उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के राज में भले ही आर्थिक तंगी का रोना रोते हुए कई सारे जरूरी काम ठप हों, लेकिन मीडिया घरानों को करोड़ों रुपयों का भुगतान फौरन हो जाता है.
दैनिक जागरण अखबार ने अपने 11 करोड़ रुपये के बकाया भुगतान के लिए शासन को पत्र लिखा तो फौरन स्वीकृति का आदेश जारी हो गया.
ये प्रकरण कुछ महीने पुराना है लेकिन इससे साबित यही हो रहा है कि मीडिया घरानों को किसी भी कीमत पर खुश रखने के लिए सरकारें जनता के पैसे को फौरन जाया करने से नहीं चूकतीं.
कायदे से सत्ता के दलाल हो चुके बड़े अखबारों को सरकारों द्वारा विज्ञापन दिया जाना बंद कर देना चाहिए. ये मीडिया घराने अकूत कमाई के जरिए धनबली बन चुके हैं. इन्हें सरकार से कोई रियायत या कोई पैसा मिलना नहीं चाहिए. बल्कि अनिवार्य ये कर देना चाहिए कि जनहित के सरकारी विज्ञापनों को मुफ्त में प्रकाशित करना बड़े अखबारों के लिए अनिवार्य होगा. कुछ उसी तरह जैसे प्रसार भारती के कई न्यूज चैनलों को चलाना डीटीएच आपरेटर्स के लिए अनिवार्य है.
देखें दैनिक जागरण के भुगतान की एक बानगी-