बहनजी हार का कारण खुद को बतातीं तो समर्थक टूट जाते, इसलिए EVM को दुश्मन बनाया!

मायावती के निशाने पर ईवीएम के मायने… राजनीति में अक्सर ईवीएम को मोहरा बना दिया जाता है…  बीएसपी की हार से नाखुश दिख रहे दलित हितों को प्रमुखता से उठाने वाले एक संपादक ने मुझसे निजी बातचीत में बहन मायावती जी रवैये पर खासी नाराजगी जाहिर की. कहा, हार के कारणों की सही से समीक्षा नहीं होगी, तो ईवीएम को गलत ठहराने से बहुजन समाज पार्टी का कुछ भी भला नहीं होगा. बहन जी से मिलकर सबको सही बात बतानी चाहिए, भले ही उसमें अपना घाटा ही क्यों ना हो जाये. मैंने अपने संपादक मित्र से इस मामले पर एक घटना का जिक्र किया. जिसे आपके लिए भी लिख रहा हूं.

इस सीट पर ईवीएम से छेड़छाड़ न कर सके तो हार गई भाजपा!

Ashwini Kumar Srivastava : यह है मेरठ की उसी सीट से जुड़ी खबर, जिस पर भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी इस भयंकर मोदी तूफ़ान में भी हार गए थे। ईवीएम के साथ वीवीपीएटी की चाक चौबंद व्यवस्था में यहाँ 11 फ़रवरी को मतदान हुआ। इसके बाद जहाँ ईवीएम मशीन रखी गयी, वहां हर समय मौजूद रहने वाले व्यक्ति की लाश गटर में मिली। यानी इस बात की पूरी सम्भावना है कि मतदान के बाद यहाँ रखी ईवीएम से छेड़छाड़ की कोशिश की गयी, जिसे इस व्यक्ति ने देख लिया और इसी के चलते यह हत्या हो गयी।

प्रशांत किशोर की उस्तादी खतरे में, धंधा बंद होने की कगार पर

-निरंजन परिहार-

देश के राजनीतिक पटल पर चुनाव प्रबंधन के उस्ताद के रूप में अचानक प्रकट हुए प्रशांत किशोर की उस्तादी खतरे में है। उनके चुनावी फंडे फालतू साबित हुए और खाट बिछाने के बावजूद कांग्रेस की खटिया खड़ी खड़ी हो गई। आनेवाले दिन प्रशांत किशोर के लिए भारी संकट से भरे होंगे। कांग्रेस की करारी हार के बाद अब चुनावों में उन्हें कोई काम मिल जाए, तो उनकी किस्मत। 

क्या विस चुनावों के बाद मीडिया के लिए बुरे दिन आएंगे?

यूपी चुनाव खत्म होने के बाद मीडिया में छाई गंदगी का सफाया तेजी से हो सकता है। बताया जाता है कि यूपी चुनाव में भाजपा बहुमत की उम्मीद कर रही थी लेकिन लाख कोशिशों के बाद त्रिशंकु विधानसभा जैसी स्थिति बनने की आशंका व्यक्त की जा रही है। और इसका ठीकरा न्यूज़ चैनलों पर फोड़ा जा सकता है। कभी दो नंबर की पायदान बनाए रखने वाले न्यूज चैनल को बंद होने की भविष्यवाणी मोदी भक्त अभी से कर रहे हैं।

भुलक्कड़ नितिन गडकरी (देखें वीडियो)

BALLIA में नितिन गडकरी भाजपा प्रत्याशी उपेंद्र तिवारी की सभा में प्रत्याशी का नाम बार बार वीरेंद्र तिवारी लेते रहे। और, देखिए, भाषण के आखिर में कितना हवाई टाइप का वादा करते हैं गड़करी। इसी को कहते हैं चुनावी भाषण। कुछ भी बोल जाइए, कुछ भी पेल जाइए।

भाजपा का मुद्दा हिन्दू-मुस्लिम पर आकर क्यों अटक जाता है?

