एक भारतीय नागरिक के नाते अपने प्रधानमंत्री से कुछ सवाल…
Rajendra Tiwari : प्रिय प्रधानमंत्री जी, कल आपका इंटरव्यू सुना। आपने सिर्फ वही बातें कीं, जो आप करना चाहते थे। जब आपको अपने मन की ही बात करनी थी तो रेडियो और दूरदर्शन दोनों पर मन की बात कर सकते थे। बाकी चैनल भी इसको प्रसारित करते ही। आप ट्वीट कर देते (जैसे आपने टाइम्स नाउ के लिए किया भी) कि इस बार अपने मन की विशेष बात करेंगे तो सुनने वालों की भीड़ लग जाती। इसके लिए किसी न्यूज चैनल पर आने की क्या जरूरत थी?
खैर, आपका इंटरव्यू उस चैनल पर सुना जो चैनल देश जो जानना चाहता है, उसे चिल्ला-चिल्लाकर देश को जनाने के लिए जाना जाता रहा है लेकिन इस इंटरव्यू में देश जो जानना चाहता था, उस पर तो चैनल की तरफ से कुछ पूछा ही नहीं गया। मान लीजिए, चैनल व उसके संपादक लिहाज में, आपके व्यक्तित्व के दबाव में या किसी अन्य कारण से आपसे कुछ नहीं पूछ पाये तो आप ही अपने देश के मन के सवालों को पूछने के लिए कह देते। हो सकता है इससे कुछ काम बन जाता।
चूंकि देश में मैं भी शामिल हूं और मेरे मन में भी कई सवाल हैं। मैं हमेशा चाहता रहा कि आप इन सवालों पर कुछ बोलते लेकिन आप कुछ बोले ही नहीं। अब तो आपने न्यूज चैनल पर भी इंटरव्यू दे दिया लेकिन सवाल अपनी जगह बने रहे। इसलिए मैंने सोचा कि न्यूज चैनल और उसके संपादक का देश (नेशन) कुछ जानना चाहता हो या न जानना चाहता हो, अपन जो जानना चाहते हैं, वह तो पूछ ही लें। बुरा मत मानियेगा, आप हमारे प्रधानमंत्री हैं और एक भारतीय नागरिक के नाते अपने प्रधानमंत्री से सवाल पूछने का अधिकार तो संविधान व लोकतांत्रिक व्यवस्था में निहित है।
सवाल नंबर १
टमाटर महंगा क्यों?
सवाल नंबर २
दालें कब सस्ती होंगी?
सवाल नंबर ३
आम चुनाव के समय आपने जितने रोजगार का वादा किया था, उसमें कितने फीसदी रोजगार आप उपलब्ध करा पाये?
सवाल नंबर ४
रुपये की विनिमय दर कभी मजबूत भी होगी? आपने आम चुनाव के समय अपने भाषणों में इसका वादा किया था।
सवाल नंबर ५
अगर कोई भारतीय धर्म विशेष के हिसाब से जीवन नहीं जीता तो क्या आपकी सरकार उसके इस संवैधानिक अधिकार को बनाये रखने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए वह किसी भी हद तक जा सकती है?
सवाल नंबर ६
रोहित वेमुला की आत्महत्या को आप किस तरह देखते हैं?
सवाल नंबर ७
जेऩयू प्रकरण के दौरान जिस तरह की बातें वरिष्ठ नेताओं व अफसरों द्वारा कहीं गईं, क्या उनसे सहमत हैं?
सवाल नंबर ८
साध्वी प्राची, महंत, महेश शर्मा, वीके सिंह, खट्टर व योगी आदित्यनाथ आदि लोगों के बयानों पर आप रोक क्यों नहीं लगाते?
सवाल नंबर ९
सामाजिक आधार पर आरक्षण व्यवस्था को लेकर आप तो प्रतिबद्धता जताते हैं लेकिन आपकी सरकार उसके ठीक उलट कर रही है। यह उलटबांसी क्यों?
सवाल नंबर १०
देश की सांस्कृतिक व क्षेत्रीय विविधता वरदान है या अभिशाप?
सवाल तो और भी बहुत हैं लेकिन इतने के ही जवाब मिल जाएं तो बाकी सवाल खुद जवाब तलाश लेंगे। उम्मीद है कि आप भी किसी न किसी फोरम से जवाब देने की कोशिश जरूर करेंगे।
सादर
पुन:श्च – जब आप गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब डिफेंस में निजी निवेश व विदेशी निवेश के विरोधी थे। और भी तमाम महत्वपूर्ण मसलों पर आपकी राय अलहदा थी। लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद आपकी राय बदल गई। आप भी वही करने लगे जो मनमोहन सिंह की सरकार करना चाहती थी। क्या पहले आपकी राय कम व गलत जानकारी पर आधारित थी कि आप तब के अपने स्टैंड में करेक्शन करने पर मजबूर हो गये?
वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र तिवारी की एफबी वॉल से.
Prashant
July 7, 2016 at 11:44 pm
Ab media ke log batayenge desh ke pradan mantri ko kya karna chahiye aur kya nahin shame on media…