Dilip Mandal : एक लाख का इनाम आप भी जीत सकते हैं! अभी। अनिल कुमार पटेल बता रहे हैं कि फ़ैज़ाबाद में दैनिक जागरण ने आज बीएसपी की कोई ख़बर नहीं छापी है। बीएसपी की बुराई की ख़बर भी नहीं। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी छात्र संघ, बुख़ारी और पर्सनल लॉ बोर्ड के कमाल फारुखी द्वारा बीएसपी को कल समर्थन दिया गया। ये ख़बरें होनी चाहिए। नहीं है। कुछ नहीं है।
जिस पार्टी की राज्य में चार बार सरकारें बनी हों, जिसे आख़िरी चुनाव में 20% वोट मिला हो, जो वोट शेयर के हिसाब से देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी हो, उसे मीडिया मार डालना क्यों चाहता है। चर्चा से बाहर कर देना हत्या के समान है। हालाँकि सोशल मीडिया है, फिर भी गाँव तक पहुँच के मामले में अखबार आगे हैं।
यह हाल तमाम अख़बारों और चैनलों का है। कोई कम तो कोई ज़्यादा। कम पढ़े लिखे लोग तो पूरी तरह अखबार और टीवी पर निर्भर हैं। वे बेचारे क्या करें? बहरहाल अनिल पटेल की घोषणा है कि उनके शहर के आज के दैनिक जागरण में अगर बीएसपी की कोई भी ख़बर अगर आप ढूँढ देंगे, तो वे आपको एक लाख रुपए देंगे।
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अख़बारों को ऐसे पढ़ें या फिर न पढ़ें! अमर उजाला यूपी में दूसरा सबसे ज़्यादा बिकने वाला अखबार है। जागरण के मुकाबले संतुलित है। आज दिल्ली दफ्तर में उसका नोएडा संस्करण देख रहा हूँ, जहाँ कल वोट पड़ेंगे। इस अखबार में आज चुनाव से संबंधित कुल 26 तस्वीरें हैं। इनमें पार्टियों का हिसाब यह है:
बीजेपी – 15
सपा+कांग्रेस – 8
बीएसपी – 2
आरएलडी – 1
एक कॉलम से बड़ी 6 तस्वीरें हैं। सभी बीजेपी की हैं। पहले पेज पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का इंटरव्यू है कि “जाटों के लिए बीजेपी से बेहतर विकल्प नहीं”। प्रेस कौंसिल और चुनाव आयोग दोनों को जाटों वाली ख़बर का संज्ञान लेना चाहिए। मतदान से एक दिन पहले एक संतुलित अखबार का यह हाल है।
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल की एफबी वॉल से.