नौकरी से हटाए गए कर्मचारियों की जुबान में कहें तो ‘लाइव इंडिया कंपनी’ अब चोर बन गई है, जो मीडिया कर्मियों का पैसा खाने पर लगी है। बसंत झा ने फिर से एकदम एचआर में 32 लोगों को निकालने का आदेश दे दिया है, जिनमें 13 लोग संपादकीय विभाग के और 19 कर्मी ग्राफिक्स व सर्कुलेशन के हैं। सर्कुलेशन से आठ और एडिटोरियल से दो लोगों को पहले ही निकाल बाहर किया जा चुका है। गौरतलब है कि ‘समृद्ध जीवन’ चिटफंड कंपनी के स्वामित्व में ‘लाइव इंडिया’ न्यूज चैनल, ‘लाइव इंडिया’ और ‘प्रजातंत्र लाइव’ नाम से अखबार प्रकाशित किए जाते हैं। बसंत झा इस मीडिया तंत्र के नए संपादक हैं, जिनकी हरकतों से इन दिनो मीडिया कर्मियों में भारी रोष है।
बताया गया है कि सर्कुलेशन हेड जगवंत, मनोज, गौरव और ग्राफिक्स हेड अमित गौर को मुंबई ट्रांसफर का लॉलीपॉप दे दिया गया है। सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि एचआर विभाग कमीनेपन पर आ गया है। सैलरी अभी पिछले महीने की आयी नहीं है और मेल पर मेल किया जा रहा है कि आप की सर्विस समाप्त कर दी गई है।
महेश और सुप्रिया कांसे आंखें बंद कर बैठे हुए हैं। इससे लगता है कि ये सब उनकी पैसा खाने की चाल है क्योंकि प्रतिदिन खबर पर खबर आ रही है लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है। इसके पीछे भी बसंत झा की चाल बताई जा रही है। मकसद है, कैसे कर्मचारियों का पैसा खाकर मालिक की नजरों में अच्छा बना जाए। दूसरी तरफ खबर ये भी है कि लाइव इंडिया चैनल और अखबार को बेचा जा चुका है क्योंकि इतना बड़ा बदलाव ऐसे ही नहीं आता है, जोकि बसंत झा ने कहा और एचआर व प्रबंधन की टीम उसे फॉलो कर रही है।
ऐसा न होता तो मैनेजमेंट इस मसले पर किसी न किसी बात अवश्य करती। कंपनी की जो Branworks एजेंसी थी और जिसके पैरोल पर अखबार के सब लोग कार्यरत थे, वो बंद हो चुकी है। अब कल से मंदिर मार्ग आफिस के कर्मचारी लेबर कोर्ट जाने की तैयारी कर चुके हैं। इधर बसंत झा को भी आ चुके बताए जाते हैं। कर्मचारी कहीं कोई अप्रिय कदम न उठा लें, इस डर से ऑफिस के सामने सुरक्षा टीम दस घंटे खड़ी रही।
बताया गया है कि नोएडा ऑफिस में अनिरुद्ध सिंह, जो अखिलेश यादव के दूर के साले लगते हैं, उन्होंने ही फोन से ये सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित कराई। जिस नोएडा में दिनदहाड़े चेन स्नैचिंग और लूटपाट हो रही है, वहीं पुलिस इस कंपनी की सेवा में लगी है। बसंत झा की इतनी हालत खराब है कि कुछ कहा नहीं जा सकता है। उन्होंने कल जिन दो लोगों को निकाल दिया था, वे कल ऑफिस पहुंचे और बाहर ही खड़े होकर आपस में बातें करने लगे। उसी समय बसंत झा गाड़ी से आ गए। उन दोनों के देख लेने के बाद वह चालीस मिनट तक गाड़ी से उतरे ही नहीं। फिर किसी को फोन कर बुला लिया और उसके साथ दफ्तर में गए।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित