दो बड़े अंग्रेजी अखबारों के संपादक दिवाकर अस्थाना और पीआर रमेश ट्रांसफर-पोस्टिंग के खेल में जुटे हैं! (देखें सुबूत)

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टाइम्स आफ इंडिया के एक संपादक हैं, दिवाकर अस्थाना. ये हर किसी को ‘बाबू’ कह कर बुलाते हैं. एक रोज (31 मई, शाम चार बजे) इन्होंने गलती से एक मैसेज टाइम्स आफ इंडिया के पत्रकारों के लिए बने ह्वाट्सअप ग्रुप पर पोस्ट कर दिया. इस मैसेज की शुरुआत भी बाबू संबोधन से हुई थी लेकिन आगे जो कुछ लिखा गया था, उसे पढ़कर ह्वाट्सअप ग्रुप से जुड़े सारे पत्रकारों की आंखें फटी की फटी रह गई.

मैसेज का लब्बोलुआब ये था कि संपादक जी एक आईआरएस अधिकारी अनुपम सुमन को बता रहे थे कि तुम्हारे लंदन पोस्टिंग के बाबत हम और इकानामिक टाइम्स के ब्यूरो चीफ पीआर रमेश वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिले थे. जेटली जी से तुम्हारी लंदन पोस्टिंग को लेकर चर्चा हुई. असल में आईआरएस अधिकारी अनुपम सुमन इन दिनों निजी वित्त पोषित पढ़ाई पर लंदन में हैं और चाहते हैं कि उनकी पोस्टिंग भी यहीं हो जाए, इनकम टैक्स की ओवरसीज यूनिट (ITOU) में.

आईआरएस अधिकारी अनुपम सुमन 2004 बैच के हैं. टीओआई के एक्जीक्यूटिव एडिटर दिवाकर अस्थाना के इस मैसेज के टाइम्स आफ इंडिया वाले पत्रकारों के ग्रुप में पोस्ट होते ही हड़कंप मच गया. जब तक किसी ने अस्थाना का ध्यान इस गलती की ओर दिलाया, तब तक काफी देर हो चुकी थी और लोग स्क्रीनशाट लेकर मैसेज को दूसरों तक पहुंचाने फैलाने में जुट गए थे. इस मैसेज के सार्वजनिक हो जाने के बाद चर्चा तेज हो गई कि क्या संपादक लोग अब दलाल बनकर रह गए हैं? क्या इनका काम अब ट्रांसफर-पोस्टिंग कराना भर रह गया है?

इस मैसेज को नीरा-बरखा टेप वाले प्रसंग के क्रमिक विकास के तौर पर देखा जा रहा है और माना जा रहा है कि भारतीय बाजारू पत्रकारिता में कोई सुधार आने की जगह इसका रूप धीरे धीरे दिन प्रतिदिन ज्यादा बाजारू और घटिया होता जा रहा है. इस मैसेज से तो यह साफ है कि अंग्रेजी के दो बड़े संपादक लोगों का असल काम ट्रांसफर पोस्टिंग है, वे चौथे खंभे के लिए जन सरोकार के तहत पत्रकारिता कतई नहीं कर रहे हैं. टाइम्स आफ इंडिया के संपादक दिवाकर अस्थाना ने जो मैसेज आईआरएस अफसर को भेजना चाहा था और गलती से टीओआई जर्नलिस्ट्स के आंतरिक ग्रुप में भेज दिया, वह इस प्रकार है-

Babu, met FM along with Ramesh regarding ITOU. He called Dash and in the presence of FM, the latter agreed that CBDT has wrongly held that you are in deputation when you are actually on study leave. It was also clarified in the presence of FM, that your fellowship has not been funded by government. Dash told FM that Arun ji had spoken directly with CBDT chief and , therefore, he was not in the loop. He also told FM that the matter is no longer with finance ministry as the CBDT has referred it to the foreign service board under MEA. Upon this , I said that FM, being the competent authority, can overturn the decision of CBDT. Dash said that we can scrap the entire ITOU panel as recalling the name for just London station may not look good. Upon this FM said ok and told us ‘chalo’. What do you think of it.

मैसेज का स्क्रीनशाट देखें…



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