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उत्तर प्रदेश

जिला जज ने हाई कोर्ट से मांगी जून की छुट्टियों में न्यायिक कार्य करने की अनुमति

भारत के मुख्य न्यायाधीश की भावुक अपील पर लिया ऐतिहासिक फैसला

भारत वर्ष में यह अपनी तरह का पहला मामला है जिसमें भदोही जिले के जनपद न्यायाधीश कमल किशोर शर्मा ने उच्च न्यायलय इलाहाबाद से जून की छुट्टियों में भी सिविल कोर्ट्स को खोलने और  काम करने की अनुमति मांगी है जिससे न्यायलय में लंबित पड़े मुकदमों को निपटाया जा सके। इस आशय का एक पत्र लिख कर लोक हित में न्यायिक कार्य करने की अनुमति इलाहाबाद हाई कोर्ट से मांगी है। रजिस्ट्रार जनरल इलाहाबाद हाई कोर्ट को पत्र लिखकर उन्होंने जून की पूरी छुटियों में न्यायिक कार्य करने की अनुमति मांगी है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश की भावुक अपील पर लिया ऐतिहासिक फैसला

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भारत वर्ष में यह अपनी तरह का पहला मामला है जिसमें भदोही जिले के जनपद न्यायाधीश कमल किशोर शर्मा ने उच्च न्यायलय इलाहाबाद से जून की छुट्टियों में भी सिविल कोर्ट्स को खोलने और  काम करने की अनुमति मांगी है जिससे न्यायलय में लंबित पड़े मुकदमों को निपटाया जा सके। इस आशय का एक पत्र लिख कर लोक हित में न्यायिक कार्य करने की अनुमति इलाहाबाद हाई कोर्ट से मांगी है। रजिस्ट्रार जनरल इलाहाबाद हाई कोर्ट को पत्र लिखकर उन्होंने जून की पूरी छुटियों में न्यायिक कार्य करने की अनुमति मांगी है।

उल्लेखनीय है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने भावुक होकर और लगभग रोते हुए न्यायालयों में लंबित केसों को निपटाने को जजों की नियुक्त करने  की अपील की थी। इसी से प्रभावित होकर इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीशों ने जून की आधी छुट्टियों में काम करने की घोषणा की थी। मुख्य न्यायाधीश की इसी मार्मिक अपील से प्रभावित होकर भदोही के जिला जज कमल किशोर शर्मा ने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए ऐतिहासिक फैसला लिया है। इसके लिए उन्होंने खुद आदेश भी किया है परन्तु इसके लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट की अनुमति आवश्यक है। जिला जज ने बार एसोसिएशन ऑफ़ भदोही और भदोही के अन्य न्यायाधीशों से भी उनके इस काम में सहयोग करने की अपील की है।

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भदोही के जनपद न्यायाधीश कमल किशोर शर्मा ने एटा जिले के जनपद न्यायाधीश पद से भदोही स्थानांतरित होकर पहले ही दिन आज 3 मई 2016 को ऐसा एतिहासिक निर्णय देकर भारतीय न्यायपालिका को भी गौरवान्वित किया है। भारत में न्यायालयों में करोड़ों केसों के लंबित होने के कारण केसों की पेंडेंसी बढ़ती ही जा रही है और ऐसे में केसों का निस्तारण कई कई दशकों तक नहीं हो पा रहा है। ऐसे में पीड़ित को न्याय पाने में दशकों लग जाते हैं और कभी कभी तो पीड़ित की जिंदगी में निर्णय न हो पाने से जस्टिस डिलेड इस जस्टिस डिनाइड की कहावत लागू हो जाती है। ऐसे में पूरे भारत में फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट्स संचालित कर के और स्पीडी जस्टिस अभियान चलाकर त्वरित न्याय दिलाने की मुहिम चल रही है।

राकेश भदौरिया
पत्रकार
एटा / कासगंज
मो. ९४५६०३७३४६

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