गिरीश मालवीय-
बहुत से लोगो को यह जानकारी ही नहीं होगी कि इस देश में एक पूरा एलपीजी माफिया काम करता है जिसके पास खुद के अपने टैंकर है जो हुबहू एचपी, इंडेन आदि कंपनियों के टैंकर जैसे ही दिखते हैं।यह माफिया हाईवे के ढाबों पर मिलीभगत से गैस अपने टैंकरों में भरते हैं। एक पूरा नेक्सस है जिसने पॉलिटीशियन और पुलिस से गठजोड़ कर रखा है।
एलपीजी माफिया का नेटवर्क बंदरगाह, रिफाइनरी, गैस टैंकर ड्राइवरों से लेकर डिपो तक फैला हुआ है। मध्य प्रदेश ,छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र के हाईवे पर बने ठिकानों से यह माफिया रोजाना करोड़ों की गैस ठिकाने लगाता है। कल एमपी एसटीएफ ने इस माफिया से जुड़े लोगो की गिरफ्तारी भी की है।
इस नेक्सस का भंडाफोड़ करने का श्रेय जाता है दैनिक भास्कर के पत्रकार मित्र Sunil Singh Baghel को…..
इस पूरे नेक्सस को जानने के लिए सुनील सिंह बघेल ने अपने मित्र देवेंद्र मालवीय के साथ कई दिनों तक हजारों किलोमीटर हाइवे की खाक छानी और गहन पड़ताल की..
सुनील सिंह बघेल लिखते है…..
हमें कुछ समय पहले देशभर में हाईवे पर, करोड़ों की गैस चोरी रोज करने वाले एलपीजीमाफिया के एक मॉड्यूल का पता चला.। सिर्फ एक छोटी सी सूचना थी कि अहमदाबाद इंदौर हाईवे पर गुजरात बॉर्डर के समीप रोज रात 11से 5 बजे के बीच एक ढाबे पर सीधे टैंकरों से रात लाखों की गैस चुराई जाती है.. ढाबों होटलों की भीड़ में से पहले तो सही जगह की पहचान और फिर रात को चलने वाले गोरखधंधे को रिकॉर्ड करना एक बड़ी चुनौती थी… दिन भर एक से दूसरे ढाबे पर घूमते रहे.. टैंकर से उतरने वाले ड्राइवरों से दोस्ती की उनसे बात की…
इसी बीच 20- 25 सालों से गैस टैंकर चला रहे एक शराबी ड्राइवर से अच्छी खासी दोस्ती हो गई.. खुद ड्राइविंग की कमान संभाली..
दाहोद गुजरात की तरफ तरफ से जाते समय एक ढाबे के सामने से गुजर रही रहे थे, तभी वह उठा यही तो है महेश सोलंकी का अड्डा.. बहुत पहुंच है.. लाखों मारता है… बस फिर क्या था हमें सही जगह पता चल चुकी थी.. हम गुजरात बॉर्डर पार कर उतर गए… वापस झाबुआ लौट गए.. रात का इंतजार करने लगे…
रात 12: बज रहे थे, हमने देखा कि इंदौर से एक ब्रिजा कार से दो लोग उतर कर जय बजरंग ढाबे के पीछे पीछे अंधेरे में गुम हो जाते हैं। कार की डिटेल निकालती है तो वह महेश के भतीजे शुभम के नाम पर निकलती है।थोड़ी देर बाद एक भरा टैंकर ,पहले से खड़े गिरोह के खाली टैंकर से सट कर खड़ा हो जाता है।एक अटैचमेंट के सहारे भरे हुए से खाली टैंकर में गैस डाली जाने लगती है। थोड़ी देर बाद दूसरा टैंकर..
रात के 2 बज चुके थे.. गैंग को कुछ शंका हुई पर उनके हमारे पास आते ही ड्राइवर जानबूझकर उन्हें सुनाते हुए कहा “साहब मैं यदि 1-2 घंटे और नहीं सोया तो कहीं एक्सीडेंट ना हो जाए, मैं हां कर देता हूं। वे चले जाते हैं। मशीनों की आवाज और हवा में एलपीजी की तीखी गंध बताती है चोरी जारी है। सुबह के 4 बज रहे हैं। गैंग हमें संदिग्ध मान आस-पास मंडराने लगती हैं। हम माजरा समझ, पहले गुजरात की तरफ गए, फिर बगल के ढाबे मे रुक गए।पर थोड़ी ही देर में कुछ लोग तेजी से हमारी ओर आते दिखे। अब तक हमें भी काफी सबूत मिल चुके थे, मौके की नजाकत समझ हमने तत्काल पिटोल बॉर्डर छोड़ देने में ही भलाई समझी…
आज जो एमपी एसटीएफ की पकड़ में जो गिरोह आया है वह माफिया का एक छोटा सा हिस्सा है ऐसे माफिया देशभर में फैले हुए हैं जो रोज करोड़ों की गैस चुराते हैं.. गैस कंपनियां उस नुकसान को अपने खर्चों में डाल देती हैं… नतीजा महंगी गैस के रूप में हमें भुगतना पड़ता है।
एक वीडियो देखें-
दो वीडियो इस लिंक में भी हैं-