इस महाभ्रष्ट, महापतित और घोटालेबाज अधिकारी राकेश शर्मा का क्या कोई इलाज हो सकता है?

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Deepak Azad : दोस्तों, इस महाभ्रष्ट, महापतित, घोटालेबाज राकेश शर्मा का क्या कोई इलाज हो सकता है? यह उत्तराखंड के लिए नासूर बनता जा रहा है। भ्रष्ट नेताओं को गांठने में माहिर यह घोटालेबाज अपने अधीनिस्थों को डरा-धमकाकर घोटालों को अंजाम तक पहुंचाता है। मैं पूरे भरोसे के साथ कह सकता हूं कि राज्य के बारे में ठीक-ठीक सोच रखने वाले अफसरों की एक बड़ी जमात इस शर्मा नाम के मगरमच्छ से बेहद परेशाान हैं। इसके घोटालों की, कारनामों की सूची बहुत लम्बी हैं, लेकिन यह मगरमच्छ पूर्व मुख्यमंमत्रियों की तरह अब हरीश रावत का भी खासमखास बना हुआ है।

राकेश शर्मा

संभवतः हरीश रावत अब इसे मुख्य सचिव की कुर्सी पर भी बैंठा दें। ईमानदार अफसरों के मन-मस्तिक में यह धारणा दिनोंदिन मजबूती से अपना घेरा बना रही है कि राज्य में ईमानदारी का कोई मोल नही है, यहां के नेताओं को राकेश शर्माओं की ही जरूरत है। ऐसे हालात में क्या कुछ किया जा सकता है? अपने सुझाव दें…….राय इस बात पर भी दें कि क्या कोई आंदोलनात्मक पहल की जाय, अगर हां तो किस रूप में?

उत्तराखंड के जनपक्षधर पत्रकार दीपक आजाद के फेसबुक वॉल से.

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Comments on “इस महाभ्रष्ट, महापतित और घोटालेबाज अधिकारी राकेश शर्मा का क्या कोई इलाज हो सकता है?

  • भाई दीपक आज़ाद जी,
    जिस विषय पर आपने हम लोगों से राय चाही है विषय सराहनीय है लेकिन आप अवगत ही हैं कि आज भ्रष्टाचार देश के कोने-कोने में, हर विभाग में और इनकी रगों में समा चुका है जिसको मिटाने के लिए पूर्व से लेकर आज दिन तक प्रयास होते रहे हैं और आगे भी चलते रहेंगे। इनमे कुछ कमी अवश्य संभव है लेकिन इसका समूल नष्ट हो जाना असंभव है। इन भ्रष्टों की जमात में ईमानदार हमेशा हासिये पर रहते हैं।
    जहांतक पत्रकारिता का प्रश्न है, हमें इन लोगों के बारे में सामूहिक रूप से सभी पत्रकारों को मिलकर एकल प्रयास करने होंगे। इनके अंदर पत्रकार की कलम का खौफ बैठाना होगा। और यदि कोई आपके साथ नहीं है तब तो आपको और अधिक शक्ति के साथ अपना विरोध दर्ज कराना चाहिए।
    माना कि सच के रास्ते में अनेकों कष्ट आते हैं, सच हमेशा कड़वा होता है लेकिन अंत में इसका रस अमृत्व की तरह मीठा स्वाद देता है, और सच ही की जीत होती है।
    यथा सहयोग हेतु मै आपके साथ हूँ।
    गोपालजी (जर्नलिस्ट)

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