हमारे केन्द्रीय मंत्री अरून जेटली जी खुद को बार बार पाक साफ व भ्रष्टाचार विरोधी शासक बताते हैं। आये दिन चैनलों में बयान देते नजर आते हैं कि मैं और मेरी सरकार भ्रष्टाचार विरोधी सरकार है। देश में भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों को कभी बख्शा नही जाएगा। किंतु आज आपको ये जानकर सबसे अधिक हैरानी होगी कि जेटलीजी के ही विभाग में सबसे बडे़ बागड़बिल्ले और बेईमान अधिकारी सेवारत हैं।
हम बात कर रहे हैं डीएवीपी की। राजधानी के लोधीरोड सीजीओ कॉम्पलेक्ष स्थित सूचना भवन की जो कि बेईमान अधिकारियों को अड्डा बनता जा रहा है। मोदीराज में तो स्थिति और बुरी हो गई है। डीएवीपी में शाम होते ही दलालों की मंडी गुलजार हो जाती है। डीएवीपी के अधिकारियों से विज्ञापन जारी कराने हेतु दलाल हर कीमत अदा करने को तैयार रहते हैं। कोई दलाल विज्ञापन जारी करने वाले बाबू को नोटों के बंडल की पेशगी करता है तो कोई दलाल शराब की बोतल।
कई दलाल तो बेशर्मी की सारी हदें पार कर देते हैं और संबंधित अधिकारी से विज्ञापन जारी करने हेतु अधिकारी के समक्ष अधनंगी लड़की को प्रस्तुत करते हैं। अधिकारी भी बडे़ उजड़ हैं। जब तक विज्ञापन का 30 प्रतिशत कमीशन अधिकारियों को एडवांस नहीं मिल जाता तब तक अखबार मालिकों को आश्वासन के अलावा और कुछ हासिल होना नामुमकिन है। मोदीजी का सफाई अभियान, मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया का नारा यहां नहीं काम आता है।
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार डीएवीपी में अपर महानिदेशक से लेकर करीब आधा दर्जन से अधिक भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार संबंधित जांच चल रही है। डीएवीपी के अपर महानिदेशक एनवी रेड्डी सहित रवि रामाकृष्णा, एस के मोहंती, बीपी मीणा का भी नाम इस जांच सूची में शामिल है। अपर महानिदेशक एनवी रेड्डी सहित करीब आधा दर्जन से अधिक लोगों पर अखबार मालिकों से रूपए ऐंठ कर विज्ञापन जारी करने का आरोप है।
गत चार साल से भी अधिक का समय बीत चुका है। किंतु आज की तारीख तक न तो इनके खिलाफ कोई जांच हुई है और न ही इनके खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है। आरटीआई से मिली जानकारी के तहत जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच चल रही है, उनकी सूची साथ में संलग्न है। आशा करता हूं इस खबर पर जेटलीजी कुछ संज्ञान लेंगे व अपने विभाग में बेईमानी का किला मजबूत करने वाले बेईमान अधिकारियों के खिलाफ सही मायने में कोई कार्रवाई करेंगे।
नरेन्द्र गुप्ता
पत्रकार
अहमदाबाद
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