एडिटर के खिलाफ महिला पत्रकार पहुंची थाने

7 अप्रैल को मैने लाइव खबर ज्वाइन किया था. यहां HOD थे राजीव लियाल. इन्होंने ही मेरा इंटरव्यू लिया था और मुझे एंकर प्रोड्यूसर के लिए अपाइंट किया.. 7 महीने तक वहां मेहनत से काम किया. सारा आउटपुट डिपार्टमेंट मैं देखती थी.. वहां के स्टाफ से मेरी बहुत अच्छी बनती थी.. सब मेरे दोस्त थे.. …

सुप्रीम कोर्ट जजों के बौद्धिक स्तर पर जस्टिस मार्कंडेय काटजू का सवालिया निशान!

I think the time has come to tell Indians about the intellectual level and background of most Indian Supreme Court judges.  While some of them have high intellectual level and character, like Justice Chalameshwar and Justice Nariman, the vast majority of the present Supreme Court Judges are people of very low intellectual level.   I can say this because …

जजों की नियुक्ति के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट से जो लिस्ट सुप्रीम कोर्ट भेजी गई है, वह धांधलियों का पुलिंदा है!

इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति पर ‘चौथी दुनिया’ में छपी प्रभात रंजन दीन की ये बेबाक रिपोर्ट पढ़ें

जजों की नियुक्ति के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट से जो लिस्ट सुप्रीम कोर्ट भेजी गई है, वह धांधलियों का पुलिंदा है. जज अपने बेटों और नाते रिश्तेदारों को जज बना रहे हैं। और सरकार को उपकृत करने के लिए सत्ता के चहेते सरकारी वकीलों को भी जज बनाने की संस्तुति कर रहे हैं. न्यायाधीश का पद सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के प्रभावशाली जजों का खानदानी आसन बनता जा रहा है. जजों की नियुक्ति के लिए भेजी गई अद्यतन सूची में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के बेटे से लेकर कई प्रमुख न्यायाधीशों के बेटे और रिश्तेदार शामिल हैं.

SUPREME COURT DISMISSES SLP OF LOKMAT GROUP OF NEWSPAPERS

Inspiring story of non journalist employee who succeeds finally after a long battle of 17 years… Gets benefit of regularization and permanency as Teleprinter Operator, Planner with retrospective effect… Held entitled to all the benefits of Palekar, Bachawat Awards…

तीन करोड़ रुपये घूस लेने से इनकार करने वाले अधिकारी मोइन खान को सलाम

(स्व. मोइन खान)

नई दिल्ली की म्युनिसिपल कौंसिल के कानून अधिकारी मोइन खान की हत्या हो गई। कई अफसरों की हत्या की खबरें छपती रहती हैं। लेकिन इस खबर ने मुझे झकझोर दिया। इस अफसर की हत्या इसलिए करवाई गई कि इसने रिश्वत में 3 करोड़ रु. लेने से मना कर दिया था। मोइन खान को यह रिश्वत इसलिए दी जा रही थी कि वे दिल्ली के एक होटलवाले पर ‘कृपा’ नहीं कर रहे थे। कनाट प्लेस स्थित इस होटल के मालिक से म्युनिसिपाल्टी 150 करोड़ का शुल्क वसूल करना चाहती थी।

दिल्ली हाईकोर्ट में जज गीता मित्तल की सीजेआई से शिकायत- ‘लेटलतीफ हैं और काम में रुचि नहीं लेती’

 

(खबर पढ़ने के लिए उपरोक्त न्यूज कटिंग पर क्लिक कर दें)

नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर से पीड़ित वादियों ने दिल्ली हाईकोर्ट के जज की शिकायत की है। इसमें कहा गया है कि जस्टिस गीता मित्तल मामलों की सुनवाई बहुत धीमी गति से कर रही हैं जिसकी वजह से उनके केस की सुनवाई में देरी हो रही है। पीड़ित वादियों ने दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति गीता मित्तल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अप्रैल माह में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों को एक पत्र पहुंचाया गया था जिसमें यह कहा गया था कि सैकड़ों लोगों के केस का न्यायमूर्ति गीता मित्तल की लेटलतीफी और उनके काम में रुचि न लेने की वजह से निस्तारण नहीं हो रहा है।

हमारे चारों ओर उंची जाति के लोग रहते हैं, वे नहीं चाहते थे कि हम उनके बीच रहें

केरल में निर्भया जैसी दरिंदगी से उबाल, घटनास्थल से लौटी महिलाओं की टीम ने किया की खुलासा

-संदीप ठाकुर-

नई दिल्ली। दुराचार और जघन्य हत्या की रोंगटे खड़े कर देने वाली यह
वारदात दिल्ली के निर्भया कांड से भी कहीं ज्यादा वीभत्स और दिल दहला
देने वाली है। यह केवल एक गरीब मेहनती और महत्वाकांक्षी दलित लड़की की
कहानी नहीं है बल्कि समाज के दबे कुचले उन हजारों-लाखों लड़कियों के
अरमानों की भी दास्तान है जो तमाम मुश्किलों के बावजूद न सिर्फ कुछ कर
गुजरने की चाह रखतीं हैं, परंतु चाहतों के असली जामा पहनाने का हौसला
लेकर दिन रात मेहनत करतीं हैं। लेकिन समाज के दबंगों को उनकी यह तरक्की
हजम नहीं होती।

जिला जज ने हाई कोर्ट से मांगी जून की छुट्टियों में न्यायिक कार्य करने की अनुमति

भारत के मुख्य न्यायाधीश की भावुक अपील पर लिया ऐतिहासिक फैसला

भारत वर्ष में यह अपनी तरह का पहला मामला है जिसमें भदोही जिले के जनपद न्यायाधीश कमल किशोर शर्मा ने उच्च न्यायलय इलाहाबाद से जून की छुट्टियों में भी सिविल कोर्ट्स को खोलने और  काम करने की अनुमति मांगी है जिससे न्यायलय में लंबित पड़े मुकदमों को निपटाया जा सके। इस आशय का एक पत्र लिख कर लोक हित में न्यायिक कार्य करने की अनुमति इलाहाबाद हाई कोर्ट से मांगी है। रजिस्ट्रार जनरल इलाहाबाद हाई कोर्ट को पत्र लिखकर उन्होंने जून की पूरी छुटियों में न्यायिक कार्य करने की अनुमति मांगी है।

नेशनल दुनिया ने नहीं किया बकाया वेतन का भुगतान

पीड़ित कर्मचारी करेंगे शैलेन्द्र भदौरिया और कुमार समीर के घर का घेराव, एनसीआर ब्यूरो के अलावा दूसरे विभागों के कर्मचारी भी आन्दोलन में करेंगे शिरकत, मकान मालिक भी बकाया किराये को लेकर घेराव के मूड में, पीएफ आयुक्त और आयकर विभाग में भी शिकायत

पोस्टपेड को प्रीपेड कराने जाएंगे तो एयरटेल वाले खून पी जाएंगे (सुनें टेप)

Dear Sir/Madam,

This is to inform you that I visited Airtel Store at Aditya Mall, Indirapuram, Ghaziabad today, that is, 7th April 2016 at around 7:15 PM. Following are some issues regarding the visit:

मुंबई के एक पत्रकार को ‘हमारा महानगर’ अखबार के मालिक आरएन सिंह से जान का खतरा

‘हमारा महानगर’ के पत्रकार से उसके ही संस्थान की कहानी सुनिए… अपराध एवं समाज पर पैनी नजर रखने वाले स्थायी संवाददाता का ‘भइयाजी’ अखबार द्वारा शोषण… जो ‘भइयाजी’ खुद राजनीतिक ‘वाचमैनी’ एवं सामाजिक ठेकेदारी करके ‘उत्तर भारतीय समाज हाल’ कब्जा किए एवं सामाजिक ठेकेदारी करते हुए उत्तर भारतीय समाज को ‘वाचमैन’ की दुकान में सजाकर …

इरा झा के मामले में अदालत ने कहा- टाइम्स समूह की जांच कार्यवाही अनुचित और अन्यायपूर्ण

वरिष्ठ पत्रकार इरा झा के मामले में बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड की जांच कार्यवाही को श्रम न्यायालय ने अनुचित और अन्यायपूर्ण करार दिया है. इरा झा ने 1985 ने बतौर सब एडीटर टाइम्स समूह के नवभारत टाइम्स अखबार में ज्वाइन किया था. वह 1996 में चीफ सब एडीटर बनीं थीं. हिंदी पत्रकारिता में न्यूज डेस्क की कमान संभालने वाली वह पहली महिला हैं. भारी ट्रैफिक जाम की वजह से वह दफ्तर देर से पहुंचीं. इस वजह से उनका अपने विभाग प्रमुख से विवाद हो गया.

