महाराष्ट्र में भी सीएम और उनकी बीबी से मिलने का अखबार मालिक लगा रहे हैं जुगाड़… जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में माननीय सुप्रीमकोर्ट की अवमानना को लेकर देश भर के अखबार मालिकों में खौफ का माहौल है। सूत्रों का दावा है कि सुप्रीमकोर्ट के सख्त तेवर के बाद सभी अखबार मालिक अब अपने अपने राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पटाने में लगे हैं। दैनिक जागरण से सूत्रों ने खबर दी है कि सुप्रीम कोर्ट के बुधवार को अपनाए गए कड़े तेवर के बाद लखनऊ में दैनिक जागरण प्रबंधन की एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गयी। उसके बाद जागरण के आला अधिकारियों ने गोपनीय रूप से राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाक़ात की।
सूत्रों का तो यहाँ तक दावा है कि योगी आदित्यनाथ से जागरण प्रबंधन ने मंगलवार को भी मिलने का प्रयास किया था मगर योगी आदित्यनाथ ने उन्हें मंगलवार को समय नहीं दिया। उसके बाद बुधवार को जागरण प्रबंधन की योगी आदित्यनाथ से बैठक हुई। हालांकि अभी तक सूत्रों के इस दावे की पुष्टि नहीं हुई है। सूत्रों का तो यहाँ तक दावा है कि मुख्यमंत्री से मुलाक़ात की योजना को जागरण प्रबंधन ने काफी गुप्त रखा। यहाँ तक कि जागरण के मालिकों ने गाड़ी चलाने वाले अपने पुराने ड्राइवरों की जगह मुख्यमंत्री से मिलने के लिए जाते समय बाहरी ड्राइवरों की सेवाएं ली। महाराष्ट्र से भी खबर आ रही है कि यहाँ कई अखबार मालिक जहाँ मुख्यमंत्री से मुलाक़ात के लिए समय मांग रहे हैं वही कई अखबार मालिक तो मुख्यमंत्री की श्रीमती जी से ही मिलकर अपनी समस्या उन्हें बताने वाले हैं। कई अखबार मालिक तो मुख्यमंत्री की श्रीमती जी के सम्मान समारोह आयोजित करने का जुगाड़ लगाकर अपनी बात उन तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि देश के मीडिया संस्थानों द्वारा जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों लागू नहीं करने और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने पर देश भर के पत्रकारों व गैर पत्रकारों की ओर से दायर अवमानना याचिकाओं पर चल रही सुनवाई बुधवार को पूरी हो गई है। दोनों पक्षों मीडिया संस्थानों और पत्रकार-गैर पत्रकारों की तरफ से बहस सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना याचिकाओं पर जारी सुनवाई बंद कर दी है और इस मसले पर फैससा रिजर्व रखने के आदेश दिए हैं।
बुधवार को भी वेजबोर्ड व अवमानना की लड़ाई लड़ रहे पत्रकारों-गैर पत्रकारों के एडवोकेट कॉलिन गोंजाविलश, परमानंद पाण्डे, प्रशांत भूषण की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में जोरदार पैरवी करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी मीडिया संस्थान अपने पत्रकारों व गैर पत्रकारों को वेजबोर्ड की सिफारिशों के अनुरुप एरियर व वेतनमान नहीं दे रहे हैं। बल्कि वेजबोर्ड की मांग करने वाले कर्मचारियों को प्रताडि़त किया जा रहा है। उन्हें टर्मिनेट, संस्पेंड और ट्रांसफर करके प्रताड़ित किया जा रहा है। इस संबंध में कोर्ट के समक्ष कर्मचारियों के हलफनामे व कंपनी की बैलेंसशीट भी पेश की गई। साथ ही वकीलों ने ऐसे हालात में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना नहीं करने वाले मीडिया संस्थानों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई करने, जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों को मीडिया संस्थानों में लागू करवाने और प्रताडि़त किए गए कर्मचारियों को रिलीफ दिलवाने की गुहार की है। मीडिया संस्थानों के वकीलों ने भी 20जे की आड़ लेते हुए कोर्ट से कहा कि कर्मचारी अपनी स्वेच्छा से बेजबोर्ड नहीं लेने की लिखकर दे रहे हैं। मीडिया संस्थानों ने कोई अवमानना नहीं की है और ना ही कर्मचारियों पर दबाव व प्रताडऩा की गई है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद जस्टिस रंजन गोगई की पीठ ने सुनवाई बंद करने और फैसला रिजर्व करने के आदेश दिए। आज की सुनवाई में देशभर से बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी मौजूद रहे।
यह है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी, 2014 को मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरुप पत्रकारों व गैर पत्रकार कर्मियों को वेतनमान, एरियर समेत अन्य वेतन परिलाभ देने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के अनुरुप नवम्बर 2011 से एरियर और अन्य वेतन परिलाभ देने के आदेश दिए हैं, लेकिन इस आदेश की पालना मीडिया संस्थानों नहीं की। देश के नामी गिरामी अखबार समूह राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, अमर उजाला, हिन्दुस्तान टाइम्स, नवभारत टाइम्स, पंजाब केसरी जैसे अखबारों में वेजबोर्ड लागू नहीं किया गया। मीडिया संस्थानों ने वेजबोर्ड देने से बचने के लिए मीडियाकर्मियों से जबरन हस्ताक्षर करवा लिए कि उन्हें मजीठिया वेजबोर्ड के तहत वेतन परिलाभ नहीं चाहिए। जिन कर्मचारियों ने इनकी बात नहीं मानी, उन्हें स्थानांतरण करके प्रताड़ित किया जा रहा है और कईयों को नौकरी से निकाल दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों, श्रम विभाग और सूचना व जन सम्पर्क निदेशालयों को मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करने के लिए जिम्मेदारी तय की है, लेकिन वे इसकी पालना नहीं करवा रहे हैं। वेजबोर्ड लागू नहीं करने पर पत्रकारों व गैर पत्रकारों ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिकाएं दायर की। देश भर से सभी बड़े अखबारों के खिलाफ अवमानना याचिकाएं लगी।
फैसले में क्या होगा…
पत्रिका के वकील ने 20J का हवाला देते हुए अवमानना से बचने की गुहार की। चलो ये मान लें कि इस आधार पर अख़बार मालिक अवमानना से बच जाते हैं पर अब सवाल यह है कि जिन लोगों ने 20J पर हस्ताक्षर नहीं किये उनको भी मजीठिया का लाभ नहीं दिया गया इस आधार पर क्या अख़बार मालिक बच जायेंगे? अब देखना ये है कि कोर्ट क्या फैसला सुनाता है।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
9322411335