एचटी ग्रुप का एचआर डायरेक्टर मजीठिया वेज बोर्ड मामले में डीएलसी के सामने ये क्या बोल गया!

दिनांक 21 अगस्त को मजीठिया वेज लागू करने के सवाल पर बिहार में दो जगहों सुनवाई हुई। फार्म सी के साथ दिए गए क्लेम पर सुनवाई राज्य सरकार के डिप्टी सेक्रेटरी अमरेन्द्र मिश्र ने की। फरवरी में दिए गए आवेदन पर सुनवाई की शुरुआत करने में 5 महीने लग गये। सुप्रीम कोर्ट की मोनेटरिन्ग होने के बाद भी गति नौ दिन चले ढाई कोस की तरह धीमी रही। दूसरा मजीठिया मामलों मे कंप्लेन केस, गलत बयानी और दमनात्मक कार्रवाई पर डीएलसी पटना के यहां सुनवाई थी। दोनों जगहों पर एचटी के एचआर डायरेक्टर राकेश गौतम खुद उपस्थित हुए और बेहूदगी व मूर्खता की सारी सीमा लांघ दी।

मजीठिया मुद्दे पर फास्ट ट्रैक कोर्ट के लिए राज्यपाल को दिया ज्ञापन

वाराणसी । काशी पत्रकार संघ और समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन के प्रतिनिधि मंडल ने मंगलवार 22 अगस्त, 2017 को अपराह्न लखनऊ स्थित राजभवन में प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक से मिलकर उन्हें मजीठिया वेज बोर्ड की संस्तुतियों के तहत पत्रकारों व गैर पत्रकार कर्मचारियों के लम्बित वादों के निस्तारण के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने का आग्रह किया।

श्रम न्यायालय ने दैनिक जागरण से जुर्माना वसूला!

मजीठिया वेज बोर्ड मामले से जुड़े दिलीप कुमार द्विवेदी बनाम जागरण प्रकाशन लिमिटेड के मामले में दिल्ली की कड़कड़डूमा श्रम न्यायालय ने दैनिक जागरण से दो हजार रुपये जूर्माना वसूलकर वर्करों को दिलवाया और जागरण से अपना जवाब देने के लिए कहा। दिल्ली की कड़कड़डूमा श्रम न्यायालय में दैनिक जागरण के उन 15 लोगों, जिन्होंने जस्टिस मजीठिया बेज बोर्ड की मांग को लेकर जागरण प्रबंधन के खिलाफ केस लगाया था, के मामले की कल सुनवाई थी। इन सभी वर्कर को जागरण ने बिना किसी जाँच के झूठे आरोप लगाकर टर्मिनेट कर दिया था।

राजस्थान पत्रिका प्रबंधन से श्रम विभाग ने पूछा- क्यों नहीं दिया मजीठिया, कारण बताओ

राजस्थान पत्रिका के एमडी को श्रम विभाग ने नोटिस भेजकर उपस्थित होने को कहा

जयपुर। सर्वोच्च न्यायालय के मजीठिया वेज बोर्ड के मामले में 19 जून को दिए गए फैसले के बाद पत्रकारों की उम्मीदों को झटका जरूर लगा था, लेकिन इस फैसले के बाद पत्रकारों की उम्मीदों को नए पंख भी मिल गए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देशभर के श्रम कार्यालयों में मजीठिया वेज बोर्ड को हल्के में नहीं ले रहे हैं। लेबर विभाग को लेकर आम धारणा है कि यहां सालों साल मामले ​खिंचते चले जाते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद श्रम विभाग को लेकर मजबूरी में ही सही सक्रिय होना पड़ रहा है।

हिंदुस्तान अखबार के फ्रॉड के सुबूत दिखाने पर एचआर हेड की बोलती बंद हो गई!