चोरी से न्यूड वीडियो बना इसे वायरल करने वाले होटल मालिक को महिला पत्रकार ने कोर्ट में दी शिकस्त, मिलेगा 350 करोड़ रुपये जुर्माना (देखें तस्वीरें)

कोर्ट में अपनी पीड़ा व्यक्त करतीं खेल पत्रकार एरिन फूट फूट कर रो पड़ीं…

इस महिला खेल पत्रकार को पूरे सात साल बाद इंसाफ मिला. और, जब इंसाफ मिल गया तो वह खुद को रोक न सकी. फफक कर रो पड़ी. खेल पत्रकार एरिन का होटल की दीवार में सुराख कर न्यूड वीडियो बनाया गया था. वीडियो बनाने वाले पर होटल मालिक पर अदालत ने 350 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. मामला अमेरिका का है.

मेरे गरीब चौकीदार पिता को इस जज ने नौकरी से निकाल दिया, अब घर कैसे चलेगा

Dear Sir,

I m pallvi from ambala city. I just want to say that My father Ramesh kumar was working in Haryana Court Ambala city as a chownkidar from 20 years under session judge (Mr.Jaiveer singh Hudda). Before 5 years, My father suspended by Mr. Jaivir Singh hUdda with wrong ellications. At that time my father was working in hudda’s Kothi. But in which document Mr. Hudda Said that everything wrong in court then he suspended my father. At that time 15 Employees suspended by Mr.Hudda. One person can make mistake. But 15 Peoples can’t do at same time.

‘दक्षिण मुंबई’ नामक अखबार की नीचता के खिलाफ युवा पत्रकार पहुंचा लेबर आफिस और पुलिस स्टेशन, पढ़ें शिकायती पत्र

मुंबई से एक अखबार निकलता है ‘दक्षिण मुंबई’ नाम से. इस अखबार में एक युवा पत्रकार ने पांच महीने तक काम किया. जब उसने सेलरी मांगी तो उसे बेइज्जत करके भगा दिया गया. इस अपमान से नाराज युवा पत्रकार ने लेबर आफिस में पूरे मामले की शिकायत की और भड़ास के पास पत्र भेजा. जब प्रबंधन को यह सब बात पता चली तो युवा पत्रकार को बुरी तरह धमकाया गया. इससे डरे युवा पत्रकार ने पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत दर्ज कराई है.

एक मंच पर आए जागरण व सहारा के मीडियाकर्मी, मिलकर लड़ेंगे लड़ाई

नई दिल्ली/ नोएडा। प्रिंट मीडिया समूहों में कार्यरत कर्मचारियों के शोषण और अत्याचारी अखबार प्रबंधनों के खिलाफ अब कर्मचारी एकजुट होकर लड़ाई लड़ेंगे। इस क्रम में दैनिक जागरण कर्मचारी यूनियन ने आंदोलित सहारा समूह के मीडियाकर्मियों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर लड़ाई लड़ने का निश्चय किया है।

के.न्यूज वाले बकाया पैसा नहीं दे रहे… इस दिवाली अपनी तीन माह की बिटिया को क्या दूंगा?

संपादक

भड़ास मीडिया

मैं प्रहलाद गुप्ता वाराणसी में के.न्यूज वैनल का रिर्पोटर हूं। मुझे एक साल हो गया के.न्यूज चैनल के लिए रिपोर्टिंग का काम करते। इस दौरान मुझे वेतन के नाम पर चैनल ने वालों ने बस दस हजार रूपये दिए हैं, जब कि मैने अब तक सैकड़ों खबरें चैनल वालों को भेजा है।

कानपुर से संचालित होने वाले के. न्यूज चैनल का सच : ”खुद कमाओ और हमे भी लाकर दो, तब हम जानेंगे तुम रिपोर्टर हो!”

: काम करवा कर वेतन नहीं देते है ‘के. न्यूज’ वाले : के. न्यूज की कहानी यहां नौ महीने तक काम करने वाले बनारस के मीडियाकर्मी प्रहलाद गुप्ता की जुबानी :

वाराणसी। चिल्ला-चिल्ला कर झूठ को बेनकाब करने का दावा करने वाले चैनलों का भीतरी सच क्या है? क्या है इनकी हकीकत? कैसे ये अपने यहां काम करने वालो का शोषण करते हैं? मेरा दावा है, चैनलों पर ऐसी कोई बेक्रिंग न्यूज कभी नहीं दिखेगी। कानपुर से संचालित होने वाले रीजनल चैनल ‘के.न्यूज’ के साथ काम कर के मुझे यही सबक मिला कि सच का दम भरने वाले इन चैनलों का भीतरी चेहरा कितना बदसूरत है।

दहेज के लिए मारी गई पत्रकार किरन को न्याय मिलता दिख नहीं रहा

25 सितंबर 2015 को देहरादून निवासी पत्रकार किरन की दहेज के कारण हत्या कर दी गई थी। दबंग परिवार वालों तथा एक बड़े अधिकारी के सहयोग के कारण पुलिस किरन की दहेज हत्या को  आत्महत्या में बदल रही थी। शुरू में डालनवाला पुलिस का रवैया भी आरोपियों की मददगार का रहा। पुलिस की हीलाहवाली के कारण दहेज हत्या के आरोपी किरन का पति राबिन जोशी व मामले में संलिप्त उसके परिवार के सदस्य भागने में कामयाब रहे।

Outlook Hindi को पूरे सम्मान के साथ यह चेक एक पत्र के साथ वापिस कर रहा हूं

Siddhant Mohan : बीते अप्रैल में हुए ‘संकटमोचन संगीत समारोह’ के लिए मैंने आउटलुक पत्रिका के चन्द्र प्रकाश, फिर बाद में आकांक्षा पारे के कहने पर समारोह पर एक लेख लिखा था और ग़ुलाम अली खान साहब का इंटरव्यू भी किया था. बीच में कई दफा एकाउंट नंबर पूछने, नाम की स्पेलिंग कन्फर्म करने के लिए फोन आए. कुछेक बार एचआर डिपार्टमेंट से, कुछेक बार आकांक्षा जी से. कई बार एसएमएस से डीटेल भी मांगे गए. अप्रैल में किए इस काम के जवाब में मुझे कल यानी 20 मई को(छः महीने से भी ज्यादा वक़्त बाद) चेक मिला. 720 रूपए का. नाम की स्पेलिंग गलत.

‘समाचार प्लस’ चैनल ने मुझ स्ट्रिंगर का छह महीने का पैसा मार लिया!

समाचार प्लस चैनल की रीयल्टी. पत्रकारों का शोषण करने वाला चैनल. न्यूनतम वेतन से भी कम देने वाला चैनल. छ माह की तनख्वाह खा जाने वाला चैनल. असभ्य और बदमिजाज एडिटर वाला चैनल. अपनी बात से बार बार पलटने वाले सम्पादक. स्ट्रिगरों का हक मारने वाले. खबर के लिए चौबीस घण्टे फोन करने वाले. वेतन के लिए फोन नहीं उठाने वाले. रोज शाम राजस्थान की जनता को ज्ञान बॉटने वाले सम्पादक महोदय. एक स्ट्रिगर के सवालों का जवाब नहीं दे पाते. राजस्थान के दर्जनों पत्रकारों के मेहनत के पैसे खा जाने वाले. पत्रकारो को आईडी कार्ड नहीं देने वाले. ऐसा चैनल जिसमे एकाउण्ट और एचआर डिपार्टमेन्ट नहीं हो. गेजुएट, पोस्ट गेजुएट और बीजेएमसी पास युवाओं को मजदूर से कम वेतन देने वाले, वह भी चार माह की देरी से. ये सब करता है समाचार प्लस चैनल.

