्ति है। इसका विरोध होना चाहिए। साथ ही ऐसी स्थिति पैदा करनी चाहिए कि आगे न हो। लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करने वालों के लिए क्या फैक्ट चेक के नाम पर जुबेर को ही इसका अधिकार है और रोहित को नहीं? उनका एक शब्द छत्तीसगढ़ पुलिस के विरोध में नहीं आ रहा है। यही चरित्र लोगों के अंदर गुस्सा पैदा करता है।
कुछ त्वरित टिप्पणी-
अवधेश कुमार की मेमोरी शार्ट है। इसी ग़ाज़ियाबाद से विनोद वर्मा को कैसे उठाया गया था। उनके ख़िलाफ़ तो कोई चार्ज ही ही था। मामला था कि किसी भाजपा नेता की संदिग्ध सीडी के बारे में वो जानते हैं और उसकी कॉपी है उनके पास। तब तब भाजपा की रमन सिंह की सरकार थी। – विवेक कुमार
कुल मिला कर यह साफ हो गया है कि अब सबक़ सिखाने की रीति नीति वही होगी जो बीजेपी ने स्थापित कर दी है। कांग्रेस हो, आम आदमी पार्टी हो या अन्य कोई पार्टी हो, सब जहाँ जहाँ सत्ता में होंगे, बिल्कुल वैसे ही व्यवहार करेंगे जिसके लिए वे अपने विरोधियों की आलोचना करते हैं। पुलिस तो सबसे बड़ा हथियार है जिसकी निष्ठाएँ सत्ता में रहने वाले दल और लोगों के प्रति होती हैं। –अमिताभ श्रीवास्तव