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मजीठिया मांगने वाली नयी दुनिया की दिव्या सेंगर का ट्रांसफर सिविल कोर्ट ने रोका

माननीय सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार अपना वेतन और एरियर मांगने वाली इंदौर के नयी दुनिया अखबार में एक्जीक्यूटिव विपणन पद पर कार्यरत दिव्या सेंगर का प्रबंधन ने १२०० किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के रायपुर में ट्रांसफर कर दिया था। सुश्री दिव्या सेंगर ने इस मामले में अदालत की शरण ली। इसके बाद सप्तम व्यवहार न्यायाधीश ने इस ट्रांसफर को गलत मानते हुये इस पर मामले के निराकरण होने तक रोक लगा दी है। इस रोक के बाद दैनिक जागरण समूह के अखबार नयी दुनिया को गहरा झटका लगा है।

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माननीय सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार अपना वेतन और एरियर मांगने वाली इंदौर के नयी दुनिया अखबार में एक्जीक्यूटिव विपणन पद पर कार्यरत दिव्या सेंगर का प्रबंधन ने १२०० किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के रायपुर में ट्रांसफर कर दिया था। सुश्री दिव्या सेंगर ने इस मामले में अदालत की शरण ली। इसके बाद सप्तम व्यवहार न्यायाधीश ने इस ट्रांसफर को गलत मानते हुये इस पर मामले के निराकरण होने तक रोक लगा दी है। इस रोक के बाद दैनिक जागरण समूह के अखबार नयी दुनिया को गहरा झटका लगा है।

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बताते हैं कि नयी दुनिया अखबार में एक्जीक्यूटिव विपणन पद पर कार्यरत दिव्या सेंगर ने ३० दिसंबर २०१६ को श्रम आयुक्त के पास जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और एरियर दिलाने के लिये क्लेम लगाया था। इसके बाद नयी दुनिया प्रबंधन को श्रम आयुक्त कार्यलय ने ३ जनवरी २०१७ को नोटिस भेजा। इस क्लेम की जानकारी जब अखबार प्रबंधन को हुयी तो हड़कंप मच गया और प्रबंधन ने आनन-फानन में दिव्या सेंगर का ट्रांसफर १४ जनवरी को छत्तीसगढ़ के रायपुर में कर दिया तथा १८ जनवरी को रीलिवंग आर्डर भी थमा दिया।

दिव्या इस मामले को लेकर अदालत गयीं और अपने ट्रांसफर को पूरी तरह गलत बताया। मामले की सुनवाई करते हुये  इंदौर के सप्तम व्यवहार न्यायाधीश अमर सिंह सिसोदिया ने काफी गंभीरता से समझा और साफ तौर पर आदेश दिया कि अगर चुनौतीपूर्ण आदेश १४-१-२०१७ को स्थगित नहीं किया जाता है तो वाद प्रस्तुत करना निष्फल हो जायेगा। प्रथम दृष्टया संपूर्ण दस्तावेज वादिनी के पक्ष में हैं। इस मामले में अखबार प्रबंधन का कहना था कि वादिनी की नियुक्ती के समय नियुक्ती पत्र में दी गयी शर्तों के आधार पर उपलब्ध मानवश्रम नियोजन को देखते हुये रायपुर में दो कर्मचारियों द्वारा सेवा त्याग के बाद वहां की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुये स्थानांतरण किया गया। इस बावत शर्तें नियुक्ती पत्र में निहित हैं तथा वादिनी ने नियुक्ती पत्र में स्वेच्छा से हस्ताक्षर भी किया है। विद्वान न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा है कि यह स्थानांतरण विद्वेषपूर्ण और दुर्भावनापूर्ण प्रतीत होता है। प्रकरण के अंतिम निस्तारण तक इस पर रोक लगाया जाता है।

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शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट
मुंबई
९३२२४११३३५
[email protected]

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