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सियासत

भाजपा और आरएसएस के दुष्प्रचार ने इसकी रगों में नफ़रत भर इसे चलता-फिरता जौम्बी बना दिया!

श्याम मीरा सिंह-

ये RPF का मोदी भक्त कांस्टेबल- चेतन सिंह है. इसकी तैनाती- जयपुर-मुंबई एक्सप्रेस ट्रेन में सुरक्षा देने वाले सिपाहियों में थी. भाजपा और आरएसएस के दुष्प्रचार ने इसकी रगों में नफ़रत भर इसे चलता-फिरता जौम्बी बना दिया.

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इसके साथ इसके सीनियर- ASI टीकाराम मीना थे. ट्रेन में हुई राजनीतिक बहस के बीच ही इसने ASI टीकाराम मीना को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया.

इसके बाद इसने मधुबनी के अब्दुल कादिर की भी गोली मारकर हत्या कर दी. फिर ये आगे चला जहाँ इसे रेल बोगी की पैंट्ररी में एक आदमी मिला, उसे भी इसने मौत के घाट उतार दिया.

फिर आगे S-6 कोच में गया. वहां इसे असगर अली नाम का जयपुर का एक चूड़ी बेचने वाला मिला. उसे भी इसने गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया.

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हत्याएं करते हुए चेतन सिंह ये कह रहा है कि- हिंदुस्तान में रहना है तो योगी-मोदी कहना होगा.

चेतन सिंह ने पहले अपने सीनियर की हत्या की. बाद में बोगी में जो मुस्लिम मिले उन्हें बिना जाने ही उनकी हत्याएं कीं.

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ये सामान्य घटना नहीं है ये एक नस्लवादी घटना है, एक आतंकवादी घटना है, और इसके लिए आरएसएस-भाजपा का प्रचार तंत्र जिम्मेदार है. इसके लिए टीवी की बहसें जिम्मेदार हैं. भाजपा ने राजनितिक लाभ के लिए इस देश की नस्लों में सालों-साल के लिए नफरत बोई है.

ऐसे जौम्बी कभी भी किसी को नोच सकते हैं. इस आतंकवादी घटना की आलोचना बिना इसकी जड़ यानी आरएसएस और भाजपा के दुष्प्रचार की आलोचना किये बिना नहीं की जा सकती. पूरे हिंदुस्तान ही नहीं , पूरी दुनिया के लिए ये शर्मशार करने वाली घटना है.

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ये आरएसएस के कारखाने के प्रोडक्ट हैं जो मानव-बम बनकर हमारे आसपास घूम रहे हैं.


अभिषेक गोयल-

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3 बेक़ुसूर हिंदुस्तानियों को RPF के चेतन सिंह ने चलती ट्रेन में पॉइंट ब्लेंक रेंज से सिर्फ़ इसलिए उड़ा दिया क्योंकि वो मुसलमान थे.. १- अब्दुल क़ादिर २. महम्मद हुसैन ३.असग़र हुसैन।

सोचिए, अगर ये तीनों मुसलमान चेतन सिंह को मार कर अपनी जान बचाने में कामयाब हो जाते तो अब तक RPF के जवान के क़त्ल के इल्ज़ाम में इन तीनो पर आतंकवादी का ठप्पा लग गया होता और फिर शुरू होता NSA/UAPA का खेल।।

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ख़ैर, इसने अपने सीनियर टीकाराम मीणा साहब का भी क़त्ल किया जिन्हें 40 लाख देने का एलान हो चुका है। पर उन 3 निर्दोष मुसलमानों के परिवारों को कुछ नहीं मिलेगा सिवाय हम सब की थोड़ी बहुत सहानुभूति के।


इसी प्रकरण पर ये वीडियो भी देखें-

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6 Comments

6 Comments

  1. अशोक कुमार शर्मा

    August 1, 2023 at 10:12 am

    बेशक इस इंसान और इसके जैसे हर इंसान को चौराहे पर मौत की सज़ा देनी चाहिए, लेकिन कुछ मासूम से सवाल हैं। इसके लिए बहुत लम्बा विमर्श जरूरी है।

