LDA यानी लखनऊ विकास प्राधिकरण के छल, कपट और हठधर्मिता को लेकर राज्य उपभोक्ता आयोग कड़ा फैसला किया है. आयोग ने विभाग को कड़ी फटकार लगाते हुए न सिर्फ पीड़ित के हक में फैसला दिया बल्कि LDA से सम्बद्ध कर्मचारियों के संगठित अपराध पर भी प्रतिक्रिया दी है.
क्या है पूरा मामला?
गोमती नगर लखनऊ निवासी विजय बहादुर यादव की 65 वर्षीय पार्वती यादव ने 8 अगस्त 2017 को LDA से नीलामी के जरिए एक भूखण्ड खरीदा था. जिस मद में 1,18,39, 890/- रूपये जमा किये. पार्वती जब मौके पर पहुंची तो वहां पीपल के वृक्ष, चबूतरा व अवैध झुग्गी बनी मिलीं. इलाकाई लोग जल चढ़ाकर पूजा-पाठ करने आ रहे थे. भूखण्ड के पेड़ भी नहीं कटाये जा सकते थे. पार्वती ने LDA के कई अधिकारियों का दरवाजा खटकाया, पर कोई लाभ नहीं मिला.
एक करोड़ से अधिक रूपये फूंकने पर भी उसे 2 साल तक जमीन पर कब्जा नहीं मिला. जिसके चलते उन्होंने 2 दिसंबर 2019 को LDA को एक पत्र भेजकर आवंटन निर्सत करने की मांग की, लेकिन इसकी भी सुनवाई नहीं की गई.
पार्वती द्वारा बार-बार LDA के चक्कर मारने पर उनकी कुल जमा धनराशि में से टोकन मनी और GST के नाम पर 11,17, 280/- रूपये काटने के बाद बाकी धनराशि उन्हें वापस कर दी गई.
इससे आहत पार्वती यादव ने राज्य उपभोक्ता आयोग में एक परिवाद दाखिल कर दिया. जिसकी सुनवाई करते हुए आयोग के सदस्य राजेन्द्र सिंह ने अपने फैसले में LDA के छल कपट और हठधर्मिता पर भी टिप्पणी की. उन्होंने अपने फैसले में कहा…
- LDA पार्वती यादव को उसकी काटी गई धनराशि 11,16, 280/- रूपये वापस करेगा. रकम की वापसी 28 सितंबर 2020 से 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से परिवाद के निर्णय के 60 दिन के भीतर करने को कहा है. यदि निर्णय के 60 दिन के अंदर यह धनराशि अदा नहीं की जाती है तो ब्याज का धन बढ़कर 15 प्रतिशत हो जाएगा.
- विपक्षी यानी LDA को आदेश किया गया कि, पार्वती यादव के दावारा जमा की गई धनराशि 1,18,39, 890/- रूपये, जमा करने के दिन से 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज, इस परिवाद के निर्णय के 60 दिन के अंदर अदा नहीं की जाती है तो इसपर भी 15 प्रतिशत की दर से वार्षिक ब्याज लागू होगा. जो भुगतान तिथि तक देय होगी.
- इसके अलावा LDA परिवादिनी यानी पार्वती को मानसिक यंत्रणा, अवसाद के मद में 10 लाख रूपया, 28 सितंबर 2020 से 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर पर न्रणय के 60 दिन के अंदर अदा करे. इसके अलावा इस धनराशि में उपर की तरह 15 प्रतिशत वाला नियम लागू रहेगा.
- आयोग ने अपने आदेश में पार्वती द्वारा अदालती खर्च में व्यय एक लाख रूपये की धनराशि भी देने का आदेश दिया है. ये धनराशि भी 60 दिन के अंदर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के देय होगी.
- इसके साथ ही आयोग ने LDA को आदेश दिया है कि वह पीड़ित, उसकी वजह से अपना कार्य समय से शुरू नहीं कर सकी. इस मद में उसके जीविकोपार्जन हेतु 10 लाख रूपये और देने का आदेश दिया है, जिसपर ब्याजा राशि उपरोक्ट निर्णयों के मुताबिक लागू रहेगी.