वरिष्ठ पत्रकार निर्निमेष कुमार ने भ्रष्ट, पाखंडी, आलोकतंत्रिक और बदनाम प्रेस क्लब ओफ़ इंडिया को पूरी तरह नंगा कर दिया है। ये क्लब अपने ही बुने जाल में फँस गया है। निर्निमेष कुमार को क्लब से बिना वजह बाहर निकालने का अहंकार क्लब पदाधिकारियों पर ही भारी पड़ता जा रहा है।
क्लब के पदाधिकारी कितनी घटिया सामंती सोच रखते हैं, ये अदालत में देखने को तब मिला जब क्लब के वकील ने कहा कि सिर्फ़ निर्निमेष कुमार ही भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ क्यों आवाज़ उठाते हैं, कोई अन्य मेम्बर तो कुछ नहीं बोलता।
सोचिए, ये वो लोग बोल रहे हैं जो लोकतंत्र पारदर्शिता प्रगतिशीलता की बात करते हुए क्लब का चुनाव जीतते हैं।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के वकील इमरान अली ने कल दिल्ली की एक अदालत के समक्ष कहा कि क्लब के सैकड़ों सदस्य हैं, लेकिन केवल निर्निमेष कुमार ही क्लब प्रबंधन के खिलाफ क्यों बोलते हैं।
उनके इस कथन पर सुनवाई कर रही मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने कोई टिपण्णी नहीं की। लेकिन निर्निमेष कुमार के वकील ललन चौधरी ने उसका जवाब देते हुए कहा कि श्री कुमार क्लब के एक सजग सदस्य हैं और क्लब प्रबधन के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला उठाना कोई अपराध नहीं है।
श्री चौधरी ने आगे कहा कि क्लब प्रबंधन द्वारा की गई भ्रष्टाचार के खिलाफ अदालत में मुकदमा करने के अतिरिक्त उनके मुवक्किल ने क्लब प्रबंधन द्वारा 32 लाख रूपये के जिम की मशीन 20 हजार रूपए में बेचने और क्लब से पांच लाख रूपये नकद गबन होने के मामले में दिल्ली पुलिस में दो शिकायतें भी दर्ज़ कराई है।
श्री चौधरी ने यह भी बताया कि श्री कुमार क्लब में व्याप्त भ्रष्टाचार को समय समय पर सार्वजनिक करते रहते हैं।
दोनों वकील श्री कुमार की उस अर्जी पर बहस कर रहे थे जिसमे उन्होंने अपनी क्लब की सदस्यता खतम करने पर रोक लगाने के लिए अदालत से गुहार लगाई है।
जब क्लब के वकील ने यह दलील दी कि अदलत इनकी बर्खास्तगी पर रोक नहीं लगा सकती क्योंकि चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई है, तो मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने कहा कि याचिकाकर्ता चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप की बात नहीं कर रहा, वह तो केवल क्लब के अंदर जाना चाहता है और चुनाव में हिस्सा लेना चाहता है। इस पर क्लब के वकील ने कहा कि उसे मतदाता सूची को दुबारा छपवाना पड़ेगा। इस पर भी अदालत ने कोई टिप्पणी नहीं की।
अदालत श्री कुमार की अर्जी पर सोमवार को फैसला सुनाएगी।
कोर्ट में इसके पहले वाली डेट पर सुनवाई में क्या हुआ था, पढ़िए- 
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