Navneet Chaturvedi : सोशल मीडिया की ताकत और चुनावों में नुकसान का भय, इन दोनों वजहों से आज मजबूरन रिज़र्व बैंक को मेरी 200 टन गोल्ड वाली स्टोरी पर बयान जारी करना पड़ा. रिजर्व बैंक के इस बयान को अब गोदी मीडिया वाले खूब चला रहे हैं कि गोल्ड विदेश भेजे जाने का दावा गलत है।
नीचे आरबीआई की प्रेस रिलीज संलग्न है। इसको देख कर स्पष्ट है कि गोल्ड बाहर विदेश में है। उस तथ्य से ये इनकार नहीं कर रहे हैं। सुरक्षा की दृष्टि से यदि गोल्ड विदेशी बैंक में रखा गया है, जो कारण रिज़र्व बैंक ने दिया है, तो यह अपने आप में हास्यास्पद है कि भारत की सेना, पुलिस, बीएसएफ, सीआरपीएफ सब नकारा है क्या जो अपने ही देश के बैंक के गोल्ड की रक्षा नहीं कर पाते, इस कारण उन्होंने गोल्ड बाहर सेफ रखवाया है।
यह प्रेस रिलीज प्रतीक है कि संवैधानिक संस्थाओं को किस तरह अपने इशारे पर चलाया जा रहा है। यह प्रेस रिलीज आरबीआई के खुद के रिपोर्ट्स और ऑडिट रिपोर्ट को झुठला रही है। मैं अभी भी अपने दावे पर कायम हूं और ओपन चैलेंज है कि आरबीआई के डाक्यूमेंट्स पर बहस कर ली जाए।
एक तरफ रिज़र्व बैंक द्वारा दी गई आरटीआई का जवाब है दूसरी तरफ उनकी प्रेस रिलीज। आरटीआई कहती है 268 टन सोना विदेशी बैंक की सेफ कस्टडी में रखा गया है। प्रेस रिलीज के अनुसार सिर्फ यह खंडन किया गया है कि 2014 के बाद कोई गोल्ड बाहर नहीं गया है। प्रेस रिलीज यह नही कह रही है कि गोल्ड विदेश में नहीं है।
मोदी सरकार में आरबीआई ही वो पहली संवैधानिक संस्था थी जिसका नैतिक पतन सबसे पहले हुआ था। याद किया जाए कि यह वही आरबीआई है जो नोटबंदी के अगले एक साल तक कितने 1000 & 500 के नोट जमा हुए, वो गिन नहीं पाई थी। रघुराम राजन ने इस्तीफा दिया था समय से पहले। मोदी के सबसे बड़े भरोसेमंद उर्जित पटेल ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। गोदी व दलाल मीडिया अब ये चाहते हैं कि आम जनता रिज़र्व बैंक में हुए इस गड़बड़झाले को आराम से पचा जाए।
Prem Prakash : आरटीआई के जरिये नवनीत चतुर्वेदी का भयावह खुलासा ! देश का सोना गिरवी रखा गया! साढ़े चार साल पहले! किसी को कानोंकान खबर तक नही! जून 2011 की रिपोर्ट में रिजर्व बैंक में सोना मौजूद बताया गया! 2015 की रिपोर्ट में 268 टन सोना कम पाया गया! चौकीदार ने अमानत में खयानत की! क्या चौकीदार को केवल चोर कहना उचित है? क्या चौकीदार डकैत है? डकैत होता तो बता के डकैती करता। डकैत नही है, चौकीदार चोर ही है।
Anil Singh : देश में सोना लाने में डर लगता है क्या? भारतीय रिजर्व बैंक ने मोदी के पांच साल के शासन के दौरान 28.64 टन सोना खरीदा है। लेकिन आश्चर्य की बात है कि यह सारा का सारा सोना उसने देश में लाने के बजाय बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स की ‘सेफ कस्टडी’ में रख दिया। विद्वान लोग इसकी बहुत सारी वजहें गिना सकते हैं। लेकिन सवाल उठता है कि जब रखना ही है तो यह सोना देश के भीतर क्यों नहीं रखा जा सकता? क्या इसे भारत में रखना विदेश से कम सुरक्षित है?
रिजर्व बैंक की ताजा छमाही रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर 2018 के अंत उसके पास कुल 586.44 टन सोना था। इसमें से 294.14 टन सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स की ‘सेफ कस्टडी’ में रखा हुआ है, जबकि बाकी 292.30 टन सोना देश के भीतर रखा है।
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक की पुरानी रिपोर्ट के मुताबिक पांच साल पहले सितंबर 2013 के अंत तक उसके पास कुल 557.80 टन सोना था, जिसमें से 265.50 टन सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के पास रखा था, जबकि बाकी 292.30 टन सोना देश के भीतर रखा था। साफ है कि मोदी सरकार के दौरान देश के भीतर रखे रिजर्व बैंक के सोने की मात्रा जस की तस है, जबकि नया खरीदा गया सारा का सारा विदेश में रखा गया है।
पत्रकार नवनीत चतुर्वेदी, प्रेम प्रकाश और अनिल सिंह की एफबी वॉल से.
sanjay chaudhary
May 6, 2019 at 2:41 pm
Pehle ki govt ne kyun rakha gold bahar uske liya b report kar lo sala chamche ho tum log … pappu news ..