प्रतिमा भार्गव केस में प्रेस काउंसिल ने दैनिक जागरण और आई-नेक्स्ट को दोषी ठहराते हुए लताड़ा, …लेकिन बेशर्मों को शर्म कहां!

आगरा की रहने वाली प्रतिमा भार्गव ने मीडिया के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई जीत ली है. लेकिन दुख इस बात का है कि बेशर्म मीडिया वाले इस खबर को कतई नहीं छापेंगे. अगर इनमें थोड़ी भी नैतिकता होती तो प्रेस काउंसिल आफ इंडिया के इस फैसले को न सिर्फ प्रकाशित करते बल्कि खुद के पतने पर चिंता जताते, विमर्श करते. प्रतिमा भार्गव के खिलाफ एक फर्जी खबर दैनिक जागरण आगरा और आई-नेक्स्ट आगरा ने प्रमुखता से प्रकाशित किया. अनाप-शनाप आरोप लगाए.

पत्रकारों पर हो रहे हमले के विरोध में प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ कानपुर में पत्रकारों का हल्ला बोल

विगत एक वर्ष से लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर बढ़ रहे अत्याचारों और उत्पीड़न ने तोड़ा पत्रकारों के सब्र का बांध। कानपुर में आज कई पत्रकार संगठनों ने मंच साझा कर सांकेतिक धरना प्रदर्शन करते हुए प्रदेश की सपा सरकार और बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व को जमकर कोसा। कानपुर में विभिन्‍न पत्रकार संगठनों द्वारा आज फूलबाग स्थित गांधी प्रतिमा पर धरना प्रर्दशन कर पत्रकारों का उत्पीड़न न रुकने पर बड़े आंदोलन का बिगुल फूंक दिया।

यूपी : मीडिया सलीब पर और इंसाफ मुजरिमों की मुट्ठी में !

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को लगता है कि उनके मंत्रियों को फंसाया जा रहा है, साथ ही कहना है कि सरकार पर दबाव बनाये रखने के लिए विरोधी दलों के नेता आये दिन मंत्रियों के त्याग पत्र मांगते रहते हैं। आरोप यह भी है कि समाजवादी पार्टी पर मीडिया हमलावर रहता है। समाजवादी पार्टी के नेताओं की इस दलील का आशय यह है कि उनकी सरकार में सब कुछ ठीक है एवं सभी मंत्री संवैधानिक दायरे में रह कर ही कार्य कर रहे हैं, जिन्हें सिर्फ बदनाम किया जा रहा है, लेकिन यह स्पष्ट होना शेष है कि समाजवादी पार्टी के नेता डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखित संविधान के दायरे में रहने की बात करते हैं, या समाजवादी पार्टी का कोई और संविधान है?

सुप्रीम कोर्ट के फैसले दो, सवाल एक मीडिया बड़ा या न्याय पालिका !

भारतीय लोकतंत्र की अन्योन्याश्रित चार प्रमुख शक्तियां हैं- विधायिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका और मीडिया। लेकिन कई एक ताजा प्रसंग अब ये संदेश देने लगे हैं कि अभी तक सिर्फ राजनेता, अफसर और अपराधी ही ऐसा करते रहे हैं, अब भारतीय मीडिया भी  डंके की चोट पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का मजाक बनाने लगा है। मजीठिया वेज बोर्ड से निर्धारित वेतनमान न देने पर अड़े मीडिया मालिकों को जब सुप्रीम कोर्ट ने अनुपालन का फैसला दिय़ा तो उसे कत्तई अनसुना कर दिया गया। इस समय मीडिया कर्मी अपने हक के लिए दोबारा सुप्रीम कोर्ट की शरण में हैं। इस पूरे मामले ने ये साफ कर दिया है कि भारतीय मीडिया को न्यायपालिका के आदेशों की परवाह नहीं है। इस तरह वह हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था का खुला मखौल उड़ा रहा है। इतना ही नहीं, लोकतंत्र के चार स्तंभों में से एक होने के नाते उसकी यह धृष्टता भारतीय न्याय-व्यवस्था के प्रति आम आदमी की अनास्था को प्रोत्साहित भी करती है। मीडिया कर्मियों को मजीठिया वेतनमान देने की बजाए कई बड़े मीडिया घराने तो पुलिस की मदद से मीडिया कर्मियों का गुंडों की तरह उत्पीड़न करने लगे हैं। इसी दुस्साहस में वह सुप्रीम कोर्ट के हाल के एक और आदेश को ठेंगा दिखाते हुए सरकारी विज्ञापनों में नेताओं की फोटो छापने से भी बाज नहीं आ रहा है। भारतीय मीडिया (प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक दोनो) यह साबित करने की लगातार कुचेष्टा कर रहा है कि उसकी हैसियत देश के सर्वोच्च न्यायालय से ऊपर है।

Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal meets Justice Majithia

The Chief Minister of Delhi, Mr. Arvind Kejriwal, met Justice G.R.Majithia at the Delhi Secretariat. The two discussed the Majithia Wage Board recommendations. Justice Majithia also shared several experiences with the Chief Minister of the times when the wage board was working. “I assure you that I will get the Majithia Wage Board recommendations implemented in Delhi,” the Chief Minister told Justice Majithia. 

हाय अरुणा, तुमको कैसे मिलेगा इंसाफ

अरुणा शानबाग इस दुनिया में नहीं है। हां वही अरुणा जो अपने सहकर्मी की यौन प्रताड़ना का शिकार होने से बचने के लिए उसके गुस्से का इस कदर शिकार हुई कि पूरे 42 साल हर रोज मरती रही, फिर भी जिन्दा रही। अब तक ज्ञात जानकारी के अनुसार महिला प्रताड़ना की शिकार शायद अरुणा ही वो अकेली ज़िन्दा लाश थी जो 23 नवंबर 1973 यानी लगातार 42 वर्षों से एक बिस्तर पर सिमटी रही। सचमुच किसी कहानी के जैसे है अरुणा की हकीकत लेकिन सच्चाई यही है कि यह कहानी नहीं हकीकत है। 

छुट्टी से लौटे रिपोर्टर को संपादक ने काम से रोका, दोनो में मारपीट होते होते बची, माहौल तनावपूर्ण

भोपाल : मजीठिया वेतनमान की मांग को लेकर दैनिक जागरण के सीईओ संजय गुप्ता के खिलाफ नई दुनिया, भोपाल के कर्मचारियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर होने के बाद जागरण अखबार प्रबंधन बौखला गया है। छुट्टी से लौटे रिपोर्टर को काम से रोकने पर गत दिनो यहां नई दुनिया के संपादक से मारपीट होते होते रह गई। इसके बाद दफ्तर का माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया है।   

अजमेर में ट्रेनिंग ले रहे हैं देश के प्रथम नेत्रबाधित न्यायाधीश

अजमेर : बहुत शीघ्र आप एक ऐसी अदालत देखेंगे, जिसके न्यायाधीश नेत्र बाधित होंगे। यहां इन दिनो ब्रम्हानंद शर्मा जज की ट्रेनिंग ले रहे हैं। वह देश के संभवतः पहले नेत्रबाधित न्यायाधीश बनने जा रहे हैं। उनका चयन पिछले दिनों ही राजस्थान न्यायिक सेवा में हुआ है। ब्रम्हानंद उस आखिरी बैच के हैं, जिन्हें राजस्थान लोक सेवा आयोग ने चुना है। अब राजस्थान हाईकोर्ट मजिस्ट्रेटों की भर्ती करेगा।

WE WANT JUSTICE : दुराचारी मनोज के खिलाफ एम्स पर जोरदार प्रदर्शन

नई दिल्ली : बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं एवं युवाओं ने गत दिनो एम्स पर जोरदार विरोध प्रदर्शन करते हुए रजिस्ट्रार (एम्स प्रशासन, दिल्ली) डॉ. संजीव लालवानी से एक छात्रा के साथ दुराचार के आरोपी मनोज कुमार के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की मांग की। छात्र छात्राओं ने पूरे एम्स दिल्ली परिसर में शांति मार्च किया और ‘WE WANT JUSTICE’ के नारे के साथ न्याय की मांग की। इस शांति प्रदर्शन में मुख्य रूप से सामाजिक कार्यकर्ता विजय बाबा, फिल्म डायरेक्टर मयंक मधुर, 16 दिसम्बर क्रांति के कार्यकर्ताओं, भारतीय स्वराज मंच, यंग इंडिया यूथ की आवाज़ के कार्यकर्ताओं समेत सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया।

RECOMMENDATIONS TO PM AND CJI FOR REFORMS IN LEGAL SYSTEM IN INDIA

3.4.2015
Hon’ble Mr. Narendra Modi,
Prime Minister of India
New Delhi.

Hon’ble Mr. Justice H.L.Dattu,
Chief Justice of India,
New Delhi.

