मजीठिया मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद महाराष्ट्र में कटी पहली आरसी… दैनिक भास्कर और दिव्य भास्कर समेत कई अखबारों को संचालित करने वाली भास्कर समूह की कंपनी डीबी कॉर्प लिमिटेड के माहिम और बीकेसी कार्यालय को नीलाम कर कर्मचारियों को बकाया पैसा देने का आदेश…
जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 19 जून को सुनाए गए फैसले के बाद देश भर के श्रम / कामगार विभाग सक्रिय हो गए हैं। महाराष्ट्र से इस संबंध में बड़ी खबर आ रही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश में पहला रिकवरी सर्टिफिकेट (आरसी) महाराष्ट्र में जारी कर दिया गया। अपने आप को देश का नंबर वन अखबार बताने वाले दैनिक भास्कर की प्रबंधन कंपनी डीबी कॉर्प लिमिटेड के खिलाफ महाराष्ट्र में पहला रिकवरी सर्टिफिकेट (आरसी) यहां के लेबर विभाग ने जारी किया है।
इस रिकवरी सर्टिफिकेट में मुंबई के जिलाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि डीबी कॉर्प लिमिटेड की संपत्ति को नीलाम कर वह बकायेदारों का बकाया दिलाएं। यह रिकवरी सर्टिफिकेट दैनिक भास्कर के मुंबई ब्यूरो में कार्यरत प्रिंसिपल करेस्पॉन्डेंट (एंटरटेनमेंट) धर्मेन्द्र प्रताप सिंह, इसी अखबार की रिसेप्शनिस्ट लतिका आत्माराम चव्हाण और आलिया इम्तियाज शेख के मामले में जारी किया गया है। इसे मुंबई शहर की सहायक कामगार आयुक्त नीलांबरी भोसले ने 1 जुलाई, 2017 को जारी किया है।
आपको बता दें कि धर्मेन्द्र प्रताप सिंह सहित लतिका चव्हाण और आलिया शेख ने दैनिक भास्कर की प्रबंधन कंपनी डीबी कॉर्प लिमिटेड से जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के अनुसार अपने बकाए की मांग करते हुए स्थानीय श्रम विभाग में वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की धारा 17 (1) के तहत क्लेम किया था। महाराष्ट्र के कामगार आयुक्त कार्यालय की सहायक कामगार आयुक्त नीलांबरी भोसले ने इस मामले में लंबी सुनवाई की और दोनों पक्षों को गंभीरता से सुनने के बाद पाया कि धर्मेन्द्र प्रताप सिंह, लतिका चव्हाण तथा आलिया शेख द्वारा मांगा गया बकाया सही है।
इसके बाद सुश्री भोसले ने पहले आर्डर (नोटिस) जारी किया कि डीबी कॉर्प इन कर्मचारियों का बकाया पैसा फौरन अदा करे। मगर 20-25 दिन गुजर जाने के बाद भी जब उक्त प्रबंधन के कानों पर जूं नहीं रेंगी तो उन्होंने जुलाई महीने की पहली तारीख को डीबी कॉर्प के विरुद्ध बकाए की वसूली के लिए रिकवरी सर्टिफिकेट जारी कर दिया है।
धर्मेन्द्र प्रताप सिंह की बकाया राशि 18 लाख 70 हजार 68 रुपए, लतिका आत्माराम चव्हाण की 14 लाख 25 हजार 988 रुपए और आलिया शेख की 7 लाख 60 हजार 922 रुपए है। आरसी के मुताबिक इसमें 30% (अंतरिम राहत) की राशि को जोड़ना शेष है, किंतु संपूर्ण धनराशि पर 18% की दर से मांगी गई ब्याज की रकम का जिक्र नहीं है! वैसे इन तीनों रिकवरी सर्टिफिकेट से एक नया रिकॉर्ड तो बन ही गया है।
आरसी में धर्मेन्द्र प्रताप सिंह, लतिका चव्हाण तथा आलिया शेख का बकाया पैसा दिलाने के लिये डीबी कॉर्प की उन अचल संपत्तियों का विवरण भी दिया गया है जिसे जरूरत पड़ने पर नीलाम कर तीनों मांगकर्ताओं को पैसा दिया जाना है। इसमें मुंबई स्थित माहिम कार्यालय के अतिरिक्त डीबी कॉर्प का बीकेसी (बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स) स्थित नमन चैंबर्स वाला कार्यालय भी शामिल है।
धर्मेन्द्र प्रताप सिंह के अलावा लतिका चव्हाण और आलिया शेख ने यह क्लेम किया था। सो, माननीय सुप्रीम कोर्ट का आर्डर आने के बाद कटी इस पहली आरसी से उन अखबार मालिकों का अहंकार जरूर टूटेगा, जो अब तक यही सोच रहे थे कि मीडियाकर्मी मुकदमा हार गये हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया है कि अखबार मालिकों को मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें हर हाल में लागू करनी ही पड़ेंगी।
मुंबई से पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट शशिकांत सिंह की रिपोर्ट. संपर्क : 9322411335 या [email protected]
shakoor khan
July 7, 2017 at 9:23 am
please give the contract no of Shri Dharmender Partap Singh.
Kashinath Matale
July 7, 2017 at 11:47 am
Wah…
Good News for all concerned who are fighting for justice.
Congratulation to the concerned employees of DB, Mumbai.