…आखिर कब तक काटोगे नफरत की राजनीति की फसल? उत्तर प्रदेश में चुनावी घमासान चल रहा है। वैसे तो कई संगठन चुनावी समर में हैं पर असली मुकाबला सपा-कांग्रेस गठबंधन, बसपा और भाजपा के बीच है। बसपा भापजा पर निशाना साधते हुए कानून व्यवस्था पर उंगली उठा रही है तो सपा सरकार की उपलब्धियां गिना रही है और कांग्रेस केंद्र सरकार की खामियां गिनाकर अपने को साबित कर रही है। इन सबके बीच भाजपा केंद्र में ढाई साल से ऊपर हो जाने के बावजूद भावनाओं का सहारा लेकर वोटों का ध्रुर्वीकरण करने का खेल खेल रही है।

नारद राय ने बसपा की रैली में सपा को जिताने की अपील कर दी (देखें वीडियो)

राय साहब अपने पुराने घर को नहीं भूल पा रहे हैं… बलिया में बसपा की रैली में सपा को जिताने की अपील कर दी. नारद राय हाल में ही सपा को छोड़कर बसपा में शामिल हुए. वे बसपा की चुनावी रैली में मंच से बोल गए कि सपा को जिताएं.

इंडिया टीवी वाले शर्मा साहेब अखिलेश जी के पक्ष में पहला शब्द कब बोलेंगे?

Dilip Mandal : सपा के दोस्तों, इंडिया टीवी वाले जिस शर्मा साहेब को अखिलेश जी ने 11 लाख रुपए और 50,000 रुपए मासिक पेंशन वाली यश भारती दी, उनसे पूछिए कि वे अखिलेश के पक्ष में पहला शब्द कब बोलेंगे। ऐसे सैकड़ों उपकृत लोग हैं, उनसे बात कीजिए। दैनिक जागरण के मालिक को राज्यसभा भेजा था, उनसे पूछिए। विनीत जैन को नोएडा में 104 एकड़ ज़मीन दी है, टाइम्स ऑफ इंडिया से पूछिए। लखनऊ में जिन पत्रकारों को ज़मीन दी है, उनसे बात कीजिए।

एक्जिट पोल छाप कर दैनिक जागरण फंसा, आयोग ने कहा- FIR दर्ज करो

भारत के चुनाव आयुक्त ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के 15 जिले के चुनाव अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे दैनिक जागरण के खिलाफ चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में संपादकीय विभाग के मीडिया हेड के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज करायें।

फ़ैज़ाबाद में दैनिक जागरण ने आज बीएसपी की कोई ख़बर नहीं छापी!

Dilip Mandal : एक लाख का इनाम आप भी जीत सकते हैं! अभी। अनिल कुमार पटेल बता रहे हैं कि फ़ैज़ाबाद में दैनिक जागरण ने आज बीएसपी की कोई ख़बर नहीं छापी है। बीएसपी की बुराई की ख़बर भी नहीं। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी छात्र संघ, बुख़ारी और पर्सनल लॉ बोर्ड के कमाल फारुखी द्वारा बीएसपी को कल समर्थन दिया गया। ये ख़बरें होनी चाहिए। नहीं है। कुछ नहीं है।

कांग्रेस का ये साथ, मुसलमानों के साथ घात

राजीव गांधी द्वारा जन्मभूमि का ताला खुलवाने से कांग्रेस से बिदके थे मुसलमान

अजय कुमार, लखनऊ
 

उत्तर प्रदेश की सियासत में भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या से जुड़ी तीन बातों ने पिछले 30 वर्षों में खूब सुर्खिंया बटोरी हैं। इन तीन बातों ने प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया तो कहीं न कहीं समाज को बांटने का भी काम किया। तीनों ही बातें भगवान राम की नगरी अयोध्या से ताल्लुक रखती हैं और इन तीनों बातों के पीछे तीन राजनैतिक दलों ने ही मुख्य किरदार निभाया। यह तीन बातें चुनावी मौसम में हमेशा ही सुर्खिंयों की वजह बन जाती हैं, जैसा कि इस बार भी देखने को मिल रहा है। इन बातों को क्रमशः समझा जाये तो कहा जा सकता है कि 1986 में रामजन्म भूमि स्थान का ताला खुलवाने में जहां कांग्रेस का अहम किरदार रहा थो तो अस्सी-नब्बे के दशक में समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने बीजेपी की सोच के विपरीत अपनी सियासी गोटियां सेंकने के लिये अयोध्या मसले को खूब हवा दी।

किसने किया है मुलायम को नजरबंद!

