राजेंद्र चतुर्वेदी-
गुजरात दंगों को लेकर श्री नरेन्द्र मोदी को मिली क्लीनचिट पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगने, लगवाने का भारतीय समाज के लिए कोई खास अर्थ नहीं है।
जो लोग मोदी जी के समर्थक हैं, वे लगभग सभी गुजरात दंगों के कारण ही मोदी समर्थक बने थे और आजतक बने हुए हैं।
यानी, समर्थकों के लिए क्लीनचिट की कोई अहमियत नहीं है।
दूसरी तरफ, जो लोग मोदी विरोधी हैं, वे भी गुजरात दंगों के कारण ही उनके तीखे विरोधी बने हैं।
मोदी विरोधियों के लिए भी यह क्लीन चिट कोई अहमियत नहीं रखती।
यह सही है कि मोदी दंगाइयों की भीड़ में शामिल नहीं थे, लेकिन जब गोधरा कांड में मारे गए लोगों के शव या उनकी अस्थियां खुले वाहनों में रखकर पूरे गुजरात में घुमाई जा रही थीं, तब गुजरात के सीएम मोदी ही थे।
ऐसे तथाकथित रथ, जिन पर जलती हुई रेल बोगी के पोस्टर लगे थे, जब गुजरात में घुमाए जा रहे थे, तब राज्य के मुख्यमंत्री मोदी ही थे।
गुजरात के कुछ इलाकों में तीन दिन तक लगातार मां के गर्भ में मौजूद बच्चों से लेकर मृत्यु शैया पर पड़े हुए बुजुर्गों तक को जब मौत के घाट उतारा जा रहा था, उस समय भी राज्य के सीएम मोदी ही थे।
दंगों के कारण जिस मुख्यमंत्री को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पद से हटा देना चाहते थे और जिसे लालकृष्ण आडवाणी ने अड़कर बचा लिया था, क्या नाम था, उस मुख्यमंत्री का।
उस मुख्यमंत्री का क्या नाम था जिसे अटल बिहारी वाजपेयी ने राजधर्म का पालन करने की नसीहत सार्वजनिक तौर पर दी थी।
जब इतने सारे तथ्य मौजूद हैं तो विरोधियों के लिए भी क्लीन चिट का कोई महत्व नहीं है।
अरे हम तो गलत समझ रहे थे, मोदी जी तो दंगों में निर्दोष थे, क्लीन चिट पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर के बाद क्या किसी विरोधी ने ऐसा कोई बयान दिया? नहीं।
अब सवाल ये है कि
क्लीन चिट पर अभी मुहर क्यों? क्यों सुप्रीम कोर्ट ने 9-10 महीने पहले सुरक्षित किया फैसला अब अचानक सुना दिया?
नूपुर शर्मा की बकवास के बाद मुस्लिम दुनिया बहुत नाराज है। सरकार का प्रयास यह दिखाने का है कि भाजपा अलग है, फ्रिंज एलिमेंट अलग हैं। मोदी जी मुस्लिमों से बहुत प्यार करते हैं। फ्रिंज एलिमेंट्स को उनका संरक्षण नहीं हो सकता।
इसी के तहत सबसे पहले सुपर सरकार मोहन जी ने कहा था, आरएसएस अब किसी मंदिर आंदोलन में भाग नहीं लेगा।
माताजी के जन्म दिन पर मोदी जी को अचानक अब्बास याद आ गया।
अब क्लीन चिट पर सुप्रीम मुहर।
हालांकि, मोदी जी को मुस्लिम प्रेमी दिखाने की जो कोशिश हो रही है, इस कोशिश में छेद करने वाले भी सक्रिय हैं।
तीस्ता सीतलवाड़ और गुजरात के पूर्व डीजीपी की गिरफ्तारी कोशिश में छेद करने का ही एक प्रयास लग रहा है।
छोटे वाले मोटा भाई का इंटरव्यू अगर कहीं पूरा मिल जाए तो पढ़िए सुनिए और समझिये भी।