मजीठिया आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन के मामले में यूपी सरकार की मंशा साफ़ है : मंत्री 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि मजीठिया आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन के मामले में सरकार की मंशा साफ़ है।  सरकार चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अक्षरशः अनुपालन हो। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मालिकान अगर अपने स्तर से सुनिश्चित कराते हैं तो यह उनकी महानता होगी। उन्होंने कहा कि इरादे नेक हों तो हर समस्या का हल किया जा सकता है। 

पटना एचटी के एचआर हेड पर गिरी गाज, सुनवाई में नहीं आया संस्थान

हिन्दुस्तान टाइम्स ग्रुप में मजीठिया वेज बोर्ड को लागू करने के सवाल पर पटना डिप्टी लेबर कमिश्नर के यहां सुनवाई के दौरान नया मोड़ आया। बार-बार झूठ और भ्रष्ट हरकतों को अपनाने वाली प्रबंधन ने नई चाल चली और 4 अगस्त को उसने वेज बोर्ड लागू करने के संदर्भ में मांगी गई सारी सूचनाओं का अभिलेख लेकर आने के लिए जिस प्रबंधन ने खुद समय लिया था, अचानक भाग खड़ा हुआ। सुनवाई का समय दो बजे दिन तय था और ढाई बजे तक प्रबंधन की तरफ से कोई नहीं पहुंचा। उसके तत्काल बाद एक फोन आया- ”मैं एचटी ग्रुप का नया एचआर हेड अभिषेक सिंह बोल रहा हूं। पुराने एचआर हेड रविशंकर सिंह का ट्रांसफर कर दिया गया है। मैं नया हूं इसलिए कुछ समय चाहिए। मैं इसकी लिखित सूचना और आवेदन भेज रहा हूं।” मगर दो घंटे बाद तक भी लिखित सूचना और आवेदन नहीं आया। अब सुनवाई 21 अगस्त को होगी।

पटना के एक अखबार के प्रबंधन ने डीएलसी को वाशिंग मशीन और आरओ गिफ्ट किया!

पटना के एक अखबार के एक मीडिया कर्मी ने जानकारी दी है कि यहां जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड न देना पड़े इसके लिए एक भ्रष्ट डिप्टी लेबर कमिश्नर महोदय चांदी काट रहे हैं। इस मीडियाकर्मी ने नाम न छापने की शर्त पर जानकारी दी कि पटना के महाधूर्त डिप्टी लेबर कमिश्नर को अखबार प्रबंधन ने अपने एक खास मातहत के जरिये वाशिंग मशीन और पानी को शुद्ध करने वाला आरओ गिफ्ट किया है। इसके अलावा अन्य उपहार भी समय समय पर दिए जा रहे हैं। इस बारे में सूत्रों का कहना है कि अखबार प्रबंधन ने डीएलसी को ये खास गिफ्ट इसलिए भेंट दिया है ताकि मजीठिया मामले में ये अखबार प्रबंधन की मदद करें।

मजीठिया वेज बोर्ड मामले में यूपी के मीडियाकर्मी यहां करें शिकायत

यूपी सरकार की मजीठिया निगरानी समिति की बैठक 8 अगस्त को होने जा रही है। मजीठिया मांगने पर यदि आपके खिलाफ अन्याय हो हुआ है या हो रहा है तो आप अपनी संक्षिप्त रिपोर्ट (नाम, पता, मोबाइल नंबर, अखबार का नाम औऱ 5 लाइन में घटनाक्रम) इन मेल आईडीज पर भेज दें…

मजीठिया के लिए कानूनी सहायता कैंप : दर्जनों मीडियाकर्मियों ने क्लेम के लिए बढ़ाया कदम

वाराणसी। मजीठिया वेज बोर्ड की संस्तुतियों को लागू कराने की लड़ाई की अगुवाई कर रहे समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन व काशी पत्रकार संघ के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को पराड़कर स्मृति मवन में “कानूनी सहायता शिविर लगाया गया। शिविर में काफी संख्या में पत्रकारों, समाचार पत्र कर्मियों ने मजीठिया वेज बोर्ड की संस्तुतियों को कैसे हासिल किया जाय, इसकी कानूनी जानकारी ली। समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन के मंत्री अजय मुखर्जी ने कैम्प में आये पत्रकारों समाचार पत्र कर्मचारियो कों मजीठिया वेज बोर्ड की संस्तुतियो के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए उसे कानूनी रूप से कैसे लिया जा सकता है उससे अवगत कराया। 