SUB : RECOMMENDATIONS FOR REFORMS IN LEGAL SYSTEM IN INDIA

Hon’ble Prime Minister and Hon’ble Chief Justice,

The People of India and in particular the legal fraternity have high hopes and aspirations from the Prime Minister who is leading a single party government which was formed for the first time in thirty years and the Chief Justice of India who has had a distinguished judicial tenure contributing to a fair and efficient administration of justice. We demand the following reforms from your goodself:

कोटा के बाद दैनिक भास्कर भीलवाड़ा में भी बगावत, प्रबंधन पीछे हटा

मजीठिया वेज बोर्ड के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने वाले कर्मियों को लगातार परेशान करने के कारण भास्कर ग्रुप में जगह-जगह विद्रोह शुरू हो गया है. अब तक प्रबंधन की मनमानी और शोषण चुपचाप सहने वाले कर्मियों ने आंखे दिखाना और प्रबंधन को औकात पर लाना शुरू कर दिया है. दैनिक भास्कर कोटा में कई कर्मियों को काम से रोके जाने के बाद लगभग चार दर्जन भास्कर कर्मियों ने एकजुटता दिखाते हुए हड़ताल कर दिया और आफिस से बाहर निकल गए.

बाएं से दाएं : आंदोलनकारी मीडियाकर्मियों के साथ बात करते भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह, अजमेर के वरिष्ठ पत्रकार रजनीश रोहिल्ला और जर्नलिस्ट एसोसिएशन आफ राजस्थान (जार) के जिलाध्यक्ष हरि बल्लभ मेघवाल.

मजीठिया की जंग : जो लेबर इंस्पेक्टर कभी अखबार दफ्तरों की तरफ झांकते न थे, वे आज वहां जाकर जानकारी मांगने को मजबूर हैं

साथियों,  हिमाचल प्रदेश में मजीठिया वेज बोर्ड लागू करने को लेकर मेरे द्वारा बनाया गया दबाव काम करता नजर आ रहा है। हालांकि श्रम विभाग हरकत में तो आया है, मगर अखबार प्रबंधन के दबाव के भय और सहयोग न करने की आदत के चलते श्रम निरीक्षकों को वांछित जानकारी नहीं मिल पा रही है। राहत वाली खबर यह है कि जो श्रम निरीक्षक कभी अखबारों के दफ्तरों की तरफ देखने से भी हिचकिचाते थे, वे आज वहां जाकर जानकारी मांगने को मजबूर हैं। जैसे की आपको ज्ञात है कि मैं मजीठिया वेज बोर्ड के खिलाफ मई २०१४ से लड़ाई लड़ रहा हूं। श्रम विभाग में शिकायतों व आरटीआई के तहत जानकारियां मांगने का दौर जारी है। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में पिछले सात माह से मामला चल रहा है। हाल ही में माननीय सुप्रीम कोर्ट में भी लड़ाई पहुंचा दी है।

दैनिक भास्कर होशंगाबाद के 25 कर्मचारी मजीठिया के लिए गए हाईकोर्ट, नोटिस जारी

दैनिक भास्कर से सबसे ज्यादा मीडियाकर्मी मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से सेलरी एरियर पाने के लिए कोर्ट की शरण में गए हैं. ये संख्या हजारों में हो सकती है. ताजी सूचना होशंगाबाद यूनिट से है. यहां के करीब 25 मीडियाकर्मियों ने गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी है. जब इसकी खबर भास्कर के वरिष्ठ पदाधिकारियों को मिली तो इन्होंने हाईकोर्ट जाने वालों कर्मियों को एक एक कर अलग अलग केबिन में बुलाया और धमकाना शुरू कर दिया. इन्हें नौकरी से निकाल दिए जाने की धमकी भी दी गई है. कर्मचारियों से कहा गया कि उन्हें सात दिन गैर-हाजिर दिखाकर नौकरी से टर्मिनेट कर दिया जाएगा.

बगावत की आग दैनिक भास्कर तक पहुंची, कोटा में हड़ताल

मजीठिया वेज बोर्ड पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने वाले मीडियाकर्मियों के प्रताड़ना का सिलसिला तेज हो गया है. दैनिक जागरण नोएडा के कर्मियों ने पिछले दिनों इसी तरह के प्रताड़ना के खिलाफ एकजुट होकर हड़ताल कर दिया था और मैनेजमेंट को झुकाने में सफलता हासिल की थी. ताजी खबर दैनिक भास्कर से है. यहां भी मीडियाकर्मियों को सुप्रीम कोर्ट जाने पर परेशान किया जाना जारी है. इसके जवाब में दैनिक भास्कर के कोटा के दर्जनों कर्मियों ने एकजुट होकर हड़ताल शुरू कर दिया है.

राजस्थान पत्रिका में मजीठिया वेज बोर्ड के साइड इफेक्ट : डीए सालाना कर दिया, सेलरी स्लिप देना बंद

कोठारी साहब जी, मन तो करता है पूरे परिवार को लेकर केसरगढ़ के सामने आकर आत्‍महत्‍या कर लूं

जब से मजीठिया वेज बोर्ड ने कर्मचारियों की तनख्‍वाह बढ़ाने का कहा व सुप्रीम कोर्ट ने उस पर मोहर लगा दी तब से मीडिया में कार्य रहे कर्मचा‍रियों की मुश्किलें बढ रही हैं. इसी कड़ी में राजस्‍थान पत्रिका की बात बताता हूं। पहले हर तीन माह में डीए के प्‍वाइंट जोड़ता था लेकिन लगभग दो तीन वर्षों से इसे सालाना कर दिया गया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए तनख्‍वा बढ़ी तो जहां 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी होनी थी तो मजीठिया लगने के बाद कर्मचारियों की तनख्‍वाह में मात्र 1000 रुपए का ही फर्क आया। किसी किसी के 200 से 300 रुपये की बढ़ोतरी।

कोर्ट जाने पर छह मीडियाकर्मियों को भास्कर प्रबंधन ने किया टर्मिनेट

गुजरात से खबर है कि दैनिक भास्कर वालों के गुजराती अखबार दिव्य भास्कर की मेहसाणा यूनिट के 20 मीडियाकर्मियों ने प्रबंधन के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी है. ये लोग मजीठिया वेज बोर्ड के अनुरूप सेलरी एरियर न दिए जाने के खिलाफ कोर्ट गए हैं. प्रबंधन को अपने कर्मियों के कोर्ट जाने की जानकारी मिली तो अब सभी को परेशान किया जा रहा है.