अजय कुमार, लखनऊ
समाजवादी पार्टी में पिछले कुछ महीनों में जिस तरह का घटनाक्रम चला उसके बारे में सब जानते-समझते हैं। पारिवार की लड़ाई थी। सड़क पर आई तो कुछ लोगों ने इस पर दुख जताया तो ऐसे लोगों की कमी भी नहीं थी जो अखिलेश के पक्ष में माहौल बनाते घूम रहे थे। परिवार की लड़ाई में कभी अखिलेश पक्ष तो कभी मुलायम खेमा भारी पड़ता दिखा, परंतु जीत का स्वाद अखिलेश पक्ष ने ही चखा। फिर भी ‘पिटे मोहरे’ की तरह एक बाप का फर्ज निभाते हुए नेताजी अपने सीएम बेटे को लगातार रिश्तों की अहमियत और जातिपात के सियासी समीकरण समझाते रहे।

समाजवादी पार्टी की हार, मेरा इंतजार…

दोस्तों, मैं आपसे ये नहीं कहूंगा कि इस पोस्ट पर ज्यादा-से-ज्यादा कमेंट या लाइक करें। बस आपसे एक छोटी सी गुजारिश करूँगा कि आप इस पोस्ट को ज्यादा-से-ज्यादा SHARE करें और इतना share करें कि ये messege Samajwadi Party तक पहुँच जाये, ताकि उन मायूस बच्चों को आपकी मदद से लैपटॉप मिल सके और शायद उनकी जुबान से निकलती बद्दुआएं, दुआयों में बदल जाये।

बिहार में भाजपा को मोहन भागवत खा गए, यूपी में मनमोहन वैद्य ने वही काम कर दिया!

Vikas Mishra : जो काम बिहार विधानसभा चुनावों से पहले मोहन भागवत ने किया था। वही काम अब मनमोहन वैद्य ने कर दिखाया। बिहार चुनावों से ठीक पहले मोहन भागवत ने आरक्षण के खिलाफ बयान देकर बीजेपी का बेड़ा गर्क कर दिया था। लालू यादव ने भागवत के बयान को चुनावों में खूब भुनाया और बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी। अब उसी तर्ज पर जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में संघ के प्रवक्ता मनमोहन वैद्य ने आरक्षण के खिलाफ आवाज उठा दी। उन्होंने हालांकि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का हवाला दिया, लेकिन बात तो आरक्षण के खिलाफ ही की। इसके साथ ही बैठे-ठाले नई मुसीबत बीजेपी के गले पड़ गई। अब उत्तर प्रदेश में आरएसएस के इस सेल्फ गोल से बीजेपी कैसे उबरेगी..?

अखिलेश यादव पितृ हंता मुगल शासकों सरीखे! (देखें वीडियो)

आगरा में भाजपा प्रत्याशी का नामांकन कराने कलेक्ट्रेट आए सांसद राम शंकर कठेरिया ने यूपी के सीएम अखिलेश यादव की तुलना पिता के हत्यारे मुगल शासकों से कर दी. सांसद कठेरिया ने मुगल शासकों को उदाहरण देते हुए हुए बोले कि मुगल काल में शासक लोग सत्ता पाने के लिए अपने पिता तक की हत्या कर देते थे और राजपाठ पर कब्जा कर लेते थे. ठीक इसी तरह सीएम अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह को अपमानित करते हुए उनकी राजनीतिक हत्या कर पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद हथिया लिया.

वरिष्ठ वकील प्रतीक राय ने साइकिल ट्रैक पर साइकिल चिन्ह हटाने के लिए चुनाव आयोग को पत्र लिखा

Lucknow . Senior advocate Mr Prateek Rai has written to election commission of India to consider covering or dismantlling cycle signs on cycle tracks built by Akhilesh Yadav govt. He said that one can see hundreds of cycle signs erected in Lucknow, Noida, Etawa and other cities. Now cycle is election symbol of Samajvadi Party. Thus this is against model code of conduct.

यूपी में उज्जवला योजना का कनेक्शन भी बंद कराएं, यह भी आचार संहिता का उल्लंघन है

सेवा में,
मुख्य चुनाव आयुक्त,
उत्तर प्रदेश
लखनऊ

विषय : उज्जवला योजना का कनेक्शन उत्तर प्रदेश में बंद कराये जाने के सम्बन्ध में |

महोदय,

जिस प्रकार आप द्वारा समाजवादी पार्टी का स्मार्ट फ़ोन पंजीकरण बंद करा दिया, ठीक उसी प्रकार आप बीजेपी के मुफ्त “उज्जवला योजना” का गैस कनेक्शन का फार्म भरवाना और कनेक्शन जारी कराना तुरंत बंद कराएँ, यह भी तो आचार संहिता का उल्लंघन है.