ईमानदार जज जेल में, भ्रष्टाचारी बाहर!

सुप्रीम कोर्ट देश की सबसे बड़ी अदालत है, इसलिए उसका फ़ैसला सर्वोच्च और सर्वमान्य है। चूंकि भारत में अदालतों को अदालत की अवमानना यानी कॉन्टेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट की नोटिस जारी करने का विशेष अधिकार यानी प्रीवीलेज हासिल है, इसलिए कोई आदमी या अधिकारी तो दूर न्यायिक संस्था से परोक्ष या अपरोक्ष रूप से जुड़ा व्यक्ति भी अदालत के फैसले पर टीका-टिप्पणी नहीं कर सकता। इसके बावजूद निचली अदालत से लेकर देश की सबसे बड़ी न्याय पंचायत तक, कई फ़ैसले ऐसे आ जाते हैं, जो आम आदमी को हज़म नहीं होते। वे फ़ैसले आम आदमी को बेचैन करते हैं। मसलन, किसी भ्रष्टाचारी का जोड़-तोड़ करके निर्दोष रिहा हो जाना या किसी ईमानदार का जेल चले जाना या कोई ऐसा फैसला जो अपेक्षित न हो।

Letter to Chief Justices of Indian High Courts for simplification of procedural laws to cut delays in judgments

To

All the Hon’ble

Chief Justices of Indian High Courts

Sir,

SIMPLIFICATION OF PROCEDURAL LAWS TO CUT DELAYS IN JUDGMENTS

I wish to invite your kind attention to the fact that it is pretended that the procedural laws of the land pose greatest challenge to timely justice to litigants.  The Code of Civil Procedure and Code of Criminal Procedure are the laws of Central Legislature and State Governments are also empowered to amend the codes according to their needs. Both the Codes are originally creation of British India.

खोजोगे तो ऐसे भ्रष्ट जज हजार मिलेंगे

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ शाखा ने कमाल कर दिया। उसने एक जज को मुअत्तिल कर दिया। सरकारी नौकरों की मुअत्तिली की बात तो हम अक्सर सुनते ही रहते हैं लेकिन कोई जज मुअत्तिल कर दिया जाए, ऐसी बात पहली बार सुनने में आई है। इस जज को न तो शराब पीकर अदालत में बैठने के लिए मुअत्तिल किया गया है, न रिश्वत लेने के लिए और न ही कोई उटपटांग व्यवहार करने के लिए!

जजों की नियुक्ति के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट से जो लिस्ट सुप्रीम कोर्ट भेजी गई है, वह धांधलियों का पुलिंदा है!

इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति पर ‘चौथी दुनिया’ में छपी प्रभात रंजन दीन की ये बेबाक रिपोर्ट पढ़ें

जजों की नियुक्ति के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट से जो लिस्ट सुप्रीम कोर्ट भेजी गई है, वह धांधलियों का पुलिंदा है. जज अपने बेटों और नाते रिश्तेदारों को जज बना रहे हैं। और सरकार को उपकृत करने के लिए सत्ता के चहेते सरकारी वकीलों को भी जज बनाने की संस्तुति कर रहे हैं. न्यायाधीश का पद सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के प्रभावशाली जजों का खानदानी आसन बनता जा रहा है. जजों की नियुक्ति के लिए भेजी गई अद्यतन सूची में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के बेटे से लेकर कई प्रमुख न्यायाधीशों के बेटे और रिश्तेदार शामिल हैं.

भास्कर कर्मियों की शिकायत पर हाइकोर्ट ने लेबर कोर्ट के जज अशोक जैन का तबादला किया

Sanjay Saini : भास्कर के कर्मचारियों की शिकायत पर हाइकोर्ट ने लेबर कोर्ट के जज अशोक जैन का तबादला किया। नए जज को लगाया। भास्कर प्रंबधन को नहीं मिली राहत। जज साहब ने आदेश से पहले ही बता दिया था। वो एम्पलाईज के केस करेंगे खारिज। भास्कर के एम्पलाईज में खुशी की लहर।

दिल्ली हाईकोर्ट में जज गीता मित्तल की सीजेआई से शिकायत- ‘लेटलतीफ हैं और काम में रुचि नहीं लेती’