संजय गुप्ता को रात भर नींद नहीं आई, जागरण कर्मियों में खुशी की लहर

बहुत दिनों बाद ऐसा हुआ. इसे पहले ही हो जाना चाहिए था. डिपार्टमेंट का कोई भेद नहीं था. सब एक थे. सब मीडियाकर्मी थे. सब सड़क पर थे. सबकी एक मांग थी. मजीठिया वेज बोर्ड खुलकर मांगने और सुप्रीम कोर्ट जाने वाले जिन-जिन साथियों को दैनिक जागरण प्रबंधन ने परेशान किया, ट्रांसफर किया, धमकाया, इस्तीफा देने के लिए दबाव बनाया, उन-उन साथियों के खिलाफ हुई दंडात्मक कार्रवाई तुरंत वापस लो और आगे ऐसा न करने का लिखित आश्वासन दो.

दैनिक जागरण, नोएडा के हड़ताल की आंच हिसार तक पहुंची

दैनिक जागरण, नोएडा में कर्मचारी सड़कों पर उतर गए हैं. प्रबंधन की दमनकारी और शोषणकारी नीतियों के खिलाफ कर्मचारियों का सालों से दबा गुस्‍सा अब छलक कर बाहर आ गया है. मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर एक संपादकीय कर्मचारी का तबादला किए जाने के बाद सारे विभागों के कर्मचारी एकजुट होकर हड़ताल पर चले गए हैं. मौके पर प्रबंधन के लोग भी पहुंच गए हैं, लेकिन कर्मचारी कोई बात सुनने को तैयार नहीं हैं. प्रबंधन ने सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस बल को बुला लिया है, लेकिन प्रबंधन के शह पर सही गलत करने वाली नोएडा पुलिस की हिम्‍मत भी कर्मचारियों से उलझने की नहीं हो रही है. 

एबीपी न्यूज के एडिटर इन चीफ शाजी जमां अपने चैनल में न्याय क्यों नहीं कर रहे?

: कानाफूसी : एबीपी न्यूज चैनल से खबर है कि पीसीआर में कार्यरत एक वरिष्ठ महिला मीडियाकर्मी को इन दिनों न्याय की तलाश है. एडिटर इन चीफ शाजी जमां को सब कुछ पता है. लेकिन पीड़िता को न्याय नहीं मिल पा रहा. हुआ ये कि पीसीआर में कार्यरत वरिष्ठ महिला मीडियाकर्मी ने एक रोज अपने फेसबुक पेज पर बिना किसी का नाम लिए यह लिख दिया कि ‘एंकर ने कितना घटिया सवाल पूछा’.

मजीठिया वेज बोर्ड के लिए भड़ास की जंग : लीगल नोटिस भेजने के बाद अब याचिका दायर

Yashwant Singh : पिछले कुछ हफ्तों से सांस लेने की फुर्सत नहीं. वजह. प्रिंट मीडिया के कर्मियों को मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से उनका हक दिलाने के लिए भड़ास की पहल पर सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर करने की प्रक्रिया में इनवाल्व होना. सैकड़ों साथियों ने गोपनीय और दर्जनों साथियों ने खुलकर मजीठिया वेज बोर्ड के लिए भड़ास के साथ सुप्रीम कोर्ट में जाने का फैसला लिया है. सभी ने छह छह हजार रुपये जमा किए हैं. 31 जनवरी को दर्जनों पत्रकार साथी दिल्ली आए और एडवोकेट उमेश शर्मा के बाराखंभा रोड स्थित न्यू दिल्ली हाउस के चेंबर में उपस्थित होकर अपनी अपनी याचिकाओं पर हस्ताक्षर करने के बाद लौट गए. इन साथियों के बीच आपस में परिचय हुआ और मजबूती से लड़ने का संकल्प लिया गया.

(भड़ास की पहल पर मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर शुरू हुई लड़ाई के तहत मीडिया हाउसों के मालिकों को लीगल नोटिस भेज दिया गया. दैनिक भास्कर के मालिकों को भेजे गए लीगल नोटिस का एक अंश यहां देख पढ़ सकते हैं)

If you want to be judge, please do not have a live in relationship : Markandey Katju

Markandey Katju : Live in Relationship as a disqualification for Judgeship! I was Acting Chief Justice of Allahabad High Court, and Chief Justice of Madras and Delhi High Courts. In these High Courts I had to recommend names of lawyers for appointment as Judges of the High Court. In one of these 3 High Courts (I will not mention which, to avoid identification of the persons concerned) I got a good impression of a certain middle aged male lawyer who appeared several times before me, and always argued his cases well.

चैनल वन से बकाया सेलरी के लिए लड़ रहे एक मीडियाकर्मी का खुला पत्र

संपादक, भड़ास4मीडिया, सादर प्रणाम, मैं भड़ास4 मीडिया का एक नियमित पाठक हूं. आप लोगों ने ना जाने कितनी बार हम पत्रकार लोगों के साथ जो अन्याय कभी हुआ है उसके खिलाफ कदम से कदम मिला कर साथ दिया है, उसके लिए तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहूंगा. मैं आपको अपने साथ जो अन्याय हुआ है उसके बारे में अवगत कराना चाहूंगा. आशा करता हूं कि आप इसे प्रमुखता से छापकर मेरे जैसे ना जाने कितने लोगों को फर्जी स्टिंग, ब्लैकमेलिंग और कर्मचारियों का शोषण करने वाले इस बदनाम प्रवृति के न्यूज चैनल ‘चैनल वन’ से सावधान कर उनका सही दिशा में मार्ग दर्शन कर सकते हैं. 

भड़ास के साथ मजीठिया वेज बोर्ड के लिए खुलकर लड़ने वालों के लिए सूचना, 31 जनवरी को दिल्ली पहुंचें

भड़ास के साथ मिलकर मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के अनुसार एरियर और वेतन पाने की लड़ाई लड़ने वाले उन सभी मीडियाकर्मियों के लिए एक सूचना है जो यह लड़ाई खुलकर अपने नाम पहचान के साथ लड़ना चाहते हैं. ऐसे सभी साथियों को 31 जनवरी को दिल्ली पहुंचना है. 31 जनवरी को दिल्ली में आईटीओ के पास दीनदयाल रोड स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान में 12 बजे से 2 बजे तक बैठक होगी. इसमें वकालतनामा और याचिका पर हस्ताक्षर कराए जाएंगे.

राजस्थान पत्रिका के दस मीडियाकर्मियों ने सभी निदेशकों को भेजा लीगल नोटिस

राजस्थान पत्रिका से खबर है कि यहां के दस मीडियाकर्मियों ने सुप्रीम कोर्ट के एक वकील से संपर्क साधकर मालिकों को लीगल नोटिस भिजवाया है. लीगल नोटिस भिजवाने की पहल की है राजस्थान पत्रिका, उदयपुर के ललित जैन ने. ललित जैन 13 वर्षों से पत्रिका में जूनियर मेंटनेंस आफिसर के पद पर कार्यरत हैं. जैन के नेतृत्व में दस मीडियाकर्मियों ने पत्रिका जो लीगल नोटिस भिजवाया, उसे पत्रिका समूह मुख्यालय की तरफ से रिसीव भी कर लिया गया है.

संदर्भ- आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर की सरकारी घेराबंदी : …नहीं तो शेर खा जाएगा!

बचपन में एक कहानी सुनी थी। हांलाकि कहानी तो कहानी ही यानि मनघड़ंत होती है…मगर उससे कुछ सीख मिल जाए तो क्या बुराई है! कहानी कुछ यूं थी कि एक जंगल में चार भैंसे रहते थे। आपस में बेहद प्यार और मिलजुल कर रहते थे। वहीं एक शेर भी रहता था। जिसका मन उनका शिकार करने को हमेशा बना रहता था। लेकिन उनकी एकता के आगे उसकी कभी न चली। जब भी शेर हमला करता चारों मिलकर उसको खदड़े देते। तभी एक लोमड़ी से शेर की वार्तालाप हुई। लोमड़ी को भी शेर के शिकार में अपने पेट भरने के आसार नज़र आए और उसने शेर से कुछ वादा किया।

दिल्ली में रेप, उत्पीड़न और उपेक्षा की शिकार मेडिकल छात्रा ने खुद की कहानी फेसबुक पर विस्तार से बयान की

my story… I am working in a reputed medical institute in Delhi and a victim of the attrocities and crime committed against me by Mr Manoj Kumar S/O Raghaw Pandey resident of village: Adapur, Shyampur, Motihari, Champaner, Bihar. He is a Phd scholar in Dept of Microbiology, Dept of lab medicine, AIIMS under the supervision of Dr Sarman Singh. What has happened with is the rememberence of the time when the women were downtrodden by the powerfull persons in the past. With malafide intentions this Manoj Kumar befriended with me through common friends and then contacted me through social media, he started showing interets in me through common friends.

