लखनऊ के पत्रकार नीतीश पांडेय के शस्त्र लाइसेंस को कुशीनगर जिले के डीएम ने सस्पेंड कर दिया था। इस मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए शस्त्र लाइसेंस को निलंबित किए जाने पर रोक लगा दी है। साथ ही कोर्ट ने दूसरे पक्ष को शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने के संबंध में अपना हलफनामा प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया है। इसके लिए कोर्ट ने छह सप्ताह का समय दिया है।
ये है पूरा मामला…
कुशीनगर के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट डॉ. अनिल कुमार सिंह ने लखनऊ के पत्रकार नीतीश पांडेय के शस्त्र लाइसेंस (संख्या 510/पिस्टल नंबर-189111599) को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। साथ ही प्रभारी निरीक्षक थाना कसया (कुशीनगर) को निर्देशित किया था कि शस्त्र को तत्काल अभिरक्षा में लेकर मालखाने में जमा करा लें। इसके साथ ही तत्कालीन डीएम ने नोटिस भी जारी करते हुए कहा कि आप (पत्रकार नीतीश पांडेय) कारण स्पष्ट करें कि आपका शस्त्र लाइसेंस क्यों न निरस्त किया जाए?
उन्होंने नोटिस का स्पष्टीकरण दिनांक 24-01-2020 को कोर्ट में पेश करने को कहा, अन्यथा इस मामले में न्यायोचित निर्णय पारित कर दिया जाएगा।
कारण बताओ नोटिस को हाईकोर्ट में चुनौती
इसके बाद पत्रकार नीतीश पांडेय ने इस कारण बताओ नोटिस को हाईकोर्ट में चुनौती दी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कुशीनगर के तत्कालीन डीएम के शस्त्र निलंबित करने के निर्णय पर रोक लगा दी। साथ ही कोर्ट ने पार्टी को छह सप्ताह में अपना हलफनामा पेश करने के निर्देश दिये।
कोर्ट ने अपने स्टेटमेंट में कहा कि यह आदेश पूरी तरह से शस्त्रों की धारा-17 की उपधारा-3 के आधार पर अधिकार क्षेत्र के बिना 1959 अधिनियम के तहत केवल एक निश्चित समय अवधि के लिए ही पारित किया जा सकता है, अनिश्चितकाल के लिए नहीं।
याचिकाकर्ता पर आरोप
वहीं याचिकाकर्ता पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर कुछ खास पोस्ट किए थे, जिन्हें सार्वजनिक शांति या जनता की सुरक्षा के लिए खतरा माना गया, जिस कारण याचिकाकर्ता के खिलाफ यू.पी. गैंगस्टर और एंटी-सोशल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट, 1986 के तहत मामला दर्ज किया गया।
कोर्ट ने अपने स्टेटमेंट में यह भी कहा कि इस मामले में मुकदमा दर्ज करने से पहले याचिकाकर्ता का कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा है। याचिकाकर्ता एक पत्रकार होने का दावा करता है और POLICENEWSUP dot COM के नाम से एक वेब पोर्टल चलाता है। साथ ही यह प्रस्तुत किया गया कि उनके द्वारा सोशल मीडिया पर किये गये किसी भी पोस्ट को शांति या सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में नहीं देखा जा सकता है।
पहली सुनवाई में कोर्ट ने दिये निर्देश
वहीं इससे पहले 05-10-20 को कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस मामले में तत्कालीन डीएम अनिल कुमार सिंह, तत्कालीन नोएडा एसएसपी वैभव कृष्णा को पार्टी बनाने के लिए कहा था। चूंकि याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कुशीनगर के वर्तमान डीएम और एसपी व एसओ थाना कसया को पार्टी बनाया था।
पार्टी को हलफनामा प्रस्तुत करने के निर्देश
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दूसरे पक्ष को शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने के संबंध में हलफनामा प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया। कोर्ट ने इस हलफनामे में अपना औचित्य प्रस्तुत करने के लिए कहा। साथ ही कहा कि याचिकाकर्ता का लाइसेंस क्यों निरस्त किया जाए, जबकि याचिकाकर्ता पर लगे आरोप सिद्ध नहीं हुए हैं?
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