दो बड़े अंग्रेजी अखबारों के संपादक दिवाकर अस्थाना और पीआर रमेश ट्रांसफर-पोस्टिंग के खेल में जुटे हैं! (देखें सुबूत)

टाइम्स आफ इंडिया के एक संपादक हैं, दिवाकर अस्थाना. ये हर किसी को ‘बाबू’ कह कर बुलाते हैं. एक रोज (31 मई, शाम चार बजे) इन्होंने गलती से एक मैसेज टाइम्स आफ इंडिया के पत्रकारों के लिए बने ह्वाट्सअप ग्रुप पर पोस्ट कर दिया. इस मैसेज की शुरुआत भी बाबू संबोधन से हुई थी लेकिन आगे जो कुछ लिखा गया था, उसे पढ़कर ह्वाट्सअप ग्रुप से जुड़े सारे पत्रकारों की आंखें फटी की फटी रह गई.

टाइम्स आफ इंडिया वालों ने चित्रा सिंह को लेकर इतना बड़ा झूठ क्यों छाप दिया!

खबर पढ़ाने के चक्कर में खबरों के साथ जो बलात्कार आजकल अखबार वाले कर रहे हैं, वह हृदय विदारक है. टाइम्स आफ इंडिया वालों ने छाप दिया कि सिंगर चित्रा सिंह ने 26 साल बाद का मौन तोड़ा और गाना गाया. टीओआई में सचित्र छपी इस खबर का असलियत ये है कि चित्रा सिंह ने कोई ग़ज़ल / भजन नहीं गया. उन्हें मंच पर बुलाकर सिर्फ सम्मानित किया गया था. लेकिन खबर चटखारेदार बनाने के लिए छाप दिया कि चित्रा ने गाना गाया.

टीओआई के राजशेखर झा बताएं, किसके कहने पर नजीब-आईएस वाली ख़बर प्‍लांट की थी?

जेएनयू के लापता छात्र नजीब के बारे में टाइम्‍स ऑफ इंडिया में इसके पत्रकार राजशेखर झा ने फर्जी खबर प्‍लांट की. इस खबर में बताया गया कि दिल्ली पुलिस ने जांच में पाया है कि नजीम यूट्यूब और गूगल पर आईएस (इस्लामिक स्टेट) के बारे में वीडियो आदि खोज देखा करता था, साथ ही वह आईएस की कार्यप्रणाली, विचारधारा, भर्ती आदि के बारे में अध्ययन करता था. खबर में बताया गया कि दिल्ली पुलिस ने नजीब की लैपटाप के जांच के बाद यह जानकारी हासिल की है. उधर, इस खबर के छपने के बाद दिल्ली पुलिस ने खंडन भेज दिया कि उसने ऐसी कोई जांच लैपटाप की नहीं की और न ही ऐसा कोई नतीजा निकला है.

TOI MUST APOLOGISE FOR FALSE NAJEEB STORY

The Delhi Union of Journalists is shocked that a leading daily like the Times of India should have discredited itself by publishing a malicious and misleading report on the missing JNU student Najeeb. The DUJ demands that the TOI issue an immediate apology for maligning a boy who is ‘missing and unable to defend his reputation.

TOI का पेड न्यूज : इससे ज्यादा बिकी हुई राजनीतिक खबर आज तक नहीं पढी

Chandan Srivastava : कुछ पैसे लेकर The Times of India ने आज एक पेड न्यूज अयोध्या विधानसभा से बसपा प्रत्याशी के समर्थन में छापी है। इस पेड न्यूज में मतदाताओं के बयान कुछ इस प्रकार छपे हैं-

टाइम्स आफ इंडिया में प्रिंट मीडिया मालिकों के पक्ष में छपे संपादकीय का जवाब डीयूजे ने भी भेजा

A Reply to The Times of India

On the eve of the budget session and state elections the newspaper industry has made out a case for financial sops, including exemptions from the forthcoming Goods and Services tax, and higher government advertisement rates. The pretext is the losses it claims it faces as a result of paying journalists and other employees fair wages. This is a case of killing two birds with one stone: make a killing by getting more money from the government and by denying employees the dues ordered by the Majithia Wage Board.

झूठ का पुलिंदा है टाइम्स ऑफ इंडिया का संपादकीय

जयपुर। सुबह-सुबह टाइम्स ऑफ इंडिया खोलते ही संपादकीय पेज के Indian newspaper industry : Red ink splashed across the bottom line शीर्षक से प्रकाशित लेख पर निगाह पड़ गई। चूंकि मसला प्रिंट मीडिया से संबंधित था, तत्काल पढ़ डाला। पूरा लेख झूठ का पुलिंदा है। प्रिंट मीडिया के मौजूदा हालात पर आंसू (घड़ियाली) बहाए गए हैं। अपने एक भी कर्मचारी को मजीठिया वेजबोर्ड का लाभ न देने वाले टीओआई ने वेजबोर्ड को लागू करने से हो रहे नुकसानों को बताया है। अखबार लिखता है कि स्थितियां इतनी गंभीर हो चली हैं कि बड़े नेशनल डेली न्यूजपेपर्स को संस्करण (हाल में हिंदुस्तान टाइम्स ने चार संस्करणों पर ताला लगाया है) बंद करने पड़ रहे हैं, स्टाफ की छंटनी हो रही है, कास्टकटिंग जारी है, खर्चे कम करने पड़ रहे हैं। लेख में अखबारों को नोटबंदी से हुए नुकसान और आगामी जीएसटी की टैक्स दरों पर चिंता जाहिर की गई है।