भड़ास की मुहिम पर भरोसा करें या नहीं करें?

जिन्हें हो खौफ रास्तों का, वो अपने घर से चले ही क्यों?
करें तूफानों का सामना, जिन्हें मंजिलों की तलाश है।

प्रिय साथियों,

समय कम बचा है। अब किसी सुखद अहसास का इंतजार मत करो। अपने कदम बढ़ाओ। वक्त निकलने के बाद आप के हाथ में कुछ भी नहीं रहेगा। मेरे पास देश के हर प्रदेश के पत्रकार साथियों के फोन आ रहे हैं। मैं सबसे हाथ जोड़कर निवेदन करना चाहता हूं कि मुझे फोन करना बंद कर दीजिए। कुछ पत्रकार भड़ास के संपादक यशवंतजी को लेकर आशंकाओं से भरे हैं। पत्रकार मुझसे पूछ रहे हैं कि भड़ास की मुहिम पर भरोसा करें या नहीं करें। मुझे ऐसे सवालों से दुख हो रहा है।

बंद हो चुके ‘भास्कर न्यूज’ चैनल के मालिकों-संपादकों में घमासान, लेबर डिपार्टमेंट ने आरसी जारी की

‘भास्कर न्यूज’ चैनल के शीर्षस्थ लोगों में घमासान शुरू हो चुका है. खबर है कि राहुल मित्तल ने हेमलता अग्रवाल व समीर अब्बास के खिलाफ नोएडा के किसी थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया है. उधर, हेमलता अग्रवाल और समीर अब्बास ने भी राहुल मित्तल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने हेतु थाने में तहरीर पहले से दे रखा है. सूत्रों के मुताबिक चैनल के फेल होने के बाद इसका ठीकरा एक दूसरे पर फोड़े जाने की कवायद शुरू हो गई है.

भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह का एक पुराना इंटरव्यू

मीडियासाथी डॉट कॉम नामक एक पोर्टल के कर्ताधर्ता महेन्द्र प्रताप सिंह ने 10 मार्च 2011 को भड़ास के संपादक यशवंत सिंह का एक इंटरव्यू अपने पोर्टल पर प्रकाशित किया था. अब यह पोर्टल पाकिस्तानी हैकरों द्वारा हैक किया जा चुका है. पोर्टल पर प्रकाशित इंटरव्यू को हू-ब-हू नीचे दिया जा रहा है ताकि यह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे और यशवंत के भले-बुरे विचारों से सभी अवगत-परिचित हो सकें.

यशवंत सिंह

 

”P7 में आपका दुबारा स्वागत है…” लेकिन ध्यान से, कहीं फंस मत जइहो भइये

पी7 यानि पीएसीएल उर्फ पर्ल्स ग्रुप का न्यूज चैनल.  लगातार फ्रॉड करते रहने वाले इस ग्रुप के चैनल का अंत भी फ्रॉडगिरी करके हुआ, सैकड़ों मीडियाकर्मियों की तनख्वाह मार के. लेकिन मीडियाकर्मी लड़े और जीते. लेकिन पर्ल्स ग्रुप ने पैंतरा मारते हुए फिर नया खेल किया है. सूत्रों के मुताबिक चैनल को कांग्रेस के नेता जगदीश शर्मा ने खरीद लिया है. इसे देखते हुए पर्ल्स ग्रुप का नया पैतरा ये है कि कर्मचारियों के फुल एंड फाईनल सेटेलमेंट से ठीक पहले पी7 मैनेजमेंट ने अपने आफिस के गेट पर लुभावने आफर वाला एक नोटिस चस्पा कर दिया है.

मजीठिया के हिसाब से पैसा मिलते ही रजनीश रोहिल्ला ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ली (देखें कोर्ट आर्डर)

आरोप लगा सकते हैं कि रजनीश रोहिल्ला ने सबकी लड़ाई नहीं लड़ी, अपने तक सीमित रहे और मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से दैनिक भास्कर से पैसे मिलते ही सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली. ज्यादा अच्छा होता अगर रजनीश रोहिल्ला सबकी लड़ाई लड़ते और सारे पत्रकारों को मजीठिया के हिसाब से पैसा दिला देते. लेकिन हम कायर रीढ़विहीन लोग अपेक्षाएं बहुत करते हैं. खुद कुछ न करना पड़े. दूसरा लड़ाई लड़ दे, दूसरा नौकरी दिला दे, दूसरा संघर्ष कर दे, दूसरा तनख्वाह दिला दे. खुद कुछ न करना पड़े. न लड़ना पड़े. न संघर्ष करना पड़े. न मेहनत करनी पड़े.

दिल्ली की भरी कोर्ट में जज को 50 वकीलों ने धमकाया

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में करीब 50 वकीलों ने जज को धमकाया और सुनवाई करने से रोका। जज ने वाकया आर्डर में लिखकर जिला जज को कॉपी भेजी है। दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के आपसी विवाद पर डाली गई एक याचिका की सुनवाई के दौरान डीडीसीए के कोषाध्यक्ष रविन्द्र मनचन्दा की तरफ से जिला बार संघ ने ये हंगामा किया।

नोएडा से संचालित हो रहे न्यूजलोक पोर्टल ने युवा पत्रकार मनोज जोशी के साथ ठीक नहीं किया… पढ़ें पूरी दास्तान

Sir, My name is Manoj Joshi, I spoke to you yesterday about how my boss sacked me within five days of hiring. I’ve shared my problem in the letter enclosed with this mail.  Suggest me how can I be paid my dues.

मजीठिया की लड़ाई : श्रम विभाग अवैध कमाई का सबसे बड़ा जरिया, सीधे कोर्ट जाएं

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी मजीठिया न देना दैनिक भास्कर, जागरण के मालिकों के लिए गले का फंस बन सकता है। इन दोनों अखबारों के मालिक अपने अपने अखबारों के कारण ही खुद को देश का मसीहा समझते हैं। देश का कानून ये तोड़ मरोड़ देते हैं। प्रदेश व देश की सरकारें इनके आगे जी हजूरी करती हैं। लेकिन अब देखना होगा कि अखबार का दम इनका कब तक रक्षा कवच बना रहता है क्योंकि जनवरी में मानहानि के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। कारपोरेट को मानहानि के मामले में सिर्फ जेल होती है। अब देखना होगा कि सहाराश्री के समान क्या अग्रवाल व गुप्ता श्री का भी हाल होता है या फिर मोदी सरकार अखबार वालों को कानून से खेलने की छूट देकर चुप्पी साध लेती है। मोदी सरकार पत्रकारों को मजीठिया दिलवाने के मामले में बेहद कमजोर सरकार साबित हुई है। मालिकों को सिर्फ नोटिस दिलवाने से आगे कुछ नहीं कर पाई।

जनसंदेश टाइम्‍स कर्मियों के उत्‍पीड़न मामले में मानवाधिकार आयोग ने दिया कार्रवाई का निर्देश

बनारस में जनसंदेश टाइम्‍स कर्मियों को वेतन नहीं दिये जाने और उत्‍पीड़न के मामले में राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एक महत्‍वपूर्ण निर्देश देते हुए संबंधित अथार्टी (प्रशासन) को कड़ी कार्रवाई कर रिपोर्ट देने को कहा है। प्रशासन को कृत कार्रवाई की सूचना शिकायतकर्ता को भी देने का निर्देश जारी किया गया है। महीनों से वेतन नहीं देने और उसके लिए आवाज उठाने पर प्रबंधन द्वारा प्रताडि़त किये जाने के संबंध में मिली शिकायत (172302/सीआर/2014) को गंभीरता से लेते हुए एक दिसंबर को राष्‍टृीय मानवाधिकार आयोग द्वारा जारी आदेश में प्रशासन को इस संबंध में आठ सप्‍ताह के अंदर कार्रवाई कर रिपोर्ट देनी है।

एबीपी का पंजाबी चैनल लांच होने से पहले ही बंद, 200 मीडियाकर्मी बेरोजगार

एबीपी (आनंद बाजार पत्रिका) वालों ने 200 मीडियाकर्मियों के पाट पर लात मारने का काम किया है. एबीपी की तरफ से पंजाबी चैनल ‘एबीपी सांझा’ लांच करने की तैयारी कई वर्षों से चल रही थी. इसके लिए करीब 200 लोगों को भर्ती किया गया. अब सूचना आ रही है कि प्रबंधन ने चैनल को बंद करने का फैसला ले लिया है और सभी कर्मियों को घर जाने को बोल दिया है. यह चैनल मोहाली से लांच किया जाने वाला था. ABP सांझा नाम से आने वाले चैनल के प्रबंधन ने सभी कर्मचारियों को अपने यहां से बाहर निकाल दिया है.

