Ravish Kumar-
एक पत्रकार पर हमला जनता की आवाज़ पर हमला है। आज दो बजे दिल्ली पुलिस के नए मुख्यालय के सामने पत्रकार जमा हुए और प्रदर्शन किए। मनदीप की गिफ्तारी के विरोध में।
मनदीप को गिरफ्तार किया गया है।
किसान आंदोलन को स्वतंत्र पत्रकारों ने कवर किया। अगर ये पत्रकार अपनी जान जोखिम में डाल कर रिर्पोट न कर रहे होते तो किसानों को ही ख़बर नहीं होती कि आंदोलन में किया हुआ है। फ़ेसबुक लाइव और यू ट्यूब चैनलों के ज़रिए गोदी मीडिया का मुक़ाबला किया गया। अब लगता है सरकार इन पत्रकारों को भी मुक़दमों और पूछताछ से डरा कर ख़त्म करना चाहती है।
यह बेहद चिन्ताजनक है। बात बात में FIR के ज़रिए पत्रकारिता की बची खुची जगह भी ख़त्म हो जाएगी। जिस तरह से स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पूनिया और धर्मेंद्र को पूछताछ के लिए उठाया गया उसकी निंदा की जानी चाहिए।
आम लोगों कोह समझना चाहिए कि क्या वे अपनी आवाज़ के हर दरवाज़े को इस तरह से बंद होते देखना चाहेंगे? एक पत्रकार पर हमला जनता की आवाज़ पर हमला है। जनता से अनुरोध है कि इसका संज्ञान लें और विरोध करे। मनदीप को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।
दिल्ली पुलिस के अफ़सर भी ऐसी गिरफ़्तारियों को सही नहीं मानते होंगे। फिर ऐसा कौन उनसे करवा रहा है? कौन उनके ज़मीर पर गुनाहों का पत्थर रख रहा है? उन्हें भी बुरा लगता होगा कि अब ये काम करना पड़ रहा है। हम उनकी नैतिक दुविधा समझते हैं लेकिन संविधान ने उन्हें कर्तव्य निभाने के पर्याप्त अधिकारी दिए हैं। अफ़सरों को भी पत्रकारों की गिरफ़्तारी का विरोध करना चाहिए।
देखें पत्रकारों के प्रदर्शन के कुछ वीडियोज-