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लालू ने किया साप्ताहिक अखबार ‘बेबाक जुबान’ का विमोचन

पटना : मजीठिया पर पीएम नरेंद्र मोदी चुप क्यों ?  बेबाक जुबान, पटना से निकलने वाली एक साप्ताहिक पत्रिका ने मजीठिया मसले को उठाया है। नेट वर्ल्ड में मजीठिया आंदोलन बहुत तेजी से चल रहा है। मीडिया और मीडिया से जुड़ी खबरों को भड़ास ने  हमेशा एक आंदोलन की तरह समेटा है और मजीठिया के मसले पर तो अग्रदूत की भूमिका में रहा है। 

<p>पटना : मजीठिया पर पीएम नरेंद्र मोदी चुप क्यों ?  बेबाक जुबान, पटना से निकलने वाली एक साप्ताहिक पत्रिका ने मजीठिया मसले को उठाया है। नेट वर्ल्ड में मजीठिया आंदोलन बहुत तेजी से चल रहा है। मीडिया और मीडिया से जुड़ी खबरों को भड़ास ने  हमेशा एक आंदोलन की तरह समेटा है और मजीठिया के मसले पर तो अग्रदूत की भूमिका में रहा है। </p>

पटना : मजीठिया पर पीएम नरेंद्र मोदी चुप क्यों ?  बेबाक जुबान, पटना से निकलने वाली एक साप्ताहिक पत्रिका ने मजीठिया मसले को उठाया है। नेट वर्ल्ड में मजीठिया आंदोलन बहुत तेजी से चल रहा है। मीडिया और मीडिया से जुड़ी खबरों को भड़ास ने  हमेशा एक आंदोलन की तरह समेटा है और मजीठिया के मसले पर तो अग्रदूत की भूमिका में रहा है। 

अपने पहले अंक से ही बेबाक जुबान मजीठिया के मसले पर भड़ास के साथ खड़ा है। भारतीय प्रेस वर्ल्ड में इस्तेमाल होने वाले नाजायज हथकंडो के खिलाफ लगातार कदमताल करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं, और इस प्रतिबद्धता को अंत तक निभाएंगे। देश को फूल बनाने की परंपरा है, तभी तो हाऊस फूल है। लोगों को फूल बनाकर ही तो आप हाऊस फूल करते हैं। जब हाऊस फूल है  तो मजीठिया की हकमारी क्यों हो रही है ?

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 लाइट, कैमरा, एक्शन, पेज नंबर 11 पर फिल्मीं शब्दों पर संस्कृतिवाद के नाम पर खुद को फिल्म सेंसर बोर्ड के मालिक मुख्तार पहलाज निहलानी ने जो कैंची चलाने की बात है उसके परिणामों और इरादों को समझने और समझाने की पहल की गई है। आमिर खान, महेश भट्ट, राजकुमार हिरानी, किरण राव, विद्या बालन ने केंद्रीय सूचना एंव प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन राठौर से मिलकर “निहलानी कैंची’’ के खिलाफ अपनी बात रख दी है। लेकिन एक संकेत मिल गया है कि भविष्य में फिल्म अभिव्यक्ति पर भी खतरा है। 

इस खतरे के  खिलाफ भी फिल्म जगत की आवाज में बेबाक जुबान भी पूरी शिद्दत से शामिल है। मुसोलिनी और हिटलर की टोलियों ने वहां की फिल्मों को अपने अधिकार में ले लिया था। सवाल उठता है कि उन दोनों तानशाहों ने ऐसा क्यों किया था और अब पहलाज निहलानी की यह कैंची क्या उसी दशा को प्राप्त करने की दिशा में एक कदम नहीं है ?

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पिछले कुछ समय से गांधी जी को लेकर देश के माहौल को दिग्भ्रमित करने की उग्र कोशिशें की गई हैं। पेज नंबर पांच, मील का पत्थर, में,  गांधी पर हमला सनक या साजिश ? को नापने तौलने की कोशिश की गई है। मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला जैसे जन नेताओं को लंगोटी और लाठी में प्रभावित करने वाले गांधी को अंग्रेजों का एजेंट बताया जा रहा है। 

गांधी जी जन प्रतिनिधि थे, गुलाम नरमुंडों का कारंवा उनके पीछे-पीछे चलता था, आजादी के लिए। बंदूको और तोपों से लैस अंग्रेजी आकाओं से अपने लोगों को बचाते हुये आजादी की लड़ाई को उन्होंने पूरे दम और समझदारी के साथ आगे बढ़ाया। पेज नंबर पांच मील का पत्थर पर गांधी के खिलाफ जारी विषवमन की पड़ताल की गई है। बेबाक जुबान का विमोचन पटना में राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने किया है। इस मौके पर राजद के युवा नेता तेजप्रताप भी मौजूद थे। 

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फोन संपर्क : 9570828765 

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