 

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नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर से पीड़ित वादियों ने दिल्ली हाईकोर्ट के जज की शिकायत की है। इसमें कहा गया है कि जस्टिस गीता मित्तल मामलों की सुनवाई बहुत धीमी गति से कर रही हैं जिसकी वजह से उनके केस की सुनवाई में देरी हो रही है। पीड़ित वादियों ने दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति गीता मित्तल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अप्रैल माह में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों को एक पत्र पहुंचाया गया था जिसमें यह कहा गया था कि सैकड़ों लोगों के केस का न्यायमूर्ति गीता मित्तल की लेटलतीफी और उनके काम में रुचि न लेने की वजह से निस्तारण नहीं हो रहा है।

जिला जज ने हाई कोर्ट से मांगी जून की छुट्टियों में न्यायिक कार्य करने की अनुमति

भारत के मुख्य न्यायाधीश की भावुक अपील पर लिया ऐतिहासिक फैसला

भारत वर्ष में यह अपनी तरह का पहला मामला है जिसमें भदोही जिले के जनपद न्यायाधीश कमल किशोर शर्मा ने उच्च न्यायलय इलाहाबाद से जून की छुट्टियों में भी सिविल कोर्ट्स को खोलने और  काम करने की अनुमति मांगी है जिससे न्यायलय में लंबित पड़े मुकदमों को निपटाया जा सके। इस आशय का एक पत्र लिख कर लोक हित में न्यायिक कार्य करने की अनुमति इलाहाबाद हाई कोर्ट से मांगी है। रजिस्ट्रार जनरल इलाहाबाद हाई कोर्ट को पत्र लिखकर उन्होंने जून की पूरी छुटियों में न्यायिक कार्य करने की अनुमति मांगी है।

पंजाब केसरी के मालिक विजय चोपड़ा को जज ने दिखाई औकात, कोर्ट रूम से बाहर निकाला

मीडिया के मालिकों की ऐंठन को ठीक करने का काम कई ईमानदार किस्म के न्यायाधीश कर डालते हैं. ऐसा ही एक मामला पंजाब के होशियारपुर का है. यहां गलत खबर छापने के एक मामले में निजी पेशी हेतु आए पंजाब केसरी के मालिक विजय चोपड़ा सीधे कोर्ट रूम में घुस गए. तब जज ने उन्हें फटकारते हुए कोर्ट रूम के बाहर जाने को कहा और आवाज लगने पर ही अंदर आने के आदेश दिए.

मजीठिया पर फैसले की डेट करीब आते ही सुप्रीम कोर्ट के जजों पर उमड़ रहा मीडिया मालिकों का प्रेम

जैसे-जैसे सुप्रीम कोर्ट में मजीठिया मामले पर अंतिम सुनवाई की तिथित नजदीक आती जा रही है, मीडिया मालिकों सर्वोच्च अदालत के जजों के लिए प्रेम उमड़ता जा रहा है।  पिछले दिनो सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एनवी रमण इनाडु समाचार पत्र के मालिक रामोजी राव के घर अतिथि बन कर पहुंचे थे। अब राजस्थान पत्रिका के मालिक गुलाब कोठारी सुप्रीम कोर्ट के जज अरुण मिश्रा के साथ एक मीडिया सेमीनार को सम्बोधित करने वाले हैं।  

अजमेर में ट्रेनिंग ले रहे हैं देश के प्रथम नेत्रबाधित न्यायाधीश

अजमेर : बहुत शीघ्र आप एक ऐसी अदालत देखेंगे, जिसके न्यायाधीश नेत्र बाधित होंगे। यहां इन दिनो ब्रम्हानंद शर्मा जज की ट्रेनिंग ले रहे हैं। वह देश के संभवतः पहले नेत्रबाधित न्यायाधीश बनने जा रहे हैं। उनका चयन पिछले दिनों ही राजस्थान न्यायिक सेवा में हुआ है। ब्रम्हानंद उस आखिरी बैच के हैं, जिन्हें राजस्थान लोक सेवा आयोग ने चुना है। अब राजस्थान हाईकोर्ट मजिस्ट्रेटों की भर्ती करेगा।