वाह रे लखनऊ पुलिस! : जो लड़की को बचा रहा था उसे एएसपी पर फायरिंग का आरोपी बना दिया

हमने हजरतगंज, लखनऊ में एएसपी दुर्गेश कुमार पर हुए कथित फायरिंग मामले में अपने स्तर पर जांच की. हमने आरोपी पुलकित के घर जाकर उसके पिता राम सुमिरन शुक्ला, माँ सावित्री शुक्ला, भाई पीयूष शुक्ला तथा अन्य परिचितों से मुलाकात की. इन लोगों ने बताया कि घटना प्रोवोग शॉप के पास हुई जिसमें परिचित लड़की को छेड़े जाते देख पुलकित और साथियों ने बीच-बचाव किया.

जनसंदेश टाइम्‍स प्रकरण : श्रम मंत्रालय ने राज्‍य सरकार से मांगी कार्रवाई रिपोर्ट

जनसंदेश टाइम्‍स प्रबंधन पर सरकार का शिकंजा लगातार कसता चला जा रहा है। मानवाधिकार आयोग में कर्मचारियों के उत्‍पीड़न का मामला दर्ज होने और उसके बाद भविष्‍य निधि कार्यालय की टीम द्वारा छापेमारी की कार्रवाई के बाद अब केन्‍द्रीय श्रम मंत्रालय ने जनसंदेश टाइम्‍स कर्मियों के उत्‍पीड़न मामले को लेकर राज्‍य सरकार को कार्रवाई का निर्देश देते हुए रिपोर्ट तलब की है। बनारस में जनसंदेश टाइम्‍स के कर्मचारियों को कई माह से वेतन नहीं देने और मनमाने तरीके से निकाले जाने को लेकर मिली शिकायत को संज्ञान में लेते हुए केन्‍द्रीय श्रम मंत्रालय ने उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍य सचिव, श्रम रोजगार एवं प्रशिक्षण विभाग श्री शैलेश कृष्‍णा को लिखे पत्र संख्‍या- वी- 24032/1/2014 में जनसंदेश टाइम्‍स बनारस के कर्मियों को कई माह से वेतन नहीं दिये जाने, वेज बोर्ड के नियमों के विपरीत मनमाने तरीके से वेतन का निर्धारण और मनमाने तरीके से कर्मचारियों को निकाले जाने के मामले में कार्रवाई करने के साथ ही कृत कार्रवाई की रिपोर्ट भेजने को कहा गया है।

मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ दिए बिना रिटायर करने पर भास्कर वालों को नोटिस भेजा

आदरणीय यशवंतजी, मैं दैनि​क भास्कर सागर संस्करण में डिप्टी न्यूज एडिटर के पद पर पदस्थ हूं। मैंने मजीठिया वेज बोर्ड में तहत भास्कर प्रबंधन को एक नोटिस दिया है। अभी तक प्रबंधन ने इस पर ​कोई संज्ञान नहीं लिया है। मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ दिए बिना कंपनी ने 4 अक्टूबर को मेरा रिटायरमेंट तय कर दिया।

एचटी मैनेजमेंट के खिलाफ ऐतिहासिक जीत, हाईकोर्ट ने 272 एचटी कर्मचारियों को काम पर रखने का आदेश दिया

एक ऐतिहासिक फैसला आया है. हिंदुस्तान टाइम्स प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ लड़ रहे 272 मीडियाकर्मियों को न्याय मिल गया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने इन 272 कर्मियों को फिर से काम पर रखने का आदेश हिंदुस्तान टाइम्स प्रबंधन को दिया है. कोर्ट के पूरे आदेश को इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ा जा सकता है: goo.gl/b2KE9i

दिल्ली यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स ने इस ऐतिहासिक जीत पर कर्मियों को बधाई दी है. डीयूजे की तरफ से जारी प्रेस रिलीज इस प्रकार है….

भड़ास के जरिए मैंने जिंदगी में पहली बार न्यू मीडिया / सोशल मीडिया की शक्ति का अनुभव किया

जानिब ए मंजिल की ओर अकेला चला था मगर
लोग मिलते गए, कारवां बनता गया!!!

यशवंतजी की ओर से देशभर के पत्रकारों के नाम भड़ास पर पोस्ट हुआ संदेश न्याय की लड़ाई में उबाल ला चुका है। भड़ास के जरिए मैंने जिंदगी में पहली बार न्यू मीडिया / सोशल मीडिया की शक्ति का अनुभव किया। भड़ास की पूरी टीम को मेरा धन्यवाद! धन्यवाद देने का एक बड़ा कारण यह भी है कि मजीठिया के मामले में देश के पत्रकारों को एकजुट होने का मंच भी मिला है। भड़ास के यशवंतजी का मेरे को लेकर लेख आने के बाद मेरे पास पिछले दो दिनों से देशभर से बड़ी संख्या में पत्रकारों के फोन आ रहे हैं। अधिकांश पत्रकार मजीठिया की लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहते हैं।

यूएनआई में सेलरी संकट, हालत बेहद दयनीय, एक दिसंबर को धरना-प्रदर्शन

संपादक, भड़ास4मीडिया, महोदय, UNI की दुर्दशा से आप भली भांति वाकिफ होंगे. इस मीडिया संस्थान में कार्यरत पत्रकार और गैर-पत्रकार  अत्यंत दयनीय स्थिति मैं हैं. विगत 14 महीने से तनख्वाह उन्हें नहीं दी गयी है. हर महीना सैलरी नहीं मिल रही. पत्रकारों का मनमाने तरीके से तबादला किया जा रहा है. वित्तीय संकट की स्थिति में स्थानान्तरण का बोझ पत्रकार सहन नहीं कर पा रहे हैं. उनके सामने भूखों मरने की नौबत आ गयी है. UNI में   उर्दू के जानेमाने पत्रकार अलमगीर साहब की 8-9 जून को हुई मौत इसका जीता जागता उदाहरण है.

लोकमत प्रबंधन की प्रताड़नाओं ने बुझा दिया एक दीपक

: लोकमत समाचार पत्र समूह के अन्याय, अत्याचार और प्रताड़नाओं से हार गए दीपक नोनहारे :  नागपुर :  लोकमत समाचारपत्र समूह के मगरूर प्रबंधन के अन्याय, अत्याचार और प्रताड़नाओं के आगे ‘लोकमत समाचार’ का एक पत्रकार पराजित हो गया. ‘लोकमत समाचार’ में पिछले 25 सालों से व्यापार-व्यवसाय डेस्क संभाल रहे दीपक नोनहारे ने गुरुवार 6 नवंबर की दोपहर को इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (मेयो अस्पताल) नामक सरकारी अस्पताल में दम तोड़ दिया.

