Ayush Shukla : लोग कई दशक तक पत्रकारिता करते रहते हैं और जेल जाने की नौबत तक नहीं आपाती, क्योकि वे ऐसा कुछ लिख-पढ़ नहीं पाते, कुछ हंगामेदार कर नहीं पाते कि उन्हें भ्रष्ट लोग भ्रष्ट सिस्टम जेल भेज पाता। Yashwant Singh की जानेमन जेल से साभार। मजा आ गया पढ़ के। किसी भी जेल जाने वाले व्यक्ति को यह पुस्तक जरूर पढ़नी चाहिए। उत्सवधर्मी यशवंत भड़ासी को सलाम।
आयुष शुक्ला
क्लस्टर इनोवेशन सेंटर
दिल्ली विश्वविद्यालय
Mohammad Anas : नेहरू और सावरकर दोनों ने जेल में दस साल गुज़ारे। नेहरू जेल में रहते हुए ‘डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया’ लिखते हैं तो दूसरी तरफ़ महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर अंग्रेज़ों के पास छह बार अर्ज़ी लगाते हैं माफ़ी की। जेल में रहते हुए कुछ भी लिखा जा सकता है, हमारा एक दोस्त है Yashwant Singh वो जब जेल में था तो ‘जानेमन जेल’ लिख दिया। भक्त जन नेहरू और सावरकर में आदर्श व्यक्तित्व किसका मानते हैं, पता है आपको? सावरकर को, उसे वीर भी कहते हैं। झूठे इतिहास पर इतराने वाले पगलैट संघी देश भक्त बने फिरते हैं,जबकि पूर्वजों ने मुखबिरी और माफ़ी की लाइन लगा दी थी।
पत्रकार द्वय आयुष शुक्ला और मोहम्मद अनस के फेसबुक वॉल से.
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