भास्कर ने शोलापुर से रांची तबादला किया तो हेमंत कोर्ट से स्टे ले आए

भास्कर समूह डीबी कार्प को उसके इंप्लाई हेमंत चौधरी ने तगड़ा सबक सिखाया है. मजीठिया वेज बोर्ड के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने वाले भास्कर के मीडियाकर्मी हेमंत चौधरी को प्रबंधन ने प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट उमेश शर्मा के माध्यम से मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर अवमानना याचिका लगाने वाले हेमंत चौधरी का पिछले दिनों भास्कर प्रबंधन ने शोलापुर से रांची तबादला कर दिया.

RECOMMENDATIONS TO PM AND CJI FOR REFORMS IN LEGAL SYSTEM IN INDIA

3.4.2015
Hon’ble Mr. Narendra Modi,
Prime Minister of India
New Delhi.

Hon’ble Mr. Justice H.L.Dattu,
Chief Justice of India,
New Delhi.

SUB : RECOMMENDATIONS FOR REFORMS IN LEGAL SYSTEM IN INDIA

Hon’ble Prime Minister and Hon’ble Chief Justice,

The People of India and in particular the legal fraternity have high hopes and aspirations from the Prime Minister who is leading a single party government which was formed for the first time in thirty years and the Chief Justice of India who has had a distinguished judicial tenure contributing to a fair and efficient administration of justice. We demand the following reforms from your goodself:

If you want to be judge, please do not have a live in relationship : Markandey Katju

Markandey Katju : Live in Relationship as a disqualification for Judgeship! I was Acting Chief Justice of Allahabad High Court, and Chief Justice of Madras and Delhi High Courts. In these High Courts I had to recommend names of lawyers for appointment as Judges of the High Court. In one of these 3 High Courts (I will not mention which, to avoid identification of the persons concerned) I got a good impression of a certain middle aged male lawyer who appeared several times before me, and always argued his cases well.

लाला लाजपत राय को भाजपाई पटका पहनाने के मामले में कोर्ट ने किरण बेदी के खिलाफ कार्रवाई का ब्योरा मांगा

किरण बेदी अपनी मूर्खताओं, झूठ, बड़बोलापन और अवसरवाद के कारण बुरी तरह घिरती फंसती जा रही है. पिछले दिनों नामांकन से पहले किरण बेदी ने स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय की प्रतिमा को भगवा-भाजपाई पटका पहना दिया. इस घटनाक्रम की तस्वीरों के साथ एक कारोबारी सुरेश खंडेलवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट के जाने-माने वकील हिमाल अख्तर के माध्यम से किरण बेदी को कानूनी नोटिस भिजवाया फिर कोर्ट में मुकदमा कर दिया. इनका कहना है कि लाला लाजपत राय किसी पार्टी के प्रापर्टी नहीं बल्कि पूरे देश के नेता रहे हैं. ऐसे में किसी एक पार्टी का बैनर उनके गले में टांग देना उनका अपमान है.

‘फरिश्‍ता’ के लेखक ने फिल्‍म ‘पीके’ पर किया साहित्‍य चोरी का मुकदमा

‘‘मैंने 1 जनवरी, 2015 को पीके फिल्‍म देखी तो मैं हैरान हो गया। पीके फिल्‍म मेरे उपन्‍यास फरिश्‍ता की कट /कॉपी /पेस्‍ट है।’’ –कपिल ईसापुरी

अपने इन शब्‍दों में लेखक कपिल ईसापुरी काफी मर्माहत दिखते हैं। प्रेस कॉन्‍फेरेंस कर अपना दर्द बयान करते हैं। लेकिन मीडिया में एक कहावत बहुत प्रसिद्ध है- लिखता कोई है, दिखता कोई और है, बिकता कोई और है। इस कहावत का व्‍यावहारिक रूप प्रसिद्ध लेखक निर्देशक बी आर इसारा विविध भारती को दिए एक साक्षात्‍कार में इस प्रकार समझाते हैं- ‘‘कम चर्चित साहित्‍यकारों के साहित्‍य की चोरी फिल्‍मी दुनिया में खूब होती है। जब मैं फिल्‍मी दुनिया में आया था। मुझसे कम चर्चित उर्दू साहित्‍यकारों का साहित्‍य पढ़वाया जाता और उसको तोड-मरोड़ कर इस्‍तेमाल कर कर लिया जाता।’’