मीडिया में सरोकार, जज्बे और जज्बात के जितने शब्द-एक्सप्रेशन हैं, सबके सब सिर्फ प्रोमो-विज्ञापन के काम लाए जाते हैं

Vineet Kumar : जिया न्यूज की मीडियाकर्मी स्नेहल वाघेला के बारे में जानते हैं आप? 27 साल की स्नेहल अपने चैनल जिया न्यूज जिसकी पंचलाइन है- जर्नलिज्म इन एक्शन, के लिए अपने दोनों पैर गंवा चुकी है. पिछले दिनों जिया चैनल के लिए मेहसाना (अहमदाबाद) रेलवे स्टेशन पर रिपोर्टिंग करते हुए स्नेहल फिसलकर पटरियों पर …

1984 कत्लेआम : 30 साल बीते, और अभी कितना इंतजार… मोदी जी, मुआवजा नहीं इंसाफ चाहिए…

भारत की राजधानी दिल्ली में दिनदहाड़े सड़कों पर सरकारी छत्र छाया में 3000 से अधिक बेकुसूर सिख नागरिकों का कत्लेआम। एक के बाद एक नौ जांच आयोग व समितियों का मजाक। कातिल और कातिलों के सरगनाओं को कैबिनेट मंत्री और सांसदियों के पुरस्कार। बाल भी बांका न हो इसके लिए जेड प्लस सुरक्षा कवच। इसके …

हां हम अयोग्य हैं, इसीलिए पत्रकार हैं क्योंकि….

”अयोग्य लोग ही इस पेशे में आते हैं, वे ही पत्रकार बनते हैं जो और कुछ बनने के योग्य नहीं होते..” आज स्थापित हो चुके एक बड़े पत्रकार से कभी किसी योग्य अधिकारी ने ऐसा ही कहा था… कहां से शुरू करूं… मुझे नहीं आता रोटी मांगने का सलीका… मुझे नहीं आता रोटी छीनने का …

बनारस के वरिष्ठ पत्रकार गोपाल ठाकुर खुले आसमान के नीचे मौत का कर रहे हैं इंतजार…

क्या पता कब मारेगी
कहां से मारेगी
कि जिदंगी से डरता हूं
मौत का क्या, वो तो
बस एक रोज मारेगी

कभी धर्मयुग जैसे प्रतिष्ठित पत्रिका से जुड़े रहे बुर्जुग पत्रकार गोपाल ठाकुर को जिदंगी रोज मार रही है, फिर भी जिंदा हैं… सिर पर छत फिलहाल नहीं है…. जो अपने थे, वक्त के बदलते रौ में वो अपने नहीं रहे… बेबसी, बेकारी हालात के शिकार गोपाल जी का नया ठिकाना फिलहाल रविन्द्रपुरी स्थित बाबा कीनाराम आश्रम का चबूतरा है, जहां लेट कर आसमान को निहारते हाथों को ऐसे ही हिलाकर शायद अपने गुजरे वक्त का हिसाब-किताब करते मिले… लेकिन इतने बुरे वक्त में भी उनके चेहरे पर शिकन नहीं दिखी…

चुनाव खत्म, चैनल बंद, नौकरी गई : ‘खबरें अभी तक’ से है ये खबर, छंटनी-बंदी के लिए नोटिस जारी

हरियाणा में चुनाव क्या खत्म हो गया, हरियाणा केंद्रित न्यूज चैनलों में उलटफेर का तगड़ा दौर शुरू हो चुका है. ‘फोकस टीवी हरियाणा’ में छंटनी की सूचनाओं के बीच एक नई खबर ‘खबरें अभी तक’ चैनल से है. हरियाणा केंद्रित इस न्यूज चैनल के प्रबंधन ने एक नोटिस चस्पा कर दिया है कार्यालय में कि समस्त स्टाफ के लोग नवंबर के महीने को एक माह का नोटिस पीरियड समझें और चैनल को अलविदा कह दें. इस नोटिस के मिलने से चैनल में काम करने वाले परेशान हो गए हैं. हरियाणा प्रदेश की सियासत में आई भूचाल की आहट प्रदेश के न्यूज चैनलों में दिन-रात काम करने वाले पत्रकारों के घरों तक पहुँच रही है.

भास्कर चेयरमैन रमेश चंद्र अग्रवाल पर शादी का झांसा देकर देश-विदेश में रेप करने का आरोप (देखें पीड़िता की याचिका)

डीबी कार्प यानि भास्कर समूह के चेयरमैन रमेश चंद्र अग्रवाल के खिलाफ एक महिला ने शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया है. इस बाबत उसने पहले पुलिस केस करने के लिए आवेदन दिया पर जब पुलिस वालों ने इतने बड़े व्यावसायिक शख्स रमेश चंद्र अग्रवाल के खिलाफ मुकदमा लिखने से मना कर दिया तो पीड़िता को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. कोर्ट में पीड़िता ने रमेश चंद्र अग्रवाल पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. पीड़िता का कहना है कि रमेश चंद्र अग्रवाल ने उसे पहले शादी का झांसा दिया. कई जगहों पर शादी रचाने का स्वांग किया. इसके बाद वह लगातार संभोग, सहवास, बलात्कार करता रहा.

हेमलता अग्रवाल को मीडियाकर्मी दे रहे बददुवाएं, पैसा है नहीं तो चैनल काहें को ले आए?

कई लाला लोग ऐसे होते हैं जो केवल उगाही और साजिश के दम पर पैसा बटारने की ख्वाहिश रखते हैं और इसी मकड़जाल के सहारे अपना वेंचर आगे ला देते हैं. कुछ इन्हीं हालात में ‘भास्कर न्यूज‘ नामक चैनल आ रहा है जो आने को तो कई साल से आ रहा है लेकिन अभी तक टेस्ट सिगनल पर ही है. इस चैनल से खबर है कि यहां सेलरी संकट लगातार जारी है. इस चैनल में कार्यरत करीब सत्तर फीसदी लोगों को सेलरी नहीं मिली है.

मोदी को लेटर भेजने का असर : एमिटी के मालिक अशोक चौहान ने ग्रेच्युटी की रकम तो दी ही, माफी भी मांगी

Kavita Surbhi : नरेंद्र मोदी जी के प्रति नमन, जिन्होंने जनवाद के मार्ग को सबसे श्रेष्ठ माना। मैं एमिटी यूनिवर्सिटी से अपनी ग्रेच्युटी प्राप्त करने के लिए निरंतर संघर्ष कर रही थी। परिस्थितियां कुछ ऐसी थीं कि आर्थिक सहयोग की आवश्यकता थी और ग्रेच्युटी मेरा अधिकार भी था। विश्वविद्यालय को काफी मेल कीं। एमिटी के एकाउंट्स विभाग से लेकर फाउंडर श्री अशोक चौहान तक को। एकाउंट्स को फ़ोन करती, तो दादा कहा जाने वाला व्यक्ति कहता, मैडम, यहाँ साल-दो साल तक लोगों को अपनी रकम नहीं मिलती, अभी तो आपको सात महीने ही हुए हैं और चालीस हजार के लिए आप इतनी परेशान हैं?

एसजीपीजीआई लखनऊ के लापरवाह डॉक्टरों के खिलाफ न्यायिक युद्ध

Amitabh Thakur : शायद आपराधिक लापरवाही करने वाले डॉक्टरों से कानूनी लड़ाई आसान नहीं है. यह बात अपनी पत्नी ममता शुक्ला की मौत के मामले में न्याय पाने को संघर्षरत अलीगंज निवासी सुरेश चन्द्र शुक्ला हर कदम पर महसूस कर रहे हैं. हेपेटाइटिस-सी से पीड़ित सुश्री ममता की मौत एसजीपीजीआई, लखनऊ में हो रहे इलाज के दौरान हो गयी. श्री शुक्ला ने इसके लिए गैस्ट्रोइंटेरोलोजी विभाग के डॉ विवेक आनंद सारस्वत और डॉ श्रीजीथ वेणुगोपाल को दोषी बताया कि उन्होंने प्रयोग के तौर पर जानबूझ कर ट्रायल ड्रग थाइमोसीन अल्फा-1 इंजेक्शन दिया जिससे हड्डी का कैंसर होने की काफी सम्भावना रहती है और जो मात्र हेपेटाइटिस बी रोगियों के लिए अनुमन्य है.