    अगर मैं मनु का उदाहरण दूंगा तो मनुवादी, गोदी मीडिया या भक्त कहलाऊंगा। इसलिए उनके बजाय में हजरत आदम अलैहिस्सलाम का नाम लूंगा। आजकल वह ज्यादा सेकुलर है। उनके दो बेटे थे हाबील और काबील।
    हज़रत आदम की पत्नी हजरत हव्वा को जब भी गर्भ ठहरता, उनको जुड़वाँ बच्चे एक बेटा, एक बेटी ही पैदा होते। इसी सिलसिले में पहले काबील और उनकी बहन अक्लीमा पैदा हुई। फिर हाबील और उनकी बहन यहूदा पैदा हुई। संयोगवश यहूदा की मौत हो गई और रह गई अक्लीमा। उस समय हजरत आदम ने यह फैसला किया हुआ था कि जो बेटी अपने साथ मां के पेट से जिस बेटे को लाई, उसी से उनका विवाह होगा। कायदे से तो हाबील की पत्नी यहूदा तय थी। लेकिन उसकी मौत से झगड़ा बढ़ गया। अब लड़की एक दावेदार दो। आदम ने तय किया कि बड़े भाई का विवाह अक्लीमा से किया जाए। इस पर अपना हक जताते हुए काबील ने बाप का हुक्म मानने से इनकार कर दिया। हज़रत आदम ने इस झगड़े को निपटाने के लिए फैसला दिया कि दोनों कुर्बानी दें जिसकी कुर्बानी कुबूल होगी अक्लीमा से उसी का विवाह होगा।

    उस दौर की कहानियों के हिसाब से जब दो लोगों में झगड़ा होता था तो वह आपस में अपने-अपने कुर्बानी ईश्वर के नाम पर किसी पहाड़ पर रखते थे और जिस कुर्बानी पर आसमान से बिजली गिरती थी उसी को यह माना जाता था कि ईश्वर ने कबूल कर लिया है। बड़े बेटे हाबील ने एक मोटा सा मेंढा पहाड़ की चोटी पर बांध लिया और छोटे भाई काबील ने कुछ दूरी पर एक टोकरा गेहूं रख दिया। कुछ देर इंतजार के बाद आसमान से बिजली गिरी और मेढा जलकर भस्म हो गया। इशारा साफ था कि ईश्वर ने काबिल की कुर्बानी कुबूल कर ली थी। इसका मतलब यह भी था कि अब बहन के साथ में शादी का हक हाबील को था और काबील इस दौड़ से बाहर हो गया था। थोड़ी बहुत बहस के बाद में काबील ने अपने भाई के सर पर एक छोटी चट्टान फेंक मारी। हाबील की मौत के बाद काबील अपनी जुड़वां बहन को लेकर इसलिए कहीं भाग गया, क्योंकि अपने बड़े बेटे के मरने से नाराज आदम उसे मारने के लिए खुद घूम रहे थे। एक कहानी यह भी है कि बहुत दिनों तक काबील अपने भाई की लाश को कंधे पर लेकर घूमता रहा और एक जगह दो कमों को झगड़ते देखकर रुक गया और जब उसने देखा कि जीतने वाले कव्वे ने हारने वाले कौवे की लाश को पंजों से खोदकर जमीन में दफना दिया है, तो उसने भी ऐसा ही किया।

    को उसमें गाड़ कर पंजों से मिट्टी बराबर कर दी। कहानी के इस संस्करण में कहा जाता है कि हजरत आदम ने अल्लाह के हुक्म से काबील को मृत्यु दण्ड दिया और मौत से बचने के लिए वह यमन की तरफ भाग गया और वहां उसने एक अल्लाह की इबादत करने के बजाए आग की पूजा शुरू कर दी। जाहिर है आग को पूजनेवाले हम सब परंपरागत अपराधी हैं।

    जो लोग बात बात पर भगवान राम श्री कृष्ण और तमाम तरह की सनातन धर्म के देवी-देवताओं के वजूद के सबूत मांगते हैं, उन सब लोगों की इन कहानियों पर हमें कोई संदेह नहीं करना चाहिए क्योंकि इन सब के वीडियो कवरेज, सीसीटीवी रिकार्डिंग और अखबार में छपी रिपोर्ट भी दावा करनेवालों पर मौजूद हैं।

    मजहबी उन्माद के नाम पर शुरू हुए कत्लोआम की कहानियां हर देश और हर युग में ज़िंदा रही हैं। जिसकी जो परंपरा रही है और जिसकी जो ताकत जिस दौर में रही है उसने उन कहानियों का रुख दूसरे धर्म की ओर मोड़ दिया है। सनातन धर्म एक ऐसा गंदा तौलिया है जिससे आजकल हर शांतिप्रिय अपने खून से सने हाथ पोंछ रहा है। भाजपा और आरएसएस के जन्म से पहले इस्लाम के लिए एक अलग मुल्क मांगनेवाले, भारत के खूनी विभाजन के जिम्मेदार लोग, उनके तालिबान, उनके आइसिस, उनके जेहादी और उनके पत्थरबाज उन्मादी बेकसूर थे और रहेंगे।

    और हां, आरपीएफ के कातिल हत्यारे सिपाही की आप सड़क पर बोटियां काटिए, उसे जलाइए या बम से उड़ाइए मुझे कोई हमदर्दी नहीं। मेरा कहना ये है कि अगर सांप्रदायिकता और आतंकवाद का धर्म नहीं होता है तो फिर हर बात को मोदी, योगी, भाजपा और आरएसएस से कैसे जोड़ा जा सकता है?

