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सियासत

विधायकजी ने पत्रकारजी को मैनेज किया, अब पत्रकारजी मीडिया को मैनेज करेंगे

ज्वालामुखी (हिप्र)। अपने विरूद्ध छप रही खबरों से परेशान ज्वालामुखी के विधायक ने मीडिया को मैनेज करने का एक अनोखा तरीका ईजाद किया है। उन्होंने इलाके के पत्रकारों को रिझाने के लिये चारा फेंकना शुरू कर दिया है। पत्रकारों को अब विज्ञापनों के लिये नहीं गिगिड़ाना होगा। इसके साथ ही विधायक जी ने उदारता का परिचय देते हुए एक प्रमुख समाचार पत्र के पत्रकार को गुपचुप तरीके से एक प्रमुख मंदिर के लंगर का ठेका भी दे दिया। ये ठेका पिछले पांच महीनों से येन-केन-प्रकारेण चल रहा है। हर बार बहाना बनाया जाता है कि ठेका केवल एक माह के लिेय ही दिया गया है। लेकिन उसके बाद एक्सटेंशन दे दी जाती है।

<p>ज्वालामुखी (हिप्र)। अपने विरूद्ध छप रही खबरों से परेशान ज्वालामुखी के विधायक ने मीडिया को मैनेज करने का एक अनोखा तरीका ईजाद किया है। उन्होंने इलाके के पत्रकारों को रिझाने के लिये चारा फेंकना शुरू कर दिया है। पत्रकारों को अब विज्ञापनों के लिये नहीं गिगिड़ाना होगा। इसके साथ ही विधायक जी ने उदारता का परिचय देते हुए एक प्रमुख समाचार पत्र के पत्रकार को गुपचुप तरीके से एक प्रमुख मंदिर के लंगर का ठेका भी दे दिया। ये ठेका पिछले पांच महीनों से येन-केन-प्रकारेण चल रहा है। हर बार बहाना बनाया जाता है कि ठेका केवल एक माह के लिेय ही दिया गया है। लेकिन उसके बाद एक्सटेंशन दे दी जाती है।</p>

ज्वालामुखी (हिप्र)। अपने विरूद्ध छप रही खबरों से परेशान ज्वालामुखी के विधायक ने मीडिया को मैनेज करने का एक अनोखा तरीका ईजाद किया है। उन्होंने इलाके के पत्रकारों को रिझाने के लिये चारा फेंकना शुरू कर दिया है। पत्रकारों को अब विज्ञापनों के लिये नहीं गिगिड़ाना होगा। इसके साथ ही विधायक जी ने उदारता का परिचय देते हुए एक प्रमुख समाचार पत्र के पत्रकार को गुपचुप तरीके से एक प्रमुख मंदिर के लंगर का ठेका भी दे दिया। ये ठेका पिछले पांच महीनों से येन-केन-प्रकारेण चल रहा है। हर बार बहाना बनाया जाता है कि ठेका केवल एक माह के लिेय ही दिया गया है। लेकिन उसके बाद एक्सटेंशन दे दी जाती है।

मामला शायद सुर्खियों में नहीं आता, लेकिन कुछ दिन पहले आरटीआई से यह बात पता चली। दिलचस्प तथ्य यह है कि यहां चौदह लोग रखे जाने थे, लेकिन नेता जी कि कृपा से चार लोगों से ही काम चलाया जा रहा है। यानी पत्रकार महोदय को सीधे तौर पर करीब पच्चास हजार महीने का फायदा हो रहा है। इस मामले से मंदिर प्रशासन के लोग परेशान हैं। चूंकि पत्रकार को विधायक का आर्शीवाद प्राप्त है इसलिए कोई भी बोलने को तैयार नहीं है। यात्री भी परेशान हैं, उन्हें लंगर नहीं मिल रहा है। पत्रकार ने विधायक महोदय को भरोसा दिया है कि वह मीडिया में सब कुछ मैनेज कर लेगा और उनके खिलाफ कोई खबर नहीं छपेगी।

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एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित।

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