दिल्ली की भरी कोर्ट में जज को 50 वकीलों ने धमकाया

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में करीब 50 वकीलों ने जज को धमकाया और सुनवाई करने से रोका। जज ने वाकया आर्डर में लिखकर जिला जज को कॉपी भेजी है। दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के आपसी विवाद पर डाली गई एक याचिका की सुनवाई के दौरान डीडीसीए के कोषाध्यक्ष रविन्द्र मनचन्दा की तरफ से जिला बार संघ ने ये हंगामा किया।

दूरदर्शन ने फिर से ओम थानवी को बुलाना शुरू कर दिया

Om Thanvi : मुद्दत बाद आज दूरदर्शन के कार्यक्रम में गया। चुनाव के नतीजों पर चर्चा थी। बीच में पहले भी कई बार बुलावा आया, पर मना करता रहा। आज तो और चैनलों पर भी जाना था। फिर भी अधिक इसरार पर हो आया। जाकर कहा तो वही जो सोचता हूँ! बहरहाल, पता चला कि कोई सरकारी निर्णय बुलाने न-बुलाने को लेकर नहीं रहा, कोई अधिकारी समाचार प्रभाग में आईं जो अपने किसी लाभ के लिए नई सरकार को इस तरह खुश करने की जुगत में थीं कि भाजपा या नरेंद्र मोदी के आलोचकों को वहां न फटकने दें!

जस्टिस मार्कंडेय काटजू का मजाकिया बयान हाईकोर्ट के जज साहब पर भारी पड़ गया!

Markandey Katju : In a divorce case I was hearing in the Supreme Court I said orally in lighter vein “If you want happiness in life do whatever your wife tells you to do. If she tells you to turn your head to the left, turn it left. If she tells you to turn it right, turn in right. Don’t ask the reason. Just do it.”

हाईकोर्ट जज ने लीगल मैग्जीन छापने वाले विनय राय और राजश्री राय समेत पूरे संपादकीय व प्रकाशन स्टाफ को भेजा लीगल नोटिस

राजश्री राय और विनय राय एक मैग्जीन निकालते हैं. लीगल मामले की इस मैग्जीन में दिल्ली हाईकोर्ट के एक जज के बेटे के खिलाफ खबर छापी गई. जज ने इसे संज्ञान लिया और खबर को पूरी तरह गलत, निराधार और बेहूदा बताते हुए मैग्जीन के समस्त स्टाफ को लीगल नोटिस भेजा है. दिल्ली पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया है कि मैग्जीन को जब्त कर लिया जाए और इसके वितरण को रोका जाए. अपने आठ पेज के आदेश में जज ने झूठी स्टोरी को लेकर अपनी सफाई देते हुए न्यायपालिका की गरिमा का हवाला दिया है और कहा है कि मनगढ़ंत खबर छापकर उनकी और उनके परिवार की छवि तो धूमिल किया जा रहा है.

एक करोड़ नहीं दिया तो हाई कोर्ट जज नहीं बने?

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश आर एम लोढ़ा द्वारा कोलेजियम व्यवस्था की जबरदस्त वकालत करने के सन्दर्भ में आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने नए मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर न्यायिक नियुक्ति प्रक्रिया में अपेक्षित पारदर्शिता लाने का निवेदन किया है ताकि प्रत्येक व्यक्ति यह जान सके कि दूसरों की तुलना में किसी एक की नियुक्ति क्यों हुई है. कोलेजियम व्यवस्था के मौजूदा अपारदर्शी ढंग के खतरों को दर्शाने के लिए उन्होंने सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, तत्कालीन जिला जज, भदोही का उदाहरण प्रस्तुत किया है जिनसे हाई कोर्ट में प्रोन्नति हेतु कोलेजियम के एक सदस्य द्वारा कथित रूप से एक करोड़ रुपये मांगे गए थे. यह घटना अक्टूबर 2011 से फ़रवरी 2012 के दौरान की थी.