    • Anuraag Tomer

      August 1, 2023 at 5:11 pm

      एक हिंसा का जवाब दूसरी हिंसा कभी नहीं हो सकती । आजकल जिस तरह से धर्मों का प्रचार प्रसार हो रहा है वो केवल पूरे विश्व को विनाश की तरफ़ ही ले जा रहा है । धर्म किसी का भी अपना व्यक्तिगत मामला ज़रूर हो सकता है लेकिन यदि धर्म का नाम लेकर कही भी कोई भी जुल्म करता है तो उसे देश के क़ानून के हिसाब से सजा ज़रूर मिलनी चाहिए । भारत पहले ही धर्म के नाम पर विभाजन देख चुका है और उसमें मचे कोहराम की कहानियाँ अभी तक ज़िंदा है भविष्य में इस तरह की घटना को टालने के लिए अभी से ही धर्म को राजनीति से अलग कर देना चाहिए ।आज़ादी से पहले बीजेपी नहीं थी लेकिन आरएसएस ज़रूर थी और जनसंघ भी था । और इसी जनसंघ ने जिन्ना के साथ मिलकर सरकार भी बनाई थी । और इसी जनसंघ या आरएसएस ने दो अलग राष्ट्र की विचारधारा को सबसे पहले समर्थन भी दिया था । तो भारत के विभाजन में कही ना कही इस आरएसएस और जनसंघ का भी हाथ था ।

    • संजीव वार्ष्णेय

      August 1, 2023 at 9:59 pm

      सटीक विश्लेषण किया है आपने
      साधुवाद

  2. Hanuman Singh

    August 1, 2023 at 5:13 pm

    मेडम आपको लगता कांग्रेस फोबिआ हो गया हे आपको अभी भी समझ नहीं आ रहा तो वो दिन दूर नहीं जब आपके सामने आपके बच्चे आपके सामने जिहाद का शिकार होंगे तब कहोगी काश आज मोदी योगी होते तो मेरे बच्चो का यह हल नहीं होता आज जो खेल चल रहा है बहुत हे खतरनाक हो रहा पाकिस्तान एक तरफ एक महिला को भेजता तो दूसरी तारक एक को अपने घर बुलाकर उसका ब्रेन वाश कर रहा आपकी लगता आँखे अभी भी गांधारी के भांति बंद हैं आज देश के सभी राज्यों की सीमाओं पर इनका कब्ज़ा होता जा रहा फिर चाहे रेलवे स्टेशन हो या बस अड्डा या फिर अन्य सार्वजनिक स्थल सभी जगहों पर इनका कब्ज़ा हो रहा हैं इसके पीछे बहुत दूर की प्लानिंग हैं वो हैं की धीरे धीरे देश के इन स्थलों पर कब्ज़ा कर फिर एक साथ आक्रमण कर देश संसाधनों पर कब्ज़ा कर देश पर अपना अधिकार कर लो जब इन पर इनका कब्ज़ा हो जायेगा तो आप कहा भाग कर जाओगी मेडम. इस पुरे खेल में कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों का पूरा समर्थन है या खेल अभी 10 – 20 वर्षो का नहीं हैं ये 1971 से कांग्रेस की कृपा से चल रहा हैं एक आम नागरिक को आधार कार्ड बनवाने में पसीने छूट जाते हैं चक्कर लगाते लगाते पर इनके कैसे बन रहे हैं समझने की जरुरत है माता श्री यू टब पर ज्ञान बाटना , मोदी योगी आर एस एस कोट बदनाम करना बहुत हैं आसान हैं कभी कांग्रेस की चल चरित्र पर भी अपने दृष्टि डालो सब समझ आ जायेगा . आर एस एस वह संगठन हैं जोकि हमेशा आपत्ति की समय बिना समय गमाये सहायता करने आगे आता कभी मुस्लिम संघठन को देखा एक उदारण हो तो बताओ अभी भी जग जायो बरना पीढ़िया पछतायेंगे हां कल रेलवे की हो घटना वह दुखद है नहीं होनी चाहिए थी रक्षक जब रक्षक का भक्षक बनेगा तो रक्षा कौन करेगा में भी इसका समर्धन नहीं करता हूँ साथ ही प्रशासन को भी अपने कर्मचार्यो की मनोदशा का धयान रखना जरूरी है आखिर ये भी तो इंसान है हो अपने परिवार को छोड़कर जनता की सेवा रक्षा करते है .

  3. संजीव वार्ष्णेय

    August 1, 2023 at 10:30 pm

    आईएसएस, तालिबान आदि किससे प्रभावित हैं❓ ये भी जिक्र कर देते तो ठीक रहता।

  4. Hari kant

    August 2, 2023 at 3:26 pm

    Congress ke dalal patrkaro ko sirf hindu hi qaatil dikhai deta hai wah re piddi media

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