इतनी बड़ी खबर को क्यों पी गया दैनिक जागरण? इतनी बड़ी खबर को क्यों अंडरप्ले किया अमर उजाला और हिंदुस्तान ने?

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: क्या बिका हुआ है भारतीय लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ? : चंदौली (यूपी) :11 अक्टूबर, 2001 को ऋचा सिंह नाम की एक वर्षीय बच्ची को बुख़ार की वजह से अलीनगर, मुग़लसराय के जे.जे. नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया. यहाँ इलाज़ शुरू हुआ. बच्ची के पैर में ड्रिप लगाकर दवा चढ़ाई गई. कुछ ही देर में पैर में सूजन हो गया. तब डॉक्टर ने अपनी गलती को भांप बच्ची को बी.एच.यू. भेज दिया. बी.एच.यू. के डॉक्टरों ने परिवार वालों को बताया कि गलत दवा ड्रिप के माध्यम से चढ़ा दी गयी है. बच्ची की ज़िन्दगी बचाने के लिए पैर काटना ही एक मात्र विकल्प है. इसके बाद पिता बच्ची को ले कर इस उम्मीद के साथ मुंबई चले गए की शायद बच्ची का पैर बचाया जा सके.

मुंबई के डॉक्टरों ने भी परिजनों को वही बात बताई जो बी.एच.यू. के डॉक्टरों ने बताई थी. अंततः डॉक्टर की लापरवाही से उस मासूम एक वर्षीय बच्ची का पैर काटना ही पड़ा. इस दुखद घड़ी में पिता की आँख में आंसू और दिल में गुस्सा स्वाभाविक था. इसके उपरान्त पिता ने यह प्रण किया कि धरती के भगवान कहे जाने वाले उस डॉक्टर को इसकी सजा दिलवाकर ही चैन से सोऊंगा ताकि आगे से कोई भी मासूम गलत इलाज़ का शिकार ना बने. इसके बाद पिता ने जे. जे. नर्सिंग होम के संचालक डॉक्टर राजीव के खिलाफ राज्य उपभोक्ता फोरम, लखनऊ, में गुहार लगाई. लगातार १४ साल तक धैर्य और साहस के साथ न्याय पाने के लिए संघर्ष करते रहे. अंततः सुनवाई के बाद न्यायाधीश मोहम्मद रईस सिद्दीक़ी ने आज १५ वर्षीय बच्ची व पिता के पक्ष में न्याय दिया. उक्त डॉक्टर पर ५५ लाख ५६ हजार ६४ रुपये ८० पैसे वसूली का आदेश दिया.

जिलाधिकारी ने आदेश कर डॉक्टर राजीव से वसूलने का परमिशन दे दिया. लेकिन सरकारी अमले ने डाक्टर को बजाय तहसील परिसर कारावास में बंद करने के, उसे ससम्मान कुर्सी पर बिठाकर खातिरदारी की. आरोपी डाक्टर के खिलाफ पीड़ित परिजनों के पक्ष में ऐतिहासिक प्रयास व फैसला था लेकिन जनपद के प्रतिष्ठित अखबार जो लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ कहे जाते हैं, उन्होंने इस खबर को अंडरप्ले किया या फिर ब्लैकआउट कर दिया. क्या इस खबर को देश, समाज व जनहित में जिले की मुख्य खबर नहीं बनाई जा सकती थी? लेकिन दैनिक जागरण ने तो एक शब्द इस बारे में प्रकाशित नहीं किया. अमर उजाला और हिंदुस्तान ने संक्षेप में खबर का प्रकाशन कर खबर को बहुत ज्यादा अंडरप्ले किया. राष्ट्रीय सहारा में यह खबर पहले पेज पर दो कालम में प्रकाशित की गई और उसका शेष पेज पंद्रह पर दिया गया. दैनिक जागरण ने खबर का प्रकाशन न करके पूरे पत्रकारिता जगत को शर्मशार किया और साबित किया कि यह पूरी तरह जनविरोधी और एलीट समर्थक अखबार है. इसका जनता के दुखसुख से कोई लेना देना नहीं. यह अखबार बस पेड न्यूज करना जानता है. पैसे लेकर खबर न छापना और पैसे लेकर खबर छापना, यह खेल खेलने में दैनिक जागरण प्रबंधन दिन रात लगा रहता है. अमर उजाला और हिंदुस्तान जैसे अखबारों ने खबर को अंडरप्ले करके यह एहसास करा दिया कि वे भी दैनिक जागरण की राह पर हैं.  ऐसे में अगर लोग इन अखबारों को बिका हुआ कहते हैं तो बिलकुल गलत नहीं कहते हैं. बल्कि अब तो लगने लगा है कि देश का पूरा चौथा स्तंभ ही बिका हुआ है.

चंदौली से आम आदमी पार्टी के नेता संतोष कुमार सिंह की रिपोर्ट.

मूल खबर…

बकाएदार किसान को बेइज्जती की हवालात, आरोपी डाक्टर को सम्मान की कुर्सी, दैनिक जागरण का खबरों के साथ भेदभाव

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