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सुख-दुख

शनिवार दोपहर दो बार डोली उत्तर भारत की धरती, दूसरा झटका और तेज, लोग घरों से निकलकर भागे

आज दोपहर लगभग 11.43 पर पूरे उत्तर भारत में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। इस दौरान मोबाइल फोन सेवाएं भी ध्वस्त हो गईं। सोशल मीडिया पर हजारों यूजर्स ने ये सूचनाएं तुरंत शेयर कीं। दिल्ली, देहरादून, रांची, कानपुर, लखनऊ,  पटना, जयपुर , सोनभद्र से फेसबुक यूजर्स ने लिखा कि अभी अभी भूकंप फील किया मैंने। इस दौरान लोग घरों से बाहर निकल आए। ज्यादातर के मुंह से एक ही बात फूटी कि इतना तेज झटका जीवन में पहली बार महसूस किया। लगभग 12 बजे दूसरा झटका लगा, लोग घरों से निकल कर बाहर सड़कों पर भागे। दूसरे झटके बाद देर तक सड़कों पर जहां तहां झुंड में लोग दहशत में डूबे रहे। 

आज दोपहर लगभग 11.43 पर पूरे उत्तर भारत में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। इस दौरान मोबाइल फोन सेवाएं भी ध्वस्त हो गईं। सोशल मीडिया पर हजारों यूजर्स ने ये सूचनाएं तुरंत शेयर कीं। दिल्ली, देहरादून, रांची, कानपुर, लखनऊ,  पटना, जयपुर , सोनभद्र से फेसबुक यूजर्स ने लिखा कि अभी अभी भूकंप फील किया मैंने। इस दौरान लोग घरों से बाहर निकल आए। ज्यादातर के मुंह से एक ही बात फूटी कि इतना तेज झटका जीवन में पहली बार महसूस किया। लगभग 12 बजे दूसरा झटका लगा, लोग घरों से निकल कर बाहर सड़कों पर भागे। दूसरे झटके बाद देर तक सड़कों पर जहां तहां झुंड में लोग दहशत में डूबे रहे। 

अपने एफबी वॉल पर जनसत्ता के संपादक ओम थानवी ने लिखा कि – ‘लिख रहा हूँ और घर डोल रहा है, प्रेमलताजी कहती हैं, लोग घरों के बाहर निकल भागे! भूकम्प अब थमा। इतना डोलना पहली दफा अनुभव किया। खुदा करे जान-माल का नुकसान न हुआ हो। वैसे नसीब तो अच्छे नहीं चल रहे!

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भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह भूकंप के दौरान सफर में थे। बोले – बोले ट्रेन भी हिल रही है। यात्री घबराए हुए हैं। 

श्रवण शुक्ला ने बताया कि नेपाल है केंद्र। 7.5 की तीव्रता, पूरा उत्तर-भारत प्रभावित। पेशावर से लेकर मणिपुर तक झटके महसूस किए गए। लगभग 2 मिनट तक लगे झटके। नुक्सान का फौरी अनुमान नहीं। जमीन के लगभग 33 किमी नीचे था केंद्र। नेपाल की राजधानी काठमांडू से 35 किमी दूर पश्चिम दक्षिण में केंद्र रहा। 

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दिल्ली से दिगंबर लिखते हैं – थोड़ी देर पहले भूकम्प का हल्का सा झटका आया. मैं छत पर चला गया. दूर बालकनी में एक महिला मोबाइल कान में लगाये अपनी घबराहट का मूक अभिनय कर रही थी. गली में भीड़ थी. घबराहट और भय से ज्यादा कुतूहल और ठहरी हुई ज़िन्दगी में हिलोर आने जैसा भाव. फिर थोड़ी देर में सब कुछ यथावत, यथास्थिति की गिरफ्त में. सामने दो मकानों में काम चल रहा था. उनमें काम करनेवाले राज़मिस्त्री और बेलदार इन सब से बेअसर अपने काम में निस्पृह भाव से लगे हुए थे. शायद उनकी ज़िन्दगी में हलचल और कुतूहल की कोई गुंजाइश नहीं.

इमरान अहमद ने लिखा – अभी दो मिनट पहले मैंने बिजली के खम्बों और बड़ी बड़ी बिल्डिंग को हिलते हुए देखा। चींटियों की तरह सारे लोग अपने घर से निकल कर सड़क पे आ चुके है। कुछ डरे हुए है कुछ रोमांचित है। भूकंप का हल्का झटका था बस। डिटेल थोड़ी देर बाद न्यूज़ चैनलो पे आ जायेगा शायद। देख लीजियेगा।

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 लखनऊ से कुमार सौवीर ने अपने एफबी वॉल पर लिखा- दहल गया लखनऊ, करीब चार मिनट तक डोलती ही रही धरती, लोग घरों से बाहर, बिलकुल अभी-अभी मैं अभी उन्‍नाव की ओर निकलने ही जा रहा था कि अचानक पूरा घर डोलने लगा। मैंने घर में मौजूद मित्र प्रदीप दीक्षित से अपना शक जाहिर किया। शुरूआत में अनभिज्ञ रहे, लेकिन अचानक उन्‍हें भी भान हो गया। आनन-फानन हम घर के बाहर निकले, तो पाया कि कालोनी के लोग भी दहशत में बाहर सड़क पर मौजूद थे। मेरी कार, घर के दरवाजे और गैराज के गेट हिलने लगे। आपका क्‍या अनुभव रहा दोस्‍तों, कम से कम मैंने तो अपने पूरे जीवन मैं ऐसा अनुभव कभी भी नहीं महसूस किया।
 
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