बनारस में मजीठिया मामले में मीडियाकर्मियों के मुकदमों की फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह होगी सुनवाई

मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी से एक बड़ी खबर आ रही है। यहां जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और एरियर को लेकर पत्रकारों व गैर पत्रकारों की लड़ाईं लड़ रहे समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन व काशी पत्रकार संघ की पहल पर अब डीएलसी स्तर तक के सभी तरह के मुकदमों की सुनवाई निर्धारित समय के भीतर पूरी होगी। इस आशय का आदेश जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्र ने शनिवार को समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन व काशी पत्रकार संघ के संयुक्त प्रतिनिधिमण्डल की बातों को सुनने के बाद दी।

अखबार मालिकों को मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू करना ही होगा : कामगार आयुक्त

मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश महाराष्ट्र में लागू कराने के लिये बनायी गयी त्रिपक्षीय समिति की बैठक में महाराष्ट्र के कामगार आयुक्त यशवंत केरुरे ने अखबार मालिकों के प्रतिनिधियों को स्पष्ट तौर पर कह दिया कि 19 जून 2017 को माननीय सुप्रीमकोर्ट के आये फैसले के बाद अखबार मालिकों को बचने का कोई रास्ता नहीं बचा है। अखबार मालिकों को हर हाल में जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू करनी ही पड़ेगी। श्री केरुरे ने कहा कि माननीय सुप्रीमकोर्ट ने जो आदेश जारी किया है उसको लागू कराना हमारी जिम्मेदारी है और अखबार मालिकों को इसको लागू करना ही पड़ेगा। इस बैठक की अध्यक्षता करते हुये कामगार आयुक्त ने कहा कि अवमानना क्रमांक ४११/२०१४ की सुनवाई के बाद माननीय सुप्रीमकोर्ट ने 19 जून 2017 को आदेश जारी किया है जिसमें चार मुख्य मुद्दे सामने आये हैं। इसमें वर्किंग जर्नलिस्ट की उपधारा २०(जे), ठेका कर्मचारी, वेरियेबल पे, हैवी कैश लॉश की संकल्पना मुख्य थी।

हिमाचल प्रदेश वर्किंग जर्नलिस्‍टस यूनियन गठित, मजीठिया को लेकर निर्णायक जंग की तैयारी

मजीठिया वेजबोर्ड अवार्ड को लागू करवाने और प्रबंधन के उत्‍पीड़न के खिलाफ पिछले दिन वर्षों से लड़ाई लड़ रहे वरिष्‍ठ पत्रकार रविंद्र अग्रवाल के प्रयासों से हिमाचल प्रदेश में पहली बार पत्रकार एवं गैर-पत्रकार अखबार कर्मियों की यूनियन का गठन कर लिया गया है। हिमाचल के कई पत्रकार और गैरपत्रकार साथी इस यूनियन के सदस्‍य बन चुके हैं और अभी भी सदस्‍यता अभियान जारी है। एक जून को इस हिमाचल प्रदेश वर्किंग जर्नलिस्‍टस यूनियन(एचपीडब्‍ल्‍यूजेयू) के नाम से गठित इस कर्मचारी यूनियन में पत्रकार और गैरपत्रकार दोनों ही श्रेणियों के अखबार कर्मियों को शामिल किया जाएगा। नियमित और संविदा/अनुबंध कर्मी भी यूनियन के सदस्‍य बन सकते हैं, वशर्ते इनका पेशा सिर्फ अखबार के कार्य से ही जुड़ा होना चाहिए।

मजीठिया वेज बोर्ड मामले में प्रभात खबर के पत्रकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर किया

जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में एक बड़ी खबर आ रही है। प्रभात खबर के आरा के ब्यूरो चीफ मिथलेश कुमार के मामले में सुप्रीमकोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले में कुछ कमियों को दूर करने के लिए उनके एडवोकेट दिनेश तिवारी ने माननीय सुप्रीमकोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर कर दिया है। इस खबर की पुष्टि मंगलवार 18 जुलाई को देर रात खुद मिथलेश कुमार ने फोन पर हुई बातचीत में किया है।

क्या नोएडा के डीएलसी रहे बीके राय दैनिक जागरण के आदेशपाल की तरह काम करते थे?

माननीय सुप्रीम कोर्ट से मजीठिया को लेकर जो फैसला आया, उसको मालिकानों ने अपने काम कर रहे वर्कर के बीच गलत तरह से पेश किया। उदाहरण के तौर पर दैनिक जागरण को लेते हैं। सभी जानते हैं कि दैनिक जागरण का रसूख केंद्रीय सरकार से लेकर राज्य सरकारों तक में है। इनके प्यादे अक्सर इस बात की धौंस मजीठिया का केस करने वाले वर्करों को देते रहते हैं कि रविशंकर प्रसाद, जेटली जी और पी एम मोदी जागरण की बात सुनते हैं। देश में ऐसा कौन है जो जागरण की बात नहीं मानेगा? इन नेताओं की आय दिन तस्वीरें जागरण के मालिकानों के साथ अख़बारों में छपती रहती हैं। देखें तो, प्यादों की बात सही भी है, क्योंकि यह सब जागरण के वर्करों ने देखा भी है। तभी तो जागरण के मालिकान और मैनेजमेंट बेख़ौफ़ होकर किसी भी दफ्तर में गलत तर्क या गलत शपथ पत्र देते नहीं हिचकते हैं।

सेवानिवृत्त मीडियाकर्मी भी अपना हक लेने के लिए मीडिया मालिकों के खिलाफ मैदान में कूदे

मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर अवमानना के केस में माननीय सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है, उसके बाद अख़बार कार्यालयों से अपनी सेवा से निवृत हो चुके वर्कर भी अब इस लड़ाई में कूद पड़े हैं। जाहिर है, मालिकान ने अभी तक जो पैसा दिया है, वह मजीठिया के अनुसार नहीं दिया है। पिछले दिनों पटना के कुछ रिटायर वर्करों ने अखबार मालिकानों पर अपना दावा लिखित रूप से ठोंका। सूत्र बताते हैं कि इनकी संख्या बारह के करीब है। इस कड़ी में आगे कुछ और लोगों के जुड़ने की उम्मीद है और आशा की जानी चाहिए कि यह आग धीरे धीरे पूरे देश में लगेगी।

मजीठिया : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद श्रम अधिकारियों का रवैया बदला है

सुप्रीम कोर्ट ने मजीठिया को लेकर जो फैसला दिया है, उसके बाद हर जिले के डीएलसी आफिस यानी सहायक श्रम आयुक्त कार्यालय के हर कर्मचारियों का रवैया बदला है। इन कर्मचारियों का रुख इसलिए बदला है कि 19 जून 2017 को माननीय सुप्रीम कोर्ट के आये फैसले में यह स्पष्ट लिखा है कि मजीठिया वेतन आयोग के मामले में सरकारी अधिकारी या कर्मचारी के क्या दायित्व होंगे। यही वजह है कि मजीठिया का मामला 19 जून के बाद जहां भी शुरू हुआ है, मालिकान की तरफदारी करने वाले सभी सरकारी अधिकारी का रवैया बदला है।

अपने अखबार मालिकों के धंधों का काला चिट्ठा निकालिये, मजीठिया लेने में काम आएंगे

एक-दो अख़बारों को छोड़ दें तो सभी अख़बार या अख़बार समूहों में वेतन को लेकर कोई न कोई लोचा जरूर है। सवाल वही है कि अगर किसी आयोग ने हमारी तनख्वाह 2000 रूपये तय की है और मालिकान हमें 1995 रुपये दे रहे हैं, तो 5 रुपये की गड़बड़ी तो मालिकान ने की ही है। फिर इस लिहाज से आयोग के आदेश का सही तरह से पालन कहां हुआ? सरकार द्वारा मंजूर इस देनदारी को अख़बार मालिकानों ने सही तरह से नहीं निभाया है।

अगर आप प्रिंट मीडिया से रिटायर हुए हैं या नौकरी से निकाले गए हैं तो पा सकते हैं लाखों रुपये, जानें कैसे

जो मीडियाकर्मी दुनिया में नही हैं उनके परिजन भी पा सकते हैं मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ… जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ पाने के लिए वे मीडियाकर्मी भी सामने आ सकते हैं जो वर्ष 2008 से 18 जुलाई 2017 के बीच सेवानिवृत हुए हैं। यही नहीं, अगर कंपनी ने आपको इस अवधि के दौरान नौकरी से निकाल दिया है तो ऐसे लोग भी लाखों रुपये पा सकते हैं।

कोर्ट ने दैनिक जागरण को लगाई फटकार, रोज होगी मजीठिया की सुनवाई

कानपुर से मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ रहे मीडियाकर्मियों के लिए एक अच्छी खबर आ रही है. आज कानपुर लेबर कोर्ट ने दैनिक जागरण समूह की कंपनी जागरण प्रकाशन लिमिटेड को कड़ी फटकार लगाई. आज मजीठिया वेज बोर्ड मामले की सुनवाई थी. सुनवाई के दौरान जब जागरण प्रकाशन का नंबर आया तो जागरण प्रकाशन की तरफ से कोई मौजूद नहीं था. वकील ने कोर्ट से अगली तारीख देने की अप्लीकेशन लगा दी.

मजीठिया : पत्रिका को पत्रकार जितेंद्र जाट का तमाचा, लेबर कोर्ट में जीते टर्मिनेशन का केस

कल 10 जुलाई यानि सावन के पहले सोमवार को एक शुभ समाचार आया। पत्रिका अखबार के मालिक गुलाब कोठारी और उनके ख़ास सिपहसालारों की हार की शुरुआत हो गई है। पत्रिका के मालिकों के खिलाफ जब कर्मचारियों ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना के केस लगाये तो पत्रिका प्रबन्धन ने संबंधित कर्मचारियों को टर्मिनेट-ट्रान्सफर करना शुरू कर दिया। टर्मिनेशन-ट्रान्सफर के खिलाफ कर्मचारी लेबर कोर्ट गए।

भास्कर समूह की कंपनी डीबी कार्प के खिलाफ कट गई आरसी, मजीठिया क्रांतिकारियों का बकाया देने के लिए संपत्ति होगी नीलाम

मजीठिया मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद महाराष्ट्र में कटी पहली आरसी… दैनिक भास्कर और दिव्य भास्कर समेत कई अखबारों को संचालित करने वाली भास्कर समूह की कंपनी डीबी कॉर्प लिमिटेड के माहिम और बीकेसी कार्यालय को नीलाम कर कर्मचारियों को बकाया पैसा देने का आदेश…

सुप्रीम कोर्ट ने मजीठिया को लेकर मीडियाकर्मियों की लड़ाई को लेबर कोर्टों के हवाले किया

सुप्रीम कोर्ट ने दिया साफ संदेश- ”मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लेबर कोर्ट में लड़िए”. मजीठिया वेज बोर्ड लागू नहीं करने पर दायर अवमानना याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आज जो फैसला सुनाया है उसका स्पष्ट मतलब यही है कि आगे से इस मामले में कोई भी सुप्रीम कोर्ट न आए और जिसे अपना हक चाहिए वह लेबर कोर्ट जाए. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रंजन गोगोई व जस्टिस नवीन सिन्हा की खंडपीठ से मीडियाकर्मियों ने जो उम्मीद लगाई थी, वह दोपहर तीन बजे के बाद मुंह के बल धड़ाम से गिरी. दोनों जजों ने फैसला सुनाते हुए साफ कहा कि वेजबोर्ड से जुड़े मामले संबंधित लेबर कोर्टों में सुने जाएंगे. वेज बोर्ड के हिसाब से एरियर समेत वेतन भत्ते संबंधित मामले लेबर कोर्ट या अन्य कोर्ट में ही तय किए जाएं. संबंधित कोर्ट इन पर जल्दी से जल